In discussion with Shivani Priyam Patel, Women Entrepreneur: विमेंस डे के इस प्रेस्टीजियस अवसर पर SheThePeople Hindi की टीम की बात चीत हुई Assotech Group की डायरेक्टर, मिस शिवानी प्रियम पटेल से जो की एक बहुत ही सक्सेसफुल वीमेन एंटरप्रेन्योर हैं। शिवानी अपने घर में तीन सिब्लिंग्स में सबसे बड़ी बेटी हैं और एक हैप्पिली मैरिड वाइफ भी। वो एक बहुत ही सपोर्टिव फॅमिली के साथ रहती हैं और पली बड़ी भी हैं। शिवानी के साथ हमारे कन्वर्सेशन में हमने उनके पर्सनल लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ के बारे में कुछ ज़रूरी बातें जानी। आइये जानें शिवानी के साथ हुए हमारे इंटरव्यू के सवाल-जवाब के कुछ मुख्य अंश-
Shivani Priyam Patel के साथ बात-चीत में,
1. आपके कॉलेज के दिन, एक सिविल इंजीनियर के तरह, कैसे थें?
"मैंने अपना कॉलेज यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया और यूनिवर्सिटी ऑफ़ इल्लिनोई से किया है, दोनों ही US से। वहां जाकर सबसे पहले तो मुझे वहां एक कल्चरल शॉक लगा क्यूंकि इंडियन एजुकेशन सिस्टम और वहां के एजुकेशन सिस्टम में काफी फ़र्क़ था। उनसब से एडाप्ट करने में मुझे थोड़ा समय लगा, लेकिन कुछ समय बाद वो मुझे बहुत ही ज़्यादा हेल्पफुल लगने लगा क्यूंकि वो बेहतर और प्रैक्टिकल एप्रोच था इंजीनियरिंग के तरफ और बहुत अच्छा एक्सपोज़र भी मिला जब में एक स्टूडेंट की तरह इंटर्नशिप कर रही थी। मैं वहां टीचिंग असिस्टेंस का भी काम कर चुकी हूँ सिविल इंजीनियरिंग में, जिससे मुझे और भी ज़्यादा एक्सपोज़र मिला। मेरा कॉलेज का समय काफी मज़ेदार था, मुझे कईं कल्चर के लोगों से मिलने का मौका मिला और यह मेरे सबसे बेहतरीन समय में से एक था"
2. रियल एस्टेट में करियर बनाने की प्रेरणा कैसे मिली और किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
"जब मैंने अपनी जर्नी शुरू करी थी आठ साल पहले, मैंने खुदको फॅमिली बिज़नेस में लगा दिया था और वहां से इंडियन रियल एस्टेट सेक्टर के बारे में सीखा। उन 8 साल में हम कईं राज्यों में फ़ैल गए और तबसे लेकर हमने कईं सारे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को हमने इस्तेमाल किया है अपने कंस्ट्रक्शन प्रैक्टिसेज में, तो यह एक बहुत ही सेटिस्फाइंग सफर रहा है लेकिन हाँ कईं सारी दिक्कतें और चुनौतियाँ आये थे लेकिन ऐसे में आप खुदके सेल्फ कॉन्फिडेंस और हार्ड वर्क पर निर्भर हो सकते हैं। मुझे मेरे घरवालों से और ख़ास कर के मेरे पापा से, जो कि मेरे रोल मॉडल हैं, उनसे काफी सपोर्ट मिला। उनके दिए गए गाइडेंस और हिम्मत से ही मैं आज उन चुनौतियों को पार कर पायी हूँ।"
"बेशक ऐसे फील्ड ऑफ़ वर्क में एक महिला होने की अपनी अलग परेशानियां होती हैं। उसपर से यंग होने के भी, कोई मुझे सीरियसली नहीं लेता था लेकिन मैंने यह रियलाइज किया कि जबतक आप खुदपर भरोसा रखते हो उसपर काम करते ही रहते हो, तो सक्सेस मिल जाता है, फिर वो एक साल में मिले या 5।"
3. आपके लाइफ या करियर में कोई ऐसा पॉइंट जब आपको लगा कि आपके काम ने किसी और महिला पर एक अच्छा प्रभाव दिया है?
