Inspiring Story Of Lakshmi: लाइफ में समस्याएं सबके जीवन में आती हैं लेकिन कुछ लोग समस्याओं को बहाना नहीं बनाते बल्कि उन्हें अपनी सफलता के लिए ढाल बनाते हैं। उन्हें मालूम है कि अगर आज हम मेहनत करेंगे तो कल हम जरुर सफल होंगे। उनका यही पॉजिटिव एटीट्यूड उन्हें जीवन में आगे बढ़ते हुए रखता है। उन्हें मालूम है कि लाइफ कभी भी एक जैसी नहीं चलती। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन अगर हम अपनी समस्याओं को लेकर बैठ जाएंगे और उन्हें दोष देते रहेंगे तो फिर हम कभी भी जिंदगी में कुछ भी हासिल नहीं कर पाएंगे। आज हम आपको लक्ष्मी की कहानी बताएंगे जिसका सपना आईएएस बनने का है और आज के समय में एंटरप्रेन्योर है। जीवन में मुश्किलें बहुत हैं लेकिन हौंसला बुलंद है। चलिए जानते हैं STP हिंदी के साथ, अपनी जर्नी के बारे क्या बातचीत की।
जानिए एंटरप्रेन्योर से कैसे आईएएस बनेगी लक्ष्मी
उम्र कम सपने बढ़े
लक्ष्मी का पूरा नाम लक्ष्मी रामबालक मेंडन है। उसकी उम्र 18 साल है। वह अपनी माँ के साथ रहती हैं। वह अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रही है। उसका सपना आईएएस बनने का है। उसने अपना संघर्ष नौवीं कक्षा में शुरू कर दिया था जब 'सलाम बॉम्बे फाउंडेशन' की तरफ से दिए गए ब्यूटी कोर्स को ज्वाइन किया था। वह अपनी ज़िन्दगी में जीत और हार से ज्यादा सीखने पर जोर देती है। जब लक्ष्मी से पूछा गया इतनी कम उम्र में इतने बड़े सपने देखने के लिए क्या चीज़ प्रेणना बनती है तो उसने कहा, 'जब हमारे पास गोल और ऐस्परेशन होते हैं तब हमारे अंदर डेडीकेशन होती है। उसने अपने गोल का हवाला देते हुए समझाया कि जैसे मेरा गोल IAS बनना है तो इसके लिए मैं सारी चीज करती हूं। इस गोल के पीछे कहीं ना कहीं उसका बैकग्राउंड ही उसे इंस्पायर करता है। इसके साथ ही उनकी मदर का भी उन्हें बहुत सहयोग मिलता है और सिविल सर्वेंट में भी ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो उसे गोल को अचीव करने में इंस्पायर करते हैं। इस सबके लिए उम्र मैटर नहीं करती। वह कहती है जब हमारे पास लक्ष्य होता है तो हम उसे पर चलने की कोशिश करते हैं और हम भटकते भी नहीं हैं। हम सीधा चलते हैं और लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं'।
सिंगल मदर के बावजूद नहीं मानी हार
सिंगल मदर (Single Mother) के ऊपर बात करते हुए लक्ष्मी ने कहा कि यह बहुत कठिन है। मुंबई जैसे शहर की बात की जाए तो यहां पर बिना पैसे के कुछ भी नहीं हो सकता है। ऐसी जगह में सिंगल पैरंट होना और अपने तीन बच्चों की जिम्मेदारी उठाना आसान बात नहीं है। उसने बताया कि उनकी मम्मी की एक ही कोशिश रहती है कि उनके बच्चे पढ़ाई लिखाई करें और आगे अच्छा इंसान बने। जो कठिनाइयां अभी उनकी मदर को फेस करनी पड़ रही हैं वह उनके बच्चों को मत करनी पड़े। इस बात का ध्यान वह हमेशा रखती हैं। लक्ष्मी की मदर कहती हैं कि अगर कुछ करने का मौका मिल रहा है तो उसे बिल्कुल भी वेस्ट नहीं करना चाहिए बल्कि उसका फायदा उठाना चाहिए और अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। लक्ष्मी कहती है कि उसने अपनी मां से सीखा है कि मुश्किल जितनी मर्जी बड़ी हो लेकिन आगे बढ़ना ही है। जब हमारे अंदर उसे चीज के लिए हिम्मत होती है तब हम उसे कर लेते हैं, भले ही कितनी सारी तकलीफ क्यों ना हो। जब हमारी हिम्मत बड़ी होती है तब कोई भी समस्या छोटी हो जाती है।
