डॉ. कमला सेल्वराज, जिनके नाम दक्षिण भारत की पहली टेस्ट-ट्यूब बेबी (IVF) का रिकॉर्ड है, न केवल एक नामचीन गायनकोलॉजिस्ट हैं, बल्कि उन्होंने अपने क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां भी हासिल की हैं। 1990 में दक्षिण भारत की पहली टेस्ट-ट्यूब बेबी और 1994 में भारत की पहली सरोगेट बेबी को जन्म देने के बाद उनका नाम मेडिकल दुनिया में एक चमकते सितारे की तरह उभरा। इस लेख में हम डॉ. कमला की अनूठी यात्रा, उनके परिवार और उनके योगदान को जानेंगे, जो न केवल महिलाओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि समग्र चिकित्सा क्षेत्र के लिए भी एक आदर्श प्रस्तुत करता है।
कौन हैं डॉ. कमला सेल्वराज? जानें दक्षिण भारत की पहली टेस्ट-ट्यूब बेबी को जन्म देने वाली डॉक्टर की प्रेरणादायक कहानी
डॉ. कमला सेल्वराज का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. कमला सेल्वराज का जन्म 13 दिसंबर, 1948 को फिल्म जगत के महान अभिनेता, जेमिनी गणेशन और उनकी पत्नी अलमेलु के घर हुआ। जेमिनी गणेशन, जिन्हें "कादल मन्नान" के नाम से भी जाना जाता था, तमिल सिनेमा के रोमांटिक नायक रहे हैं। कमला का पालन-पोषण उनके दो बहनों—रेवती और जयलक्ष्मी के साथ हुआ, जो खुद डॉक्टर बनीं, और नारायणी, जो एक पत्रकार हैं। डॉ. कमला सेल्वराज, सुपरस्टार रेखा की आधी बहन भी हैं, जो जेमिनी गणेशन की दूसरी पत्नी, एक्ट्रेस पुष्पावली की बेटी हैं।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा साक्रेड हार्ट स्कूल, चेन्नई से प्राप्त की और फिर कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, कर्नाटका से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मद्रास जनरल अस्पताल में अपना हाउस जॉब किया और प्रजनन भौतिकी में पीएचडी की।
एक अद्वितीय गायनकोलॉजिस्ट का सफर
डॉ. कमला सेल्वराज ने ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में IVF के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया और 1989 में GG अस्पताल में अपने पिता के नाम पर एक फर्टिलिटी रिसर्च सेंटर की स्थापना की। यहीं पर उन्होंने 1990 में दक्षिण भारत की पहली टेस्ट-ट्यूब बेबी (IVF) को जन्म दिया। इसके बाद, 1994 में भारत की पहली सरोगेट बेबी को जन्म देने का भी श्रेय उन्हें ही मिला।
डॉ. कमला ने अपनी खुद की FROOTI तकनीक का आविष्कार किया, जिसका उपयोग उन्होंने 1995 में एक बच्चे के जन्म में किया।
Southeast Asia की पहली सरोगेट बेबी
19 जनवरी 2001 को, डॉ. कमला सेल्वराज ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त की जब उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशिया की पहली सरोगेट ट्विन्स बेबी को जन्म दिया, जो MRKH सिंड्रोम से पीड़ित एक महिला मरीज के लिए थी। इस सिंड्रोम में महिलाओं के प्रजनन अंगों का पूर्ण विकास नहीं होता, लेकिन बाहरी अंग सामान्य रूप से विकसित होते हैं।
डॉ. कमला सेल्वराज का परिवार और उनकी प्रेरणा
डॉ. कमला सेल्वराज का परिवार भी चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। उनके पति, डॉ. सोमैया फ्रांसिस विक्टर सेल्वराज, एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ थे और उनके साथ GG अस्पताल में काम करते थे। उनके बेटे, डॉ. दीपु राजकमल सेल्वराज, एडवांस्ड लैप्रोस्कोपिक सर्जन हैं और उनकी बेटी, डॉ. प्रियंका सेल्वराज, प्रजनन तकनीक के क्षेत्र में अनुसंधान कर रही हैं।
डॉ. कमला सेल्वराज की यात्रा महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके द्वारा किए गए चिकित्सा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान न केवल एक चिकित्सक के रूप में उनके कौशल को दर्शाते हैं, बल्कि एक महिला के रूप में उनकी शक्ति और दृढ़ता को भी उजागर करते हैं। वे "गॉडमदर" के रूप में हजारों जोड़ों के लिए जीवन का सबसे बड़ा उपहार, मातृत्व, प्रदान करने वाली एक अद्वितीय शख्सियत हैं।