Ashamed: आप जिस भी महिला से मिलते हैं उसकी एक अलग कहानी होती है, परिस्थितियों का एक अलग सेट, एक अलग पसंद और नापसंद होती है। इन मतभेदों से किसी महिला के मूल्य को अमान्य नहीं किया जाना चाहिए या शर्मिंदगी का कारण नहीं बनना चाहिए, बल्कि जश्न मनाया जाना चाहिए। हर महिला को जैसी हैं वैसे ही स्वीकार किया जाना चाहिए। हर महिला अपने जीवन में कठिन लड़ाई लड़ रही होती है और उन्हें कुछ चीजों के लिए शर्मिंदा या शर्म नही आनी चाहिए। आए जानते हैं इस ब्लॉग में महिलाएँ को कभी किन बातें से शर्मिंदा नहीं होना चाहिए।
किन बातें से महिलाओ को शर्मिंदा नहीं होना चाहिए?
1. शारीरिक छवि(Body images)
लड़कियों को कभी भी अपने शरीर को लेकर शर्मिंदा नहीं होना चाहिए चाहे उनका आकार, साइज़ या रूप कुछ भी हो। नेगेटिविटी को दूर करें अपनी आत्म-छवि के लिए अपने आप को गले लगायें और अपने आप से अपनी बॉडी से प्यार करें।
2. परसुइंग एम्बिशंस(Pursuing ambitions)
लड़कियों को अपने सपनों और एम्बिशंस पर कभी शर्म नहीं करनी चाहिए। चाहे वह करियर चॉइस हो, अकादमिक खोज हो, या कोई अन्य जुनून हो, उन्हें बिना शर्म महसूस किए सामाजिक अपेक्षाओं से सीमित हुए बिना अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
3. रुचियां और शौक (Interests and hobbies)
लड़कियों को कभी भी अपनी रुचियों और शौक से शर्मिंदा नहीं होना चाहिए, भले ही वे स्टीरोटाइप के रूल्स हो, चाहे वह खेल हो, वीडियो गेम हो, कला हो, विज्ञान हो या कुछ और लड़कियों को फैसले के डर के बिना अपने जुनून को आगे बढ़ाने में फ्री महसूस करना चाहिए।
4. रिश्तों और सेक्सुअलिटी के संबंध में चॉइस (Choices regarding relationships and sexuality)
लड़कियों को रिश्तों, डेटिंग या अपनी सेक्सुअलिटी के संबंध में अपनी पसंद पर कभी भी शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी स्वयं की पहचान का पता लगाने और निर्णय लेने का अधिकार है।
5. गलतियाँ और असफलताएँ (Mistakes and failures)
लड़कियों को गलतियाँ करने या असफलताओं का अनुभव करने पर कभी भी शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। असफलता सीखने और विकास का एक स्वाभाविक हिस्सा है और लड़कियों को अपनी असफलताओं को अपनी खुद की प्रगति के अवसर के रूप में देखना चाहिए और आगे बढकर कुछ अलग करने की सोच रखनी चाहिए।
6. असेर्टिवनेस(Assertiveness)
लड़कियों को असेर्टिवनेस होने और अपने बारे में बोलने में कभी शर्म नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपनी राय व्यक्त करने, अपनी सीमाओं पर सोचने देना और अपनी जरूरतों के बारे में बोलने का पूरा अधिकार है।