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कॉर्पोरेट बोर्डरूम में अक्सर रिजेक्शन करियर के एक चैप्टर का अंत माना जाता है। लेकिन जूलिया स्टीवर्ट के लिए यही उनकी सबसे बड़ी जीत की शुरुआत साबित हुआ। 1990 के दशक के अंत में स्टीवर्ट एप्पलबीज़ की डोमेस्टिक डिवीज़न की प्रेसिडेंट थीं। उनके नेतृत्व में कंपनी का स्टॉक दोगुना हो गया और सेल्स तेज़ी से बढ़ीं। इससे वे CEO पद की मज़बूत दावेदार बनीं। स्टीवर्ट को पूरा भरोसा था कि यह पद उन्हें मिलेगा, इसलिए उन्होंने बोर्ड से अपनी उम्मीदवारी पर विचार करने को कहा।जवाब साफ था: “नहीं, कभी नहीं।” लेकिन स्टीवर्ट ने इसे अंत नहीं माना। सिर्फ 7 साल बाद उन्होंने 2.3 अरब डॉलर में यही कंपनी खरीद ली।
जूलिया स्टीवर्ट को CEO की नौकरी नहीं मिली, 7 साल बाद 2.3 अरब डॉलर में खरीदी कंपनी
असफलता से रणनीति तक: जूलिया स्टीवर्ट की कहानी
जूलिया स्टीवर्ट का बड़ा फैसला
2007 में जूलिया स्टीवर्ट ने घोषणा की कि IHOP, Applebee’s को खरीद लेगा। यह डील करीब 2.1 से 2.3 अरब डॉलर की थी। इस अधिग्रहण से दुनिया की सबसे बड़ी फुल-सर्विस रेस्टोरेंट कंपनी बनी, जिसमें 3,250 से ज़्यादा लोकेशन एक ही पैरेंट कंपनी डाइन इक्विटी (बाद में Dine Brands Global) के तहत आ गईं।
वित्तीय नतीजे
वित्तीय नतीजे इस कदम की बड़ी सफलता को दिखाते हैं। उसी साल IHOP की फ्रेंचाइज़ आय लगभग 15% बढ़ गई, जिसमें नया अधिग्रहित Applebee’s का बड़ा योगदान था। कंपनी की रेस्टोरेंट सेल्स 112 मिलियन डॉलर बढ़ीं, जिनमें से 108.8 मिलियन डॉलर सीधे Applebee’s से आए।
अधिग्रहण से जुड़े प्रशासनिक खर्च बढ़ने के बावजूद, IHOP ने फ्रेंचाइज़ प्रॉफिट में इज़ाफ़ा दर्ज किया और खुद को एक ग्लोबल इंडस्ट्री लीडर के रूप में स्थापित किया।
पर्सनल फुल-सर्कल मोमेंट
स्टीवर्ट के लिए यह सौदा सिर्फ बिज़नेस ट्रांजैक्शन नहीं था, बल्कि एक पर्सनल फुल-सर्कल मोमेंट था। इंटरव्यूज़ में उन्होंने याद किया कि कैसे उन्होंने उसी Applebee’s CEO को फोन किया, जिसने कभी उन्हें नौकरी देने से इनकार किया था, और बस इतना कहा, “हमने कंपनी खरीद ली है, और हमें दो CEO की ज़रूरत नहीं… इसलिए मुझे आपको जाना होगा।”