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Photograph: (motownindia)
Is the path to the automobile industry becoming easier for women: एक समय था जब ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था, लेकिन अब तस्वीर धीरे-धीरे बदल रही है। आज महिलाएं न केवल इस इंडस्ट्री में कदम रख रही हैं, बल्कि नेतृत्व की भूमिका में भी नज़र आ रही हैं। धिव्या सुर्यदेवरा इसका जीता-जागता उदाहरण हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से जनरल मोटर्स जैसी दिग्गज कंपनी में चीफ़ फाइनेंशियल ऑफ़िसर (CFO) का पद हासिल किया। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो तकनीकी और ऑटोमोबाइल सेक्टर में अपना भविष्य देख रही हैं।
क्या महिलाओं के लिए ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का रास्ता आसान हैं?
हमारे समाज में जब भी कोई करियर चुनने की बात होती है, तो अक्सर परिवार इस पर विचार करता है कि वो काम लड़की के लिए ठीक रहेगा या नहीं। खासकर तकनीकी और पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में तो यह सोच और भी गहरी हो जाती है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री भी ऐसा ही एक क्षेत्र है, जहाँ आज से कुछ साल पहले तक महिलाओं की मौजूदगी बेहद कम थी। अधिकतर लोगों को लगता था कि यह भारी-भरकम मशीनों और टेक्निकल कामों से जुड़ा हुआ फील्ड है, जो सिर्फ पुरुषों के लिए ही उपयुक्त है।
हर घर में जब कोई लड़की इस फील्ड में जाने की बात करती है, तो सबसे पहले परिवार को चिंता होती है क्या ये काम हमारे बेटी के लिए सुरक्षित है?, क्या वहाँ उसे बराबरी का मौका मिलेगा?, क्या वो इस माहौल में अपने आपको सहज महसूस करेगी? ये सवाल सिर्फ घरवालों के नहीं होते, खुद लड़की के मन में भी यही बातें चलती हैं।
हालाँकि, समय बदल रहा है। अब महिलाएं हर फील्ड में खुद को साबित कर रही हैं, और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री भी इससे अछूता नहीं रहा। आज धिव्या सुर्यदेवरा जैसी महिलाएं, जो जनरल मोटर्स जैसी बड़ी कंपनियों में ऊँचे पदों पर हैं, ये साबित करती हैं कि मेहनत और काबिलियत के आगे जेंडर मायने नहीं रखता। अब कंपनियां भी महिलाओं को सपोर्ट कर रही हैं वर्कप्लेस में बेहतर माहौल, सुरक्षा, और ग्रोथ के मौके देकर।
अब कई कॉलेज और संस्थान भी लड़कियों को मोटिवेट कर रहे हैं कि वे ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग जैसे कोर्सेज करें। धीरे-धीरे समाज की सोच में भी बदलाव आ रहा है। लोग अब यह मानने लगे हैं कि अगर कोई लड़की इस फील्ड में जाना चाहती है, तो उसे मौका मिलना चाहिए।
बदलाव की शुरुआत हमेशा सवालों से होती है पहले लोग डरते हैं, फिर सोचते हैं, फिर समझते है..और आखिरकार रास्ता बनता है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में भी महिलाओं का रास्ता आसान नहीं था, लेकिन अब ये रास्ता खुल रहा है धीरे-धीरे, लेकिन मजबूती से।