जानिए Dr. Kaberi Banerjee से IVF से जुड़ी बातें जो हर महिला को पता होनी चाहिए

डॉ. काबेरी बनर्जी एक दशक से अधिक समय से बांझपन और IVF विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने कई दंपतियों के माता-पिता बनने के सपने को साकार किया। SheThePeople के साथ हुई बातचीत में उन्होंने IVF को समझाने की कोशिश की और ऐसी बातें बताईं जो हर महिला को जाननी चाहिए।

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Rajveer Kaur
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IVF Process

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डॉ. काबेरी बनर्जी एक दशक से अधिक समय से बांझपन और IVF विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने कई दंपतियों के माता-पिता बनने के सपने को साकार किया। SheThePeople के साथ हुई बातचीत में उन्होंने IVF को समझाने की कोशिश की और ऐसी बातें बताईं जो हर महिला को जाननी चाहिए। Infertility और IVF विशेषज्ञ डॉ. काबेरी बनर्जी एक अनुभवी डॉक्टर हैं, जो IVF की प्रक्रिया में शुरू से लेकर अंत तक सहयोग करती हैं। 2014 में उन्होंने अपना क्लिनिक, एडवांस्ड फर्टिलिटी एंड गायनेकोलॉजी सेंटर, शुरू किया, जिसकी वे मेडिकल डायरेक्टर हैं और माता-पिता बनने के सपने को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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जानिए Dr. Kaberi Banerjee से IVF से जुड़ी बातें जो हर महिला को पता होनी चाहिए

भारत में IVF की स्वीकार्यता और सामाजिक बदलाव

डॉ. बनर्जी के अनुसार, 2006 से अब तक भारत में IVF को लेकर सोच में काफी बदलाव आया है। अब दंपत्ति खुद उनके पास आते हैं और IVF ट्रीटमेंट के लिए बात करते हैं। उनका कहना है कि पहले युवा दंपतियों के लिए इस विषय पर बात करना कठिन था, लेकिन अब वे न केवल इसे स्वीकार कर रहे हैं, बल्कि इसके बारे में समझना भी चाहते हैं। अब यह विषय उतना टैबू नहीं है हालांकि, पारिवारिक दबाव और सामाजिक झिझक अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, लेकिन समाज में बदलाव आ रहा है और आने वाले समय में और प्रगति होगी।

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IVF को लेकर सबसे बड़ी मिथ

IVF को लेकर कई मिथक प्रचलित हैं, जैसे कि इस प्रक्रिया में बहुत दर्द होता है या इसके लिए लंबे समय तक बेड रेस्ट की जरूरत है। इसके लिए कितना सहन करना पड़ेगा? डॉ. बनर्जी इन मिथकों को स्पष्ट करते हुए कहती हैं कि यह प्रक्रिया उतनी जटिल नहीं है, जितना लोग मानते हैं। इसमें न तो असहनीय दर्द होता है और न ही जीवन रुकता है। इसके साथ ही न ही आपको नौकरी छोड़ने की भी जरूरत पड़ती है।

IVF प्राकृतिक है या नहीं?

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उन्होंने आगे बताया कि कुछ लोग IVF को "प्राकृतिक नहीं" मानते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इसमें दंपत्ति के अपने अंडाणु (Egg) और शुक्राणु (Sperm).का उपयोग किया जाता है सिर्फ Fertilisation लैब में होता है, बाकी सब कुछ शरीर के अंदर ही होता है। उनका कहना है कि इससे अधिक प्राकृतिक कुछ नहीं हो सकता। यह पूरी तरह कपल का अपना बच्चा होता है।

मीडिया ने फैलाया डर

उन्होंने यह भी बताया कि IVF को लेकर मिथक फैलाने में मीडिया की भी भूमिका है। कुछ फिल्मों में भ्रूण की अदला-बदली जैसी कहानियाँ दिखाई जाती हैं, जिसके कारण दंपत्ति क्लिनिक में आने पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर पाते। उनके मन में डर रहता है, जिसे दूर करने की जरूरत है। डॉ. बनर्जी मानती हैं कि IVF की सही जानकारी लोगों तक पहुँचाने की जरूरत है। वे कहती हैं कि जिम्मेदार लोगों को ऐसी कहानियाँ दिखाने से पहले सोचना चाहिए, क्योंकि इससे समाज में बिना वजह का डर फैलता है। उन्हें जनता को कुछ भी दिखाने से पहले सोचना चाहिए।

