जानिए कैसे Neha K Motwani महिलाओं के लिए बेहतर फर्टिलिटी केयर बना रही हैं

लुमा फर्टिलिटी की संस्थापक नेहा के. मोटवानी को फर्टिलिटी केयर को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाने के उनके काम के लिए सोलोप्रेन्योर श्रेणी में SheThePeople डिजिटल वुमन अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया।

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Rajveer Kaur
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How Neha K Motwani Is Building More Empathetic Fertility Care In india

कुछ साल पहले नेहा के. मोटवानी खुद को फर्टिलिटी केयर की एक जटिल, उलझन भरी और भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण दुनिया से गुजरते हुए पा रही थीं। जो शुरुआत में एक निजी संघर्ष था, उसने जल्द ही सिस्टम में मौजूद एक बड़ी कमी को उजागर कर दिया।

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इस अनुभव को बदलने के संकल्प के साथ उन्होंने लुमा फर्टिलिटी की स्थापना की जो एक ऐसा फर्टिलिटी क्लिनिक जो इस विश्वास पर आधारित है कि आधुनिक मेडिकल साइंस के साथ करुणा, पारदर्शिता और भावनात्मक सहयोग भी उतने ही ज़रूरी हैं।

जानिए कैसे Neha K Motwani महिलाओं के लिए बेहतर फर्टिलिटी केयर बना रही हैं 

SheThePeople डिजिटल वुमन अवॉर्ड्स 2025 में नेहा के. मोटवानी को फर्टिलिटी केयर को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाने के उनके प्रयासों के लिए सोलोप्रेन्योर श्रेणी में सम्मानित किया गया।

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लुमा फर्टिलिटी के ज़रिए नेहा का उद्देश्य सिर्फ़ मेडिकल समाधान देना नहीं है, बल्कि लोगों को आत्मविश्वास, सहजता और सही जानकारी के साथ निर्णय लेने की ताकत देना भी है।

नेहा के. मोटवानी: डिजिटल वुमन अवॉर्ड्स 2025

लुमा फर्टिलिटी के पीछे की कहानी क्या है?

लुमा फर्टिलिटी की शुरुआत एक बेहद निजी अनुभव से हुई। अपने फर्टिलिटी संघर्षों के दौरान नेहा ने खुद महसूस किया कि यह प्रक्रिया कितनी उलझन भरी, अकेली करने वाली और भावनात्मक रूप से थका देने वाली हो सकती है।

उन्हें सबसे ज़्यादा यह बात खली कि भारत में फर्टिलिटी केयर अक्सर बहुत लेन-देन जैसी लगती है जहाँ एक गहरे मानवीय अनुभव को सिर्फ़ एक मेडिकल प्रक्रिया की तरह देखा जाता है।

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नेहा कहती हैं, “मुझे लगा कि इसका कोई बेहतर तरीका होना चाहिए। यहीं से लुमा फर्टिलिटी की शुरुआत हुई जो एक अगली पीढ़ी का फर्टिलिटी क्लिनिक, जो आधुनिक मेडिकल साइंस के साथ करुणा, पारदर्शिता और सहानुभूति को जोड़ता है।”

लुमा फर्टिलिटी के ज़रिए नेहा फर्टिलिटी केयर को नए तरीके से पेश कर रही हैं। यह देखभाल इंसान को केंद्र में रखती है, भावनात्मक सहारा देती है, और सिर्फ इलाज नहीं बल्कि व्यक्ति की ओवरऑल ज़रूरतों के हिसाब से बनाई गई है।

लुमा में हर मरीज़ को देखा, सुना और स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाता है। फर्टिलिटी असेसमेंट से लेकर एडवांस्ड IVF तक, हमारा उद्देश्य इस सफ़र को कम डरावना और ज़्यादा सशक्त बनाना है।

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हम लोगों को सिर्फ़ मेडिकल समाधान नहीं देना चाहते, बल्कि उन्हें अपने शरीर और भविष्य से जुड़े फैसले आत्मविश्वास और सहजता के साथ लेने की ताकत देना चाहते हैं।

हमारा मिशन भारत में फर्टिलिटी केयर के केंद्र में मरीज़ को रखना सरल लेकिन क्रांतिकारी है क्योंकि फर्टिलिटी केयर सिर्फ़ गर्भधारण में मदद करने तक सीमित नहीं है, बल्कि किसी के जीवन के सबसे अहम सफ़र में उन्हें पूरा, समर्थित और नियंत्रण में महसूस कराने के बारे में है।

आपका बिज़नेस मॉडल क्या है?