महिला होने पर मिलते ताने
लक्ष्मी कहती कि यह बहुत बड़ा मुद्दा है इसे सिर्फ आज की महिलाएं या फिर हमारी मदर की जनरेशन की महिलाएं नहीं बल्कि सदियों से महिलाएं इसका सामना करती आ रही हैं। लक्ष्मी अपनी मां के उदाहरण देते हुए बताती है कि जब उनकी मदर मुंबई शिफ्ट हो रही थीं तब उन्हें कहा जाता था कि अकेली औरत हो कैसे अपने बच्चों को संभालेगी, वो भी मुंबई जैसे शहर में जहां पर कोई किसी का नहीं होता है। यहां पर हर एक चीज के लिए पैसे लगते हैं। लक्ष्मी ने कहा, अगर उनकी जगह कोई पुरुष होता तो उसे इतनी बातों का सामना नहीं करना पड़ता क्योंकि उन्हें पुरुषों पर भरोसा है कि वह कमा लेगा और अपने बच्चों को संभाल लेगा। वहां पर सिर्फ महिला होने के कारण उसकी मां के ऊपर सवाल उठे। इसके साथ ही लक्ष्मी बताती हैं कि हम हमेशा यह सोचते हैं कि यह महिला है तो वह नहीं कर पाएगी। अगर वह काम करेगी तो उतना वेतन नहीं ले पाएगी जितना मर्द कमा कर लाते हैं। यह सिर्फ उसकी मदर की बात नहीं है, वह खुद भी जब कॉलेज जाती है और जब खेलों की बात आती है तो कहा जाता है कि यह पुरुषों के लिए है। महिलाओं को ट्रेडिशनल जेंडर रोलस से जोड़ दिया जाता है कि यह आर्ट कर सकती हैं या फिर सिलाई-कढ़ाई आदि। कहने का तात्पर्य यह है कि जनरेशन कोई भी हो हर महिला को इस चीज का सामना करना पड़ता है। हमारी सोच में एक पुरुष से महिला कम है। अभी समाज बदल रहा है हाल ही में लोकसभा में भी महिला आरक्षण बिल पास हुआ। यह अच्छी बात है कि महिलाओं को भी उस नजर से देखा जा रहा है जैसे पुरुषों को हम देखते आ रहे हैं। आगे आने वाले समय में हमें पूरी समानता मिलेगी तब यह नहीं होगा की महिलाएं हैं तो इसलिए वह नहीं कर सकतीं।
टाइम मैनेजमेंट है जरुरी
लक्ष्मी के अनुसार हम सभी के पास 24 घंटे ही हैं और हम सबको इन घंटे में अपने सब काम पूरे करने होते हैं। टाइम मैनेजमेंट एक बहुत जरूरी चीज है। जब हमारे पास गोल रहता है कि हमें यह करना है, साथ अपनी उदाहरण देती है। उसने बताया उसका पार्लर है, यहां पर वह सर्विसेस प्रोवाइड करती है। यह सब वह इसलिए कर रही है ताकि मां को अकेले ही सारा कुछ मैनेज ना करना पड़े। वह भी उन्हें आर्थिक रूप से मदद करें। वह कहती है कि वो इतनी काबिल हो गई है कि अपनी फैमिली को कंट्रीब्यूट कर सके, भले ही 10 नहीं लेकिन पांच तो कर ही सकती है। आर्थिक रूप से आजाद होना और फैमिली को सपोर्ट करना, यह लक्ष्य पहले से ही तय है। वह पूरी कोशिश करती है कि अपनी पढ़ाई के लिए समय निकालें क्योंकि मुझे अपने गोल को अचीव करना है स्कूल को प्राप्त करने के लिए मुझे जो जो भी चीज करनी पड़ेगी वह मुझे करनी ही है जब हमारे मन में किसी चीज के लिए चाह होती है तो रास्ता खुद ही खुद बन जाता है हमारे मन में कुछ जो तकलीफ में आज जेल रही हूं वह मुझे कल नहीं चाहिए तब अपने आप चीजों के लिए समय निकल जाता है
आईएएस और एंटरप्रेंयूर्शिप एक समान
देखने के लिए जाए तो यह दोनों बहुत ही अलग प्रोफेशन है लेकिन जब हम इसकी गहराई में जाते हैं तो बहुत ही एक समान है जैसे एक एंटरप्रेन्योर या फिर बिजनेस में टीम, को-वर्कर, प्लानिंग, स्ट्रेटजी और इंप्लीमेंटेशन होती हैं। वहीं जब हम आईएएस ऑफिसर की बात करते हैं तो उनकी जर्नी भी कुछ ऐसी ही होती है। उनके पास भी उनकी टीम होती है। उन्हें भी फील्ड में काम करना होता है। प्लानिंग भी उनके काम का हिस्सा है। ऐसे देखा जाए तो स्किल दोनों के ही मैच कर रहे हैं और दोनों ही ग्राउंड लेवल पर वर्क कर रहे हैं। लक्ष्मी ने कहा जो मेरा अभी स्टार्टअप है, उसमें मैं ग्राउंड लेवल पर वर्क कर रही हूं। वहां पर मैं लोगों से मिलती हूं, उनकी प्रॉब्लम को सॉल्व करती हूं और उनको अच्छा दिखने के लिए मदद करती हूं। वहीं जब IAS बनूंगी तो लोगों को दिक्कत आ रही है, उनका हल करूंगी जैसे वॉटर लैंड और कुछ भी उनकी प्रॉब्लम हो। दोनों जगह प्रॉब्लम सॉल्विंग का स्किल इस्तेमाल होता है और साथ ही टीमवर्क, स्ट्रेटजी, प्लानिंग और इंप्लीमेंटेशन। इनका उद्देश्य भी एक सामान है- लोगों की सेवा करना, उनके साथ काम करना और उनके लिए काम करना। उसने कहा कि यह मेरा लक्ष्य है कि मैं लोगों के लिए लोगों द्वारा और लोगों के लिए काम करूँ। यह दोनों बहुत मैच करते हैं। इसलिए मैंने यह फैसला लिया ब्यूटी पार्लर खोलो और खुद का स्टार्टअप करो।
लक्ष्मी ने दूसरा रीजन यह भी बताया कि मैं फाइनेंशली इंडिपेंडेंट भी होना चाहती हूं। IAS मैं 3 साल बाद बनूंगी। स्टार्टअप शुरू करना एक अच्छी चीज है क्योंकि मैं एक जॉब का हिस्सा नहीं बन रही हूं बल्कि मैं लोगों को जब देने लायक बन रही हूं। इससे मैं बेरोजगारी को कम कर रही हूं। इस उम्र में मुझे इस तरह का मौका मिलता है तो यह मेरे लिए बहुत अच्छी बात है कि मैं फाइनेंशली इंडिपेंडेंट बनो। मैं लोगों की मदद कर रही हूं। जब तक मैं अपने गोल तक पहुंचूंगी तब तक मुझे फाइनेंस की कोई टेंशन नहीं रहेगी जिसके कारण मैं शांति से पढ़ाई कर पाऊंगी।
माँ सबसे बड़ी हिम्मत
अपनी मदर के बारे में बात करते हुए लक्ष्मी ने कहा कि अपनी मां से पूछे बिना मैं कुछ भी नहीं कर सकती हूं। मैं चीजें ट्राई करती हूं क्योंकि मैं बहुत क्यूरोस हूं, शुरुआत में चीजें इतनी अच्छी से वर्क नहीं कर पाती है तब मेरी मम्मी मेरे लिए एक तरह की मोटिवेशन है और इंस्पिरेशन है। जब मैं उनको देखती हूं कि उन्होंने इतनी कठिनाई के बाद भी हार नहीं मानी और तो मेरे भी हमेशा हिम्मत रहती है कि मुझे अचीव करना है। वही मेरी इंस्पिरेशन है क्योंकि अगर वो इतना कुछ कर सकती हैं, इतनी मुश्किलों का सामना करके भी हमें पढ़ा रही हैं और हमें सब कुछ प्रोवाइड करवा रही हैं तो मैं अपनी तकलीफों का हल क्यों नहीं कर सकती। मुझे बहुत चीजों के लिए कन्फ्यूजन रहता है क्योंकि मैं बहुत क्यूरोस हूं और चीजों को सीखना चाहती हूं तो डिसीजन मेकिंग में मैं हमेशा मम्मी की हेल्प लेती हूं जैसे कि अगर
दो रