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Sheetal Raj: उत्तराखंड की बेटी ने रचा इतिहास, बनीं माउंट Cho Oyu फतह करने वाली पहली भारतीय महिला

उत्तराखंड की 29 वर्षीय शीताल राज ने 8,188 मीटर ऊंचे माउंट Cho Oyu की चढ़ाई कर भारत का नाम रौशन किया। जानिए उनकी प्रेरणादायक यात्रा और कठिनाइयों को पार करने की कहानी।

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Vaishali Garg
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Sheetal Raj

Image Credit: Sheetal Raj, Facebook

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सलमोड़ा गांव की 29 वर्षीय पर्वतारोही शीताल राज ने 8 अक्टूबर को 8,188 मीटर ऊंचे माउंट Cho Oyu की चोटी पर चढ़कर इतिहास रच दिया। माउंट Cho Oyu दुनिया का छठा सबसे ऊंचा पर्वत है और यह नेपाल-तिब्बत सीमा पर स्थित है। इस अद्वितीय सफलता के साथ शीताल राज ने न केवल अपनी अदम्य इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया, बल्कि हिमालयी क्षेत्र की महिलाओं की अपार शक्ति का प्रतीक भी बन गईं।

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शीताल राज: उत्तराखंड की बेटी ने रचा इतिहास, बनीं माउंट Cho Oyu फतह करने वाली पहली भारतीय महिला

चुनौतियों से भरी शीताल की यात्रा

शीताल का यह सफर न केवल शारीरिक रूप से कठिन था, बल्कि मानसिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण था। लगभग दो साल पहले एक गंभीर चोट के कारण उन्हें लगा कि उनका पर्वतारोहण करियर शायद खत्म हो जाएगा। स्कीइंग के दौरान उनके घुटने में लिगामेंट टियर हो गया था और उन्हें सर्जरी करानी पड़ी। "ऑपरेशन के बाद ऐसा लगा कि सब खत्म हो गया," शीताल ने बताया। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से खुद को फिर से खड़ा किया।

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फिल्म 12th Fail देखकर उनकी भीतर की ताकत फिर जागी, और हंस फाउंडेशन और एथिकल हिमालया एक्सपेडिशन जैसी संस्थाओं के सहयोग से शीताल ने पर्वतारोहण की अपनी यात्रा फिर से शुरू की।

कई कीर्तिमानों की धनी हैं शीताल

अगस्त 2018 में, केवल 22 साल की उम्र में, शीताल राज ने दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंघा पर चढ़ाई कर सबसे कम उम्र की महिला पर्वतारोही बनने का गौरव हासिल किया। मई 2019 में, उन्होंने Climbing Beyond the Summit: Everest Expedition 2019 का हिस्सा बनकर माउंट एवरेस्ट फतह किया और सबसे कम उम्र में इस महान चोटी पर चढ़ने वाली महिला बनीं।

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साधारण परिवार से असाधारण सफलता तक

शीताल राज का पर्वतारोहण से पहला परिचय 9वीं कक्षा में एनसीसी के माध्यम से हुआ था। उनके पिता उमाशंकर राज एक टैक्सी चालक हैं और लगभग ₹6000 प्रति माह कमाते हैं, जबकि उनकी माता सपना देवी एक गृहिणी हैं। जब शीताल ने एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने की सफलता पाई, तो उनकी मां ने गर्व से कहा, “मेरा बच्चा हमेशा हर काम में अच्छा था। मुझे गर्व है कि उसने अपने सपने को साकार किया।” उनके पिता ने इसे नारी सशक्तिकरण का प्रतीक बताया।

शीताल की मेहनत और समर्पण की तारीफ

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शीताल के प्रशिक्षक योगेश गर्ब्याल ने उनकी मेहनत और समर्पण की तारीफ करते हुए कहा, "वह हमेशा मेहनती रही है और अपनी क्षमताओं से परे जाकर खुद को साबित किया है। प्रशिक्षण के दौरान वह खुद को हमेशा बेहतर बनाने के लिए संघर्ष करती थीं।"

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सम्मान और पुरस्कार

2021 में शीताल राज को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा प्रतिष्ठित तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनकी इस अद्वितीय उपलब्धि की सराहना की।

शीताल राज की इस अद्भुत सफलता ने भारत के पर्वतारोहण इतिहास में एक नई इबारत लिख दी है, और यह युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।

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