लुमा में हमारा बिज़नेस मॉडल एक ही मूल विश्वास पर आधारित है कि फर्टिलिटी केयर जितनी क्लिनिकल हो, उतनी ही मानवीय, पारदर्शी और सशक्त भी होनी चाहिए।

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हम फुल-स्टैक, डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर मॉडल अपनाते हैं, जिसका मतलब है कि हम फर्टिलिटी के पूरे सफ़र को एक ही छत के नीचे संभालते हैं जो डायग्नोसिस और इलाज से लेकर भावनात्मक और समग्र सहयोग तक है।

हमारी मुख्य आय उन मरीज़ों से आती है जो IVF, एग और एम्ब्रियो फ्रीज़िंग, और फर्टिलिटी असेसमेंट जैसी सेवाएँ चुनते हैं। लेकिन जो बात हमें सबसे अलग बनाती है, वह है क्लिनिकल अनुभव के साथ जुड़ी हमारी टेक्नोलॉजी लेयर, जो पूरे सफ़र को अधिक स्पष्ट, भरोसेमंद और मरीज़-केंद्रित बनाती है।

हमारे कंपैनियन ऐप और AI-पावर्ड असिस्टेंट LumaAI के ज़रिए मरीज़ों को पूरे सफ़र के दौरान रीयल-टाइम अपडेट, सही मार्गदर्शन और भावनात्मक सहयोग मिलता है। इससे उन्हें वह स्पष्टता और आत्मविश्वास मिलता है, जो पारंपरिक फर्टिलिटी सेटअप में अक्सर नहीं मिल पाता।

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हमारे फिज़िकल क्लिनिक्स—जिसकी शुरुआत बांद्रा में हमारे फ्लैगशिप सेंटर से हुई—को भी बिल्कुल अलग तरह से डिज़ाइन किया गया है। ये क्लिनिक खुले, पारदर्शी और इन-हाउस लैब्स से लैस हैं, ताकि मरीज़ अपनी केयर को होते हुए देख सकें। इससे न सिर्फ़ भरोसा बनता है, बल्कि फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का अनुभव भी पूरी तरह बदल जाता है।

मेडिकल प्रक्रियाओं के अलावा, हम समग्र वेलनेस सेवाओं को भी जोड़ते हैं जैसे न्यूट्रिशन, एक्यूपंक्चर और IV थेरेपीताकि बेहतर नतीजे मिल सकें और भावनात्मक स्वास्थ्य भी सुधरे।

आख़िरकार, लुमा का बिज़नेस मॉडल सिर्फ़ फर्टिलिटी सेवाएँ देने तक सीमित नहीं है। इसका मक़सद एक ऐसा टेक्नोलॉजी-सक्षम, सहज और बेहद निजी अनुभव तैयार करना है, जिसमें व्यक्ति और कपल्स हर कदम पर खुद को जानकार, समर्थित और नियंत्रण में महसूस करें।

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आपने किस तरह की फंडिंग से शुरुआत की?

लुमा फर्टिलिटी ने अपनी शुरुआत 4 मिलियन डॉलर के सीड राउंड से की, जिसकी घोषणा जुलाई 2025 में की गई थी। इस राउंड का नेतृत्व Peak XV के Surge ने किया, और इसमें मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की अमीरा शाह और B2V वेंचर्स के विजय तापारिया जैसे दूरदर्शी निवेशकों का सहयोग मिला।

यह फंडिंग सिर्फ़ पूंजी नहीं है, बल्कि इस विश्वास की पुष्टि है कि भारत में फर्टिलिटी केयर को और ज़्यादा पारदर्शी, संवेदनशील और मरीज़-केंद्रित तरीके से दोबारा सोचा जा सकता है।