"सच कहूं तो मैं एक बैलेंस्ड जीवन जीने का प्रयास करती हूँ। जितना समय मैं अपने बिज़नेस को देती हूँ उतना ही समय एक औरत होने में भी देती हूँ। अपने परिवार और खुदको भी उतना ही समय देती हूँ जितना अपने काम को। मेरे हिसाब से महिलाओं को ये बैलेंस बनाना बहुत ज़रूरी होता है क्यूंकि महिलाएं अपने जीवन में कईं सारे रोल्स एक साथ निभा रही होती है, उनसब के लिए एक अच्छा किरदार निभा पाना मुश्किल होता है लेकिन सही से किये जाने पर उतना ही अप्रिशिएट किये जाते हो। मुझे लगता है मुझे भी यह अप्रिशिएशन मिली है और मैंने भी शायद अपने कुछ छोटे सिब्लिंग्स को इंस्पायर किया एक बैलेंस्ड लाइफ जीने के लिए।"
4. आपके अनुसार जब एक महिला लीडर बनती है, तो वो अपने कौनसे यूनिक स्किल सेट को लाती है अपने साथ?
"महिअलों में दो बहुत ही यूनिक स्किल्स होते हैं। पहला की वो बहुत अच्छे मैनेजर्स होते हैं जब बात टास्कमास्टर्स होने की आती है तो। यह एक इनबिल्ट फीचर ही है हम में। उसमे अब एक इमोशनल क्वोशेंट को जोड़ दें क्यूंकि हम कईं जगहों पर इमोशनल भी होते हैं। हम इमोशनली बेटर कनेक्ट कर पाते हैं। ये दो फैक्टर महिलाओं को बहुत मदद करती है सक्सेज पाने में। क्यूंकि हम इतने अच्छे टास्क मास्टर्स और आर्गनाइज्ड होते हैं तो हमारे वर्क स्ट्रेटेजीज बहुत अच्छे से इम्प्लीमेंट हो पाते हैं।"
"जो हमारा सेकंड पॉइंट था, इमोशनल कनेक्ट, वो हमें हमारे टीम के साथ एक बहुत अच्छा लॉयल्टी देता है। जो टीम आप बनाते हो, वो आपके साथ रहता है हमेशा के लिए। वो लॉयल्टी और ट्रस्ट मिलना बहार से, आजके ज़माने में बहुत मुश्किल है। तो मेरे हिसाब से यही दो मैन फैक्टर्स हैं।
5. महिलाओं को कईं जगहों पर अभी भी बराबर के मौके नहीं मिलते। इसपर आपकी क्या विचारधारा है?
"बिलकुल होता है, बल्कि ये सिर्फ भारत में नहीं, बहार देशों में भी बहुत होता है। मुझे लगता है यह हर महिला के लिए अलग होता है, ये उसके प्रायोरिटीज पर भी निर्भर करता है। ऐसे भी महिलाएं है जिनकी प्रायोरिटी सिर्फ फॅमिली है। वो काम करने सिर्फ अपना घर चलने को आते हैं। लेकिन वहीं बहुत महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो अपने सपनो के लिए काम करने आती है। हम इतने बड़े महिलाओं के सेक्शन को जज नहीं कर सकते। जेंडर बायस्ड और महिलाओं के खिलाफ भेद भाव एंटरप्रेन्योर्स के इंडस्ट्री में सब जगह है और इसे हारने का एक ही तरीका है और वो ये है की आप जो काम कर रहे हैं, उसको सिद्दत से करते रहें। हर जनरेशन के बाद यह बायस्डनेस कम होते जा रहा है। इसका समाधान समय ही कर सकता है। हमने सब जगह हर चीज़ करके दिखा दी है, सब साबित कर दिया है की हम कितना कर सकते हैं और उसके बाद भी ये कुछ जगहों से नहीं जाते हैं। और मुझे लगता है ऐसे में आपको सिर्फ अपने कानो को बंद और आँखों को लक्ष्य पर रखना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।" "सामने वाला जो बोलता है बोलने दो, हमें अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहिए।"
6. आप अपने पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन में बैलेंस कैसे बनाते हैं?
