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जानिये कौन थी Annie Besant कांग्रेस की पहली महिला अध्यापक

जब भारतीय आजादी के वक्त में महिलाओं के हिस्सेदारी और योगदान की चर्चा होती हैं तो उसमें से एक नाम ऐनी बेसंत का भी होता हैं। ऐनी एक ब्रिटिश महिला थी पर उन्होंने हमेशा से भारत के आजादी के लिए अपना योगदान दिया हैं ।

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Khushi Jaiswal
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Annie Besant : जब भारतीय आजादी के वक्त में महिलाओं के हिस्सेदारी और योगदान की चर्चा होती हैं तो उसमें से एक नाम ऐनी बेसंत का भी होता हैं। ऐनी एक ब्रिटिश महिला थी पर उन्होंने हमेशा से भारत के आजादी के लिए अपना योगदान दिया हैं। ऐनी का जन्म लंदन में सन 1847 में लंदन में हुआ था। उनका बचपन काफी दुखद था क्योंकी उनके पिता के निधन के बाद उन्हें गरीबी का सामना करना पड़ा था। बताया जाता हैं की ऐनी की पढ़ाई उनकी माँ के दोस्त से करायी थी। बचपन से ऐनी को अपने कर्तव्यों का आभास था 20 साल की उम्र में उनकी शादी हुई पर बादमे किसी कारण वश दोनों अलग होगए ऐनी के 2 बच्चें भी थे। ऐनी ने कभी भगवन में विश्वास नहीं किया और महिलाओं के प्रगति के लिए उन्होंने हमेशा से पहला कदम लिया हैं। कई बार उनकी विचार धारा ने उनको समाज से काफी आलोचना दिलाई हैं। 

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ऐनी का भारत में आने से लेकर कांग्रेस की पहली महिला अध्यापक बनाने का सफर 

ऐनी भारत में वर्ष 1893 को थियोसोफिकल सोसायटी का हिस्सा बनाकर आई थी । तबसे वो इस सोसाइटी की लीडर थी और वो काफी एक्टिव थीं महिलाओं के लिए उन्होंने हमेशा से बहुत कार्य किया हैं। ऐसे ही समय के साथ उन्होंने भारतीय नेशनल कांग्रेस को ज्वाइन किया जहां से उनका भारत को आजादी दिलाने के सफर की शुरुवात हुई। ऐनी ने कई पत्रिकाए और किताबे लिखकर ब्रिटिश सरकार की आलोचना की हैं और उनकी पत्रिका न्यू इंडिया और कॉमेन् वेल भारत में लोगों द्वारा काफी पढ़ा जाता था जिसमे वो हर मुद्दों पर अपनी राय लिखती थी आज भी ऐनी बेसंत की बात होती हैं उनकी ये पत्रिकाओं को याद किया जाता हैं। 

बेसंत ने बाल गंगा धर तिलक के साथ आल इंडिया होम रूल लीग को लांच किया था। इसका उद्येश था देश भर में  खुद राज करना। ये भी उस वक्त ब्रिटिश के लड़ने के लिए बनाई गयी समिति थीं। ऐनी इनके मीटिंग्स में कई भाषण देती थी जोकि ब्रिटिशों के खिलाफ रहता था जिसके कारण उन्हें जेल में भी डाल दिया गया था बादमें कईयों ने उनके रिहाई के लिए डिमांड किया था। 

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1917 में उन्हें जेल से रिहा किया गया था और तभी उन्हें कांग्रेस का प्रेसिडेंट भी बनाया गया था। वो तब पहली महिला बनी जिसे कांग्रेस का प्रेसिडेंट नियुक्त किया गया था वर्ल्ड वॉर 1 के ख़तम होने तक उन्होंने प्रेसिडेंट की कमान संभाली उनका निधन 1933 में 85 वर्ष की आयु में हुआ था।

 

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