यह निवेश हमें फुल-स्टैक क्लिनिक्स के अपने नेटवर्क का विस्तार करने में मदद करेगा। मुंबई से शुरुआत करते हुए, अगले दो वर्षों में हम बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और दिल्ली तक पहुँचने की योजना बना रहे हैं।

हमारा लक्ष्य सोच-समझकर विस्तार करना है, ताकि हर नया लुमा क्लिनिक वही केयर, स्पष्टता और करुणा दे सके, जो हमारी पहचान है।

यह उपलब्धि एक बड़े विज़न की सिर्फ़ शुरुआत है जिसका उद्देश्य भारत भर में विश्वस्तरीय, भावनात्मक रूप से सहायक फर्टिलिटी केयर को सुलभ बनाना है।

तकनीक / डिजिटल आपके बिज़नेस में कैसे योगदान देती है?

लुमा में तकनीक कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं, बल्कि हमारी पूरी व्यवस्था की रीढ़ है। यही हमें फर्टिलिटी केयर को अधिक पारदर्शी, व्यक्तिगत और तनाव-रहित बनाने में मदद करती है।

अपने फर्टिलिटी सफ़र के दौरान मैंने खुद स्पष्टता और सही संवाद की कमी महसूस की थी और यही वह समस्या है जिसे हम बदलना चाहते थे।

हमने एक ऐसा टेक-इनेबल्ड इकोसिस्टम बनाया है, जो मरीज़ों को उनके पहले कदम से लेकर इलाज के बाद तक सहयोग देता है।

लुमा ऐप के ज़रिए मरीज़ अपने इलाज के हर चरण को ट्रैक कर सकते हैं, रिपोर्ट्स रीयल-टाइम में देख सकते हैं और अपने सफ़र पर नियंत्रण महसूस कर सकते हैं।

इसके साथ हमारा AI-पावर्ड असिस्टेंट, LumaAI, दवाइयों, टाइमलाइन और अगले स्टेप्स से जुड़े सवालों के लिए 24/7 आसान और स्पष्ट मार्गदर्शन देता है.जिससे ज़रूरत के समय भरोसा और सुकून मिलता है।

क्लिनिकल स्तर पर, हमारी इन-हाउस लैब ICSI जैसी प्रिसिशन एम्ब्रियोलॉजी तकनीकों का इस्तेमाल करती है, जिससे सफलता दर बेहतर होती है।

हमारी ओपन लैब डिज़ाइन मरीज़ों को प्रक्रिया के कुछ हिस्से देखने की सुविधा देती है, जो पारदर्शिता के हमारे वादे को मज़बूत करती है।

इसके अलावा, हमने घर पर सीमेन एनालिसिस, इंटीग्रेटेड फार्मेसी और क्लिनिक के भीतर क्रायो चैंबर जैसी सुविधाएँ शुरू की हैं, ताकि अनुभव सहज और प्रभावी बने।

हमारे लिए तकनीक सिर्फ़ कार्यकुशलता नहीं है बल्कि सशक्तिकरण है। यह जानकारी की कमी को दूर करती है, चिंता कम करती है और यह सुनिश्चित करती है कि हर व्यक्ति अपने फर्टिलिटी सफ़र में जानकार, समर्थित और सुना हुआ महसूस करे।

एक उद्यमी के रूप में, अपनी सेहत और भावनात्मक भलाई को प्राथमिकता देना कितना ज़रूरी रहा?

उद्यमी के रूप में हम अपने सपनों को बनाने में अपना सब कुछ झोंक देते हैं समय, ऊर्जा और भावनाएँ। इस दौड़ में हम अक्सर भूल जाते हैं कि हम खुद हमारी सबसे बड़ी पूँजी हैं।

उद्यमिता रोमांचक है, लेकिन बेहद चुनौतीपूर्ण भी जैसे लंबे घंटे, अनिश्चितता और भावनात्मक उतार-चढ़ाव स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं।

अगर हम अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ करें, तो इसका असर सिर्फ़ निजी जीवन पर नहीं, बल्कि स्पष्ट सोच, रचनात्मकता और नेतृत्व क्षमता पर भी पड़ता है।
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना कोई विलासिता नहीं, बल्कि ज़रूरत है।

