Savitribai Phule: मदर ऑफ़ इंडियन फेमिनिज्म के रूप में जानी जाती हैं

भारतीय नारीवाद की जननी होना बहुत भारी उपाधि है। हैं ना? और आपको पता है इसके अलावा उन्हें पहली भारतीय आधुनिक महिला नारीवाद के रूप में भी जाना जाता है। तो आइए आज के इस प्रेरणादायक ब्लॉक में जानते हैं कौन है वह-

Vaishali Garg
15 Dec 2022 | अद्यतनित 10 Mar 2023
Savitribai Phule: मदर ऑफ़ इंडियन फेमिनिज्म के रूप में जानी जाती हैं

savitribai phule

Savitribai Phule: वह एक कवित्री थीं, वह एक सोशल रिफॉर्मर थीं और एक शक्तिशाली महिला थीं जिनकी जर्नी ने सिर्फ मुझे बस इंस्पायरर नहीं किया बल्की और भी कई महिलाओं को इंस्पायर किया।जिनका नाम है सावित्रीबाई फुले। इनका जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के नएगांव में हुआ। भारतीय Feminism की जननी होना बहुत भारी उपाधि है। हैं ना? और आपको पता है इसके अलावा उन्हें पहली भारतीय आधुनिक महिला नारीवाद के रूप में भी जाना जाता है।

तो आइए आज के इस प्रेरणादायक ब्लॉग में जानते हैं सावित्रीबाई फुले की कहनी के बारे में-

सावित्रीबाई फुले माली कम्युनिटी में पैदा हुई थी, इसे भारतीय जाति व्यवस्था की वर्ण व्यवस्था में शूद्र कैटेगरी में रखा जाता था और अक्सर उस समय इस कम्युनिटी के लोग गार्डनर या फ्लोरिस्ट का काम करते थे। इस कारण से उन्हें भेदभाव का काफी सामना करना पड़ता था और यही कारण था कि सावित्रीबाई फुले पढ़ना चाहती थीं। उस समय सिर्फ अपर कास्ट के लोगों को पढ़ने का अधिकार था।

सावित्रीबाई फुले बाल विवाह का भी शिकार हुईं थीं क्योंकि जब वे सिर्फ 9 साल की थी तब उनकी शादी ज्योतिराव गोविंदराव फुले से करा दी गई थी।

Who Was Jyotirao Govindrao Phule?

ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म भी महाराष्ट्र में हुआ था और वह भी माली कम्युनिटी से थे। ज्योतिराव एंटी सोशल रिफॉर्मर, सोशल एक्टिविस्ट और एक लेखक थे। वह सिर्फ 13 साल के थे जब उनकी शादी करा दी गई थी।

ज्योति राव फूले सावित्रीबाई फुले को काफी प्रोत्साहित करते थे पढ़ने के लिए, सावित्रीबाई फुले ने जब पढ़ना शुरू किया तब उनके मन में सिर्फ एक प्रश्न रहता था कि बाकी लड़कियां क्यों नहीं पढ़ रहीं। सावित्रीबाई फुले के इसी विचार के कारण उन्होंने पहला स्कूल खोला जो सिर्फ लड़कियों के लिए था। फिर कुछ समय बाद उन्होंने एक केयर सेंटर खोला जिसका नाम था बालहत्या प्रतिबंधक गृह जो की प्रेगनेंट महिलाओं के लिया था जो रेप की शिकार हो जाती थीं। फिर उन्होंने एक क्लीनिक खोला जहां पर प्लेग से अफेक्टेड मरीजों का इलाज होता था। 1897 में प्लेग एक वैश्विक महामारी थी।

सावित्रीबाई फुले का जीवन बिलकुल भी आसान नहीं था क्योंकी जब उन्होंने महिला शिक्षा की बात शुरू की तब उन्हें अपर कास्ट तो छोड़ो अपनी खुद की कम्युनिटी से बहुत criticism और resistance झेलना पड़ा।

सावित्रीबाई फुले जब स्कूल जाती थीं तब उस समय उन्हें एक एक्स्ट्रा साड़ी लेकर जानी पड़ती थी क्योंकि जब वह स्कूल से लौटती थीं तब उन्हें बहुत पथराव का सामना करना पड़ता था और लोग उनके ऊपर गोबर तक फेक देते थे। साथ ही साथ ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले को उनके घर से भी निकाल दिया गया था।

किन-किन अधिकारों के लिए सावित्रीबाई फुले ने लड़ाई लड़ी ?

इन सब के बावजूद भी वह रुकीं नहीं उन्होंने अपनी पूरी लाइफ castism, gender discrimination, equal rights on education for everyone के लिए लड़ने भी व्यतीत कर दी।

1800 के दशक में भी, वह दृढ़ संकल्प और साहस वाली महिला थीं और उनके संघर्ष ने निश्चित रूप से हमें बहुत इंस्पायर किया है। इसलिए अब हमारा कर्तव्य है कि हम किसी भी अन्याय या असमानता के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं।

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