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इशरत का बेकरी खोलने का सपना, सिर्फ 16 साल की उम्र से घर से कर रहीं बिसनेस

इशरत अभी सिर्फ 16 साल की है और पढ़ाई के साथ-साथ बेकरी का काम करती है और वह आने वाले समय में चाहती है कि उसकी एक खुद की दुकान हो। अभी उसे कस्टमर बुलाने पड़ते हैं। वह चाहती है कि खुद का ब्रांड बनाएं।

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Rajveer Kaur
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Ishrat

Inspiring Story Of Ishrat : सबके जीवन में आती हैं लेकिन कुछ लोग समस्याओं को बहाना नहीं बनाते बल्कि उन्हें अपनी सफलता के लिए ढाल बनाते हैं। उन्हें मालूम है कि अगर आज हम मेहनत करेंगे तो कल हम जरुर सफल होंगे। उनका यही पॉजिटिव एटीट्यूड उन्हें जीवन में आगे बढ़ते हुए रखता है। उन्हें मालूम है कि लाइफ कभी भी एक जैसी नहीं चलती। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन अगर हम अपनी समस्याओं को लेकर बैठ जाएंगे और उन्हें दोष देते रहेंगे तो फिर हम कभी भी जिंदगी में कुछ भी हासिल नहीं कर पाएंगे। आज हम आपको इशरत की कहानी बताएंगे जिसका सपना बेकरी खोलने का है। उसकी उम्र भले ही छोटी है लेकिन जज्बा उतना ही बढ़ा है। चलिए जानते हैं STP हिंदी के साथ, अपनी जर्नी के बारे क्या बातचीत की। 

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इशरत का बेकरी खोलने का सपना, सिर्फ 16 साल की उम्र से घर से कर रही बिसनेस 

इशरत अभी सिर्फ 16 साल की है और पढ़ाई के साथ-साथ बेकरी का काम करती है और वह आने वाले समय में चाहती है कि उसकी एक खुद की दुकान हो। अभी उसे कस्टमर बुलाने पड़ते हैं। वह चाहती है कि खुद का ब्रांड बनाएं। उसे कस्टमर बुलाने ना पड़े ब्लकि वो खुद उसके पास भागे चले आए।

कुछ पाने के लिए खोना पड़ता है 

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अपनी पढ़ाई और बिजनेस को मैनेज करने पर उसने कहा, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। अभी पढ़ाई भी जरूरी है और जो मेरे पास खाली समय बचता है उसमें मैं यह सब चीजें करती हूं। मुझे बहुत सारी चीजों को देखना पड़ता है क्योंकि मुझे टाइम भी बहुत कम मिलता है। जब मुझे बेकरी खोलनी थी तो उसे समय पढ़ाई भी दसवीं की थी और सब चीज एडजस्ट करनी पड़ी क्योंकि मुझे कुछ करना था और खुद की बेकरी खोलने थी और कुछ करना के लिए मेरे करनी पड़ेगी तभी हम आगे बढ़ पाएंगे।

शुरुआत में मुश्किलों का करना पड़ा सामना

इशरत ने बताया कि शुरुआत में बिजनेस खोलते समय बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जब मैंने शुरू किया तो कि न मैं किसी को जानती थी, न ही मेरे पास कोई आर्डर था और किसी ने मुझे ऑर्डर्स भी नहीं दिए। इसके बाद इशरत ने सोचा कि अब उसे काम नहीं करना है और इसे छोड़ देते हैं लेकिन फिर उसने सोचा कि ऐसा नहीं कर सकती। इतनी मेहनत की है अब आगे तो बढ़ना ही है। शुरुआत में वह बहुत छोटा केक बनाती थी। जो इतना अच्छा भी नहीं था और मेरे पास सामान की कमी हुई थी। इस कारण में ज्यादा केक भी नहीं बना पाती था। इसके बाद मुझे सलाम बॉम्बे फाउंडेशन की तरफ से मदद मिली। इसके बाद मैंने अपना केक बनाना स्टार्ट किया। केक के साथ-साथ फिर मैंने कुकीज, चॉकलेट और कप केक बनाना भी सीखे। इसके बाद मैंने ट्रेनिंग भी ली और मैंने चीज, पाओ और ब्रेड बनाना भी शुरू किया।  मैं अपनी खुद की बेकरी खोलना चाहती हूं और अभी मैं यह बिजनेस घर से ही कर रही हूं।

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इशरत बताती है कि उसने बेकरी को इसलिए चुना क्योंकि यह उसे बहुत पसंद है  शुरुआत से उसे केक बनाना बहुत पसंद है। वह बाकी चीज भी ट्राई करती हैं जैसे कपकेक, कुकीज, ब्राउनी। वह केक के अलावा इन सभी चीजों को भी सेल करेंगी। उसका कहना है कि माँ बहुत ज्यादा सपोर्ट करती हैं और अगर मैं अपने परिवार की बात करूं तो सबसे ज्यादा सपोर्ट मुझे उनसे ही मिलता है। मुझे हर चीज के लिए उनसे पूछना पड़ता है। उनसे पूछना पड़ता है यह कैसे किया जाए। बिजनेस स्टार्ट करने भी उन्होंने मदद की क्योंकि मैंने अभी दुनिया नहीं देखी है और उन्हें ज्यादा पता है। उन्होंने मेरी जर्नी के हर पड़ाव में मुझे गाइड किया है।

घर में आर्थिक मदद करती है

इशरत का कहना है कि मेरे इस काम से मेरी फैमिली को फायदा होता है। मैं जो पैसे कमाती हूं उसमें से आगे पैसे में अपनी मां को देती हूं जिससे घर के खर्चे चलते हैं और अगर कभी मेरे पास पैसे नहीं होते लेकिन मुझे जरूरत है तो फिर मेरी मम्मी मुझे दे देती है। उसके साथ ही में आगे भी फील्ड में ही जाना चाहती है।

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अगर हमें लाइफ में परेशानियां आती है तो हम रुक जाते हैं। हम यह नहीं सोचते कि हमें आगे बढ़ाना है। हम रुक इसलिए जाते हैं क्योंकि परेशानियां आ रही हैं। अगर हम आज परेशानियों को झेल लेते तो हमें आगे जाकर इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी ब्लकि आगे की जिंदगी हमारी आराम से कटेगी। औरतों को कभी डरने की जरूरत नहीं है। उन्हें किसी के ऊपर निर्भर नहीं होना चाहिए। फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस सबसे बड़ी ताकत है।

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