मेरे लिए इसका मतलब है सीमाएँ तय करना, फिटनेस और माइंडफुलनेस के लिए समय निकालना और एक मज़बूत सपोर्ट सिस्टम बनाना।

ये आदतें मुझे अपनी टीम, बिज़नेस और उद्देश्य के लिए और मज़बूत व संतुलित रूप में सामने आने में मदद करती हैं।

स्थायी बिज़नेस बनाने की बात हम अक्सर करते हैं लेकिन स्थिरता की शुरुआत हमसे ही होती है।

बिज़नेस बनाते समय आपकी प्रमुख चुनौतियाँ क्या रहीं?

लुमा फर्टिलिटी बनाना सीख और चुनौतियों से भरा रहा है और शुरुआती चुनौतियों में से एक थी फाउंडर बायस।

एक महिला होने के नाते, पुरुष-प्रधान निवेशक माहौल में फंडरेज़िंग के दौरान मुझे कई बार नज़रअंदाज़ करने वाले या असहज सवालों का सामना करना पड़ा। ऐसे समय में अपने विज़न पर टिके रहना ज़रूरी था।

फर्टिलिटी एक बेहद निजी विषय है, और इस क्षेत्र में बिज़नेस बनाते हुए अपने निजी सफ़र को संभालना भी भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण था।

एक और बड़ी चुनौती थी बाज़ार को जागरूक करना। भारत में इनफर्टिलिटी अब भी एक संवेदनशील और कलंकित विषय है, खासकर पुरुष इनफर्टिलिटी।

लोगों को सही और सशक्त निर्णय लेने में मदद करने के लिए हमें पारंपरिक मार्केटिंग से आगे बढ़कर संवेदनशीलता के साथ जागरूकता फैलानी पड़ी।

इसके अलावा, सही टीम बनाना भी अहम था। ऐसे लोग जो फर्टिलिटी केयर और टेक्नोलॉजी दोनों को समझते हों।

इन चुनौतियों ने मुझे धैर्य, दृढ़ता और मिशन-ड्रिवन, सहानुभूतिपूर्ण बिज़नेस बनाने का महत्व सिखाया।

हमने इसे अवसर की तरह लिया जैसे कॉरपोरेट ऑफिसों में मुफ़्त फर्टिलिटी टेस्ट और गायनेकोलॉजिस्ट कंसल्टेशन आयोजित किए, ताकि लोग सुरक्षित और बिना जजमेंट के अपनी रिप्रोडक्टिव हेल्थ समझ सकें।

आगे की योजनाएँ और भविष्य के अवसर

भारत में फर्टिलिटी केयर एक टर्निंग पॉइंट पर है। लंबे समय तक यह प्रक्रिया क्लिनिकल, अस्पष्ट और भावनात्मक रूप से थकाने वाली रही है।

लुमा में हम इस अनुभव को बदलना चाहते हैं आधुनिक विज्ञान और AI-ड्रिवन इनसाइट्स को सहानुभूति, पारदर्शिता और मरीज़-केंद्रित डिज़ाइन के साथ जोड़कर।

हालिया 4 मिलियन डॉलर की सीड फंडिंग के साथ, हम इस विज़न को बड़े स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हैं।

बांद्रा का हमारा फ्लैगशिप क्लिनिक सिर्फ़ शुरुआत है। हम पूरे भारत में विस्तार करना चाहते हैं।

वैश्विक फर्टिलिटी मार्केट 2023 में 42.23 बिलियन डॉलर का था और 2030 तक 70.27 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। भारत में यह बाज़ार 3 करोड़+ का है, लेकिन सही और भरोसेमंद केयर अब भी सीमित है।

लुमा का लक्ष्य सिर्फ़ इलाज देना नहीं, बल्कि विश्वास, सहानुभूति और स्पष्टता के साथ फर्टिलिटी केयर को नया रूप देना है।

हम अगले 7 वर्षों में 30 क्लिनिक खोलने और 1,000 करोड़ रुपये के राजस्व तक पहुँचने का लक्ष्य रखते हैं। सबसे बढ़कर, लोगों को उनके फर्टिलिटी फैसलों में सशक्त और समर्थित महसूस कराना।