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आज महिलाएं पहले से कहीं ज़्यादा पैसा कमा रही हैं और आर्थिक रूप से मज़बूत भी हो रही हैं। लेकिन असली बराबरी तभी आएगी जब महिलाएं अपने पैसे का कंट्रोल खुद रखें और उसे अपनी मर्ज़ी से खर्च या निवेश करें।दुनिया भर में आज भी महिलाएं पुरुषों से कम कमाती हैं। ऐसे में उनके लिए रिटायरमेंट प्लान करना, इमरजेंसी से निपटना या बड़ी ज़रूरत के समय पैसे का इंतज़ाम करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए ज़रूरी है कि महिलाएं अपने पैसे की इंचार्ज खुद बनें।
महिलाएं और पैसा: क्यों ज़रूरी है अपने फाइनेंस पर कंट्रोल?
क्यों ज़रूरी है फाइनेंशियल कंट्रोल?
जब महिला अपनी इनकम पर कंट्रोल रखती है तो वह किसी पर भी डिपेंड नहीं रहती। अगर वह किसी मुश्किल या अस्वस्थ रिश्ते से बाहर निकलना चाहे तो उसके लिए यह आसान हो जाता है। पैतृक सोच हमेशा महिलाओं को पैसे और फैसलों से दूर रखती आई है। लेकिन जब महिला अपने पैसे खुद मैनेज करती है, तो घर से लेकर वर्कप्लेस तक उसकी राय मायने रखने लगती है। पैसों पर बातचीत करना, सीखना और फैसले लेना एक तरह से टैबू तोड़ना है और यही सबसे बड़ी ताकत है।
आर्थिक सशक्तिकरण के कदम
महिलाओं के लिए सबसे पहले फाइनेंशियल अवेयरनेस ज़रूरी है। उन्हें पता होना चाहिए कि उनकी इनकम कितनी है और खर्च कहां जा रहा है। बजट बनाना, बचत और निवेश की जानकारी होना बेहद आवश्यक है। म्युचुअल फंड, स्टॉक्स, गोल्ड और एफडी जैसे विकल्पों को समझना और उनका इस्तेमाल करना महिलाओं को और मज़बूत बना सकता है। इसके साथ ही हर महिला के पास कम से कम 3 से 6 महीने का इमरजेंसी फंड होना चाहिए ताकि किसी भी स्थिति में वह खुद को सुरक्षित रख सके।
सुरक्षा और अधिकार
आज के समय में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह न सिर्फ महिला को बल्कि उसकी पूरी फैमिली को सुरक्षा देता है। इसके अलावा अपने लीगल राइट्स की जानकारी रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। पैसा सिर्फ खर्च करने या बचाने का ज़रिया नहीं है, यह पावर और आज़ादी का प्रतीक भी है। जब महिलाएं अपने पैसों पर कंट्रोल रखती हैं, तो वह न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए बराबरी का रास्ता खोलती हैं।