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समाज की सोच

डॉ. बनर्जी का मानना है कि भारतीय समाज में अभी भी "प्राकृतिक गर्भधारण" को लेकर एक जुनून है। यदि कोई महिला स्वाभाविक रूप से गर्भवती नहीं हो पाती, तो उसे नीचा दिखाने की कोशिश की जाती है। उनका मानना है कि लोग आपको बुरा महसूस करवाने के लिए किसी भी तरीके को अपना सकते हैं लेकिन यह आप पर निर्भर करता है कि आप समाज की बातों को कैसे देखते हैं। उन्होंने बताया कि कई महिलाएँ अपने उपचार को लेकर बहुत स्पष्ट और साहसी होती हैं, जबकि कुछ परिवारों में इसे अभी भी छिपाया जाता है। उन्होंने कहा कि हम किसी को जज नहीं कर सकते हैं।

वर्क-लाइफ बैलेंस और इंटिमेसी की कमी

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डॉ. काबेरी से बातचीत में यह जानने की कोशिश की गई कि क्या वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी का महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि आधुनिक जीवनशैली में वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी का गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इससे दंपतियों के बीच Intimacy कम हो रही है। उन्होंने कहा कि कई बार उनके पास ऐसे दंपत्ति आते हैं, जिनमें केवल इंटिमेसी की कमी की वजह से ही बच्चा नहीं हो रहा होता है। जब यह कमी पूरी हो जाती है, तो महिला प्राकृतिक रूप से गर्भवती हो जाती है और IVF की आवश्यकता नहीं पड़ती।

उन्होंने सुझाव दिया कि दंपतियों को स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने की जरूरत है जैसे रोजाना एक्सरसाइज करना, पौष्टिक और स्वस्थ आहार खाना, स्ट्रेस को मैनेज करना और एक-दूसरे के लिए समय निकालना बहुत जरूरी है।

बायोलॉजिकल क्लॉक

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महिलाओं की प्रजनन क्षमता उम्र के साथ कम होती जाती है। डॉ. बनर्जी के अनुसार, 35 के अनुसार अंडाणुओं की गुणवत्ता और संख्या में कमी आती है, जिससे गर्भधारण मुश्किल हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रेगनेंसी में उम्र का बहुत बड़ा रोल है।

आज की महिलाओं के लिए Egg Freezing साइंस का सबसे बड़ा वरदान

न्होंने कहा कि आज की महिलाओं के लिए करियर भी प्राथमिकता है, जो बहुत जरूरी है लेकिन कई बार Family Planning में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस हर महिला का हक है जिसके लिए वह मेहनत भी करती हैं। वे सलाह देती हैं कि महिलाओं को 30 की उम्र बच्चे के बारे में सोचना चाहिए। यदि शादी या बच्चे की योजना में देरी हो रही है, तो Egg Freezing बढिय़ा ऑप्शन हो सकता है। यह तकनीक युवा उम्र में अंडाणुओं को संरक्षित करने में मदद करती है, जिसे बाद में IVF के लिए उपयोग किया जा सकता है। एग फ्रीजिंग उन महिलाओं के लिए एक साइंस का एक बढ़िया अविष्कार है जो करियर, फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस या अन्य कारणों की वजह से फैमिली प्लानिंग में देर हो जाती हैं।

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IVF में स्ट्रेस मैनेजमेंट बहुत जरूरी

इंटरव्यू में डॉ. कबेरी बनर्जी से पूछा गया कि IVF की प्रक्रिया तनावपूर्ण हो सकती है, तो इसके लिए क्या सुझाव हैं? उन्होंने बताया कि मरीजों को शुरू से ही असफलता की संभावना के लिए तैयार करना चाहिए, ताकि वे फेलियर को भी संभाल सकें। सिर्फ अच्छी बातें बताने से तनाव बढ़ता है। काउंसलिंग और थेरेपी जरूरी हैं। उनका मानना है कि मरीज को पहले से ही सारे प्रोसीजर के बारे में बताना चाहिए।

अविवाहित महिलाएँ और IVF

भारत में IVF अब केवल विवाहित महिलाओं तक सीमित नहीं है। कई क्लिनिक अब अविवाहित महिलाओं को भी एग फ्रीजिंग और IVF की सुविधा प्रदान करते हैं। ऐसे में समाज का नजरिया ऐसी महिलाओं के लिए अलग हो  सकता है लेकिन धीरे-धीरे यह भी बदल रहा है। ऐसे में कानूनी प्रक्रिया को भी ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।

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