"तो मैं शादीशुदा हूँ और मेरे हिसाब से ऐसा बैलेंस सिवाए परिवार के सपोर्ट के और कहीं से नहीं आ सकता। बिज़नेस कमिटमेंट्स हमेशा रहेंगी, टाइम कंस्ट्रेंस भी हमेशा रहेंगे लेकिन फॅमिली टाइम और जो फॅमिली से सपोर्ट आता है ना, सिर्फ वही एक तरीका है जिससे आप सब कुछ आसानी से हैंडल कर सकते हैं।"
"खुशकिस्मती से, में ब्लेस्ड हूँ इतने बेहतरीन इन लॉज़ से। मेरे हस्बैंड मुझे हर जगह सपोर्ट करते हैं और मेरे पेरेंट्स भी मेरे मिशंस और गोल्स की एहमियत जो है मेरे लिए, उसको समझते हैं। तो जो एक तरीका है जिससे मैं ऑफिस और पर्सनल लाइफ में बैलेंस बना पाती हूँ, वो यही है कि में अपने परिवार से काफी क्लोज हूँ और मेरे ऑफिस की प्रोब्लेम्स मेरे फॅमिली को पता है और मेरे मेरी फॅमिली की प्रोब्लेम्स मेरे ऑफिस में पता है। मैं उन्हें अलग ट्रीट ही नहीं करती। मेरे ऑफिस के लोगों को पता होता है जबभी मेरे घर में किसी की मेडिकल कंडीशन बिगड़ती है या मैं किसी दौर से गुज़र रही होती हूँ, तो वो मेरे हालात को समझते हैं मेरे लिए कवर करते हैं। वैसे ही अगर कभी काम में टाइम का क्रंच चल रहा होता है और मुझे घर आने में देरी होती है, तो मेरा परिवार भी समझता है और वो खुद सब कुछ उस वक़्त के लिए हैंडल कर लेते हैं। तो वही बात है कि आप जब दोनों तरफ को एक जैसा ट्रीट करोगे, तो बैलेंस बन जाता है।"
7. इस विमेंस डे के अवसर पर आप एस्पाइरिंग महिला एंटरप्रेन्योर्स के लिए क्या मैसेज देना चाहेंगी?
मेरा यह कहना है सारे इमर्जिंग वीमेन एंटरप्रेन्योर्स या लीडर्स के लिए कि, आप अपने गोल्स को लिखें। चाहे वो लॉन्ग टर्म हो या शार्ट टर्म हो, लेकिन उन्हें लिख कर रखें कि मुझे 5 सालों में यहाँ होना है, मुझे ये गाड़ी लेनी है या मुझे शादी करनी है, एक बच्चा करना है, जो भी हो, उसे लिखकर रखो। यह बहुत रेपेटेटिव साउंड कर रहा होगा लेकिन ये सच में हेल्प करता है। ये भी ध्यान रखो कि जो भी आप अपने गोल्स को थोड़ा ब्रॉड रखें और देश किस तरफ जा रहा है, उससे अलाइन करे अपने गोल्स को, क्यूंकि उस तरह के पॉलिसीस और इम्प्लीमेंटेशन्स आएंगे जो आपको आपके सपनो को और भी जल्दी हासिल करने में आपकी मदद करेगा। इंडस्ट्री ट्रेंड्स के बारे में जानकारी रखे रहिये और टेक्नोलॉजी को अपनाये।"
"बॉक्स के बहार सोचने का प्रयास करें और अगर आप अटक जाएँ तो भी गिव अप ना करें। अपने गलतियों से सीखें क्यूंकि फेलियर का मतलब अंत नहीं होता। मैंने खुद अपने बिज़नेस को शुरू करने से पहले पांच अलग अलग किस्म के जॉब्स किये थे अलग अलग इंडस्ट्री में। मैंने कईं सारे इंडस्ट्री आर्गेनाइजेशन में पार्टिसिपेट भी किया है जिसने मुझे नेटवर्किंग में काफी मदद की। मेरा मानना है कि महिलाओं को नेटवर्किंग से नहीं शर्माना चाहिए। आर्गेनाइजेशन से जुड़ें, नए लोगों से मिलें और दुनिया के अलग-अलग कोने में क्या चल रहा है, यह सीखने का मौका लें। इनसब में से अगर महिलाएं 2-3 टिप्स भी फॉलो करें, तो उनको खुद अपने काम में फ़र्क़ नज़र आएगा।"