रुक्माबाई ने न केवल लिंग भेद को चुनौती देकर डॉक्टर बनने का रास्ता बनाया, बल्कि पितृसत्ता का विरोध करते हुए भारत की पहली महिला बनीं, जिन्होंने तलाक लिया।
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