How Neena Gupta Continues to Rule Our Hearts: 4 जून 1960 में कोलकाता के एक वेल-टू-डू फैमिली में नीना गुप्ता का जन्म हुआI उनकी पढ़ाई सनावर के बोर्डिंग स्कूल- द लॉरेंस स्कूल में हुई और उन्होंने अपना ग्रेजुएशन जानकी देवी गर्ल्स स्कूल से किया जहां पर वह पहली बार अभिनय से रूबरू हुई और तभी उन्होंने ठान लिया की उन्हें एक अभिनेत्री बनना हैI तब से उनकी ना सिर्फ अपने परिवार से बल्कि बाहर के जगत के साथ भी जंग शुरू हो गई और हर बार उन्होंने यह साबित किया कि यदि नारी को अपने आप पर विश्वास हो और कुछ कर दिखाने की लालसा हो तो वह हर जंग फतह कर सकती हैI
नीना जी भारतीय सिनेमा की उन कुछ गिने-चुने कलाकारों में से है जिन्होंने अपनी फिल्म करियर में हर तरह के किरदार निभाए चाहे वह कितने ही कॉम्प्लिकेटेड क्यों ना हो या या कोई भी मीडियम होI नीना जी अपने बोल्ड एवं डेरिंग अंदाज के कारण आने वाली हर पीढ़ी के लिए एक आइकॉन है जिसके जैसे बनने की हर नारी को तमन्ना हैI
कैसे बनी नीना गुप्ता हम सब की प्रेरणा?
1. अपने सपनों के लिए सबसे लड़ जाना
नीना जी की मां शकुंतला गुप्ता जोकि एक अध्यापिका थी उन्होंने अपनी बेटी का भविष्य अच्छी तरह से सोच रखा था परंतु नीना जी की कुछ और ही मंशा थीI एक दिन उनके एक्टिंग इंस्ट्रक्टर इब्राहिम अल्काजी को अभिनय करते देख वह स्तब्ध रह गई और तभी उन्होंने यह निश्चय किया कि उन्हें भविष्य में अभिनेत्री बनना हैI अपने माता के खिलाफ जाकर उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एन.एस.डी) की पहली ही इंटरव्यू में दाखिला ले लिया और तब से अभिनय जगत में उनका यादगार सफ़र शुरू हो गयाI
2. अपनी कलाकारी से दर्शकों का दिल जीत लेना
1922 में रमन कुमार द्वारा निर्देशित 'साथ-साथ' में नीना जी ने बॉलीवुड में अपना डेब्यू कियाI उसके बाद गांधी जाने भी दो यारो मंडी त्रिकाल जैसे अनकन्वेंशनल फिल्मों में अपने अभिनय का अद्भुत प्रदर्शन कियाI
उनकी कला केवल फिल्मों तक ही सीमित नहीं रहीI उन्होंने दूरदर्शन पर 'बुनियाद', 'खानदान' जैसे टी.वी सीरियल में रोल निभायाI 1993 में उनकी निर्देशित डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'बाज़ार सीताराम' के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गयाI 1994 में उन्होंने फिर से 'सास' नामक सीरियल में अभिनय के साथ-साथ उसकी रचना एवं निर्देशन भी कियाI
3. मुश्किलों का सामना करके जीवन में आगे बढ़ना
1989 को उन्होंने वेस्टइंडीज के क्रिकेटर विव रिचर्ड्स के बेटी को जन्म दिया जिस बात को उन्हें सबसे छुपाना पड़ा परंतु बिना शादी किए मां बनने के कारण उन्हें समाज की तिरछी नज़रो का सामना करना पड़ा और यह बात जब दुनिया के सामने आई तब इसका असर उनकी निजी जीवन और काम पर पड़ाI शायद उन्हें अपने रिश्ते का अफसोस हो सकता है परंतु एक मां बनने का अफसोस उन्हें कभी नहीं हुआI
नीना अपनी लड़ाई लड़ी और अपनी बेटी को बिना किसी पुरुष के सहारे के पाल-पोसकर बड़ा किया बिनाI 49 की उम्र में उन्होंने अपने पति विवेक मेहरा से शादी करके यह बात साबित कर दी कि हम कब, किसके साथ अपना जीवन बिताना चाहे इससे हमारी उम्र का कोई ताल्लुक नहींI
4. अपनी बात को सामने रखने से पीछे ना हटना
64 की उम्र में भी नीना गुप्ता केवल अपने ही नहीं बल्कि हर नारी की प्रेरणा है क्योंकि वह कभी भी अपनी बात को सामने रखने से नहीं घबराती, अपने पहनावे से नहीं शर्मातीI वह मानती है कि हर नारी को अपनी खुशी से जीने का पूरा हक है चाहे उनकी उम्र जितनी भी हो या वह किसी की बीवी हो या मांI
जब नीना जी दिल्ली से मुंबई लौटी और उनके पास काम नहीं था तो उन्होंने बिना किसी शर्म के सोशल मीडिया में उनके काम करने की इच्छा को ज़ाहिर कियाI उसके बाद 2018 में 'बधाई हो' में बबली के किरदार के माध्यम से लेट-मदरहुड एवं वुमेन सेक्सुअलिटी जैसे विषयों पर चर्चा की जिसकी बदौलत उन्हें उस वर्ष 'फिल्म-फेयर बेस्ट एक्ट्रेस' के अवार्ड से सम्मानित किया गयाI चाहे फिल्म का सेट हो या फिर जीवन का रंगमंच नीना जी कभी भी पीछे नहीं हटी और सदैव अपना सर्वोत्तम दियाI