/hindi/media/media_files/2025/04/25/r5UQNTisRvI6wN5rRDBo.png)
Photograph: (yourstory)
Has Latika Nath as the Tiger Princess transformed the face of wildlife conservation: एक समय था जब वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बेहद कम मानी जाती थी, और इसे मुख्यतः पुरुषों का ही क्षेत्र समझा जाता था। लेकिन जब लतिका नाथ ने इस रास्ते को चुना, तो उन्होंने न सिर्फ चुनौतियों का सामना किया, बल्कि अपने काम से एक नई पहचान भी बनाई। भारत की 'टाइगर प्रिंसेस' कही जाने वाली लतिका नाथ ने अपने समर्पण, शोध और संघर्ष के बल पर वनों और बाघों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाई। उनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो निडर होकर अपने जुनून को अपनाना चाहते हैं।
क्या Latika Nath ने ‘टाइगर प्रिंसेस’ बनकर वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन का चेहरा बदल दिया है?
जब कोई लड़की कहती है कि वह जंगलों में काम करना चाहती है, जानवरों पर रिसर्च करना चाहती है, तो ज़्यादातर घरों में सबसे पहले चिंता होती है। क्या ये सुरक्षित है?, वहाँ तो सिर्फ मर्द काम करते हैं, तू अकेली लड़की क्या कर पाएगी जंगलों में? ये सवाल हर उस परिवार में उठते हैं जहाँ बेटी कोई अलग रास्ता चुनना चाहती है। और लतिका नाथ ने भी अपने सफर की शुरुआत ऐसे ही माहौल में की थी।
एक दौर ऐसा भी था जब वाइल्डलाइफ़ रिसर्च और संरक्षण जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका बहुत सीमित मानी जाती थी। इस क्षेत्र का ज़्यादातर काम जंगलों में होता था बाघों का पीछा करना, आंकड़े इकट्ठा करना, वहीं रहना और कई बार राजनीतिक और प्रशासनिक मुश्किलों से भी निपटना पड़ता था। ज़्यादातर काम फील्ड में होता था जंगलों में रहना, बाघों के पीछे-पीछे घूमना, डेटा कलेक्ट करना और कई बार राजनीति और सिस्टम की उलझनों से भी जूझना। ऐसे में एक लड़की का इस क्षेत्र में आना बहुत लोगों को अजीब लगा होगा। लेकिन लतिका नाथ ने किसी की नहीं सुनी उन्होंने सिर्फ अपने दिल की सुनी।
उन्होंने टाइगर कंजर्वेशन को अपना रिसर्च टॉपिक चुना, और अकेले ही मध्यप्रदेश के घने जंगलों में जाकर काम किया। उस समय ना कोई लंबा रिकॉर्ड था, ना ही कोई तय दिशा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जंगल के हर पेड़, हर आवाज़ को समझा, और बाघों के रहन-सहन को करीब से जाना। कई बार काम में दिक्कतें आईं, सिस्टम ने भी परेशान किया, लेकिन उन्होंने अपना ध्यान नहीं हटाया।
धीरे-धीरे लोग उन्हें पहचानने लगे। उनके काम को सराहा गया। और एक दिन उन्हें भारत की 'टाइगर प्रिंसेस' कहा जाने लगा। यह नाम सिर्फ उनकी पहचान नहीं बना, बल्कि उस सोच को भी चुनौती दी जिसमें महिलाओं को ऐसे क्षेत्रों के लिए “कमज़ोर” माना जाता था।
लतिका की कहानी एक ऐसे बदलाव की शुरुआत है, जहाँ अब लड़कियां न सिर्फ जंगलों में रिसर्च कर रही हैं, बल्कि वो नेतृत्व कर रही हैं, दिशा दे रही हैं, और एक नई सोच को जन्म दे रही हैं। हर परिवार को पहले डर लगता है जंगल, खतरे, समाज क्या कहेगा लेकिन जब कोई लड़की आगे बढ़ती है और कुछ बड़ा कर दिखाती है, तो वही डर एक दिन गर्व में बदल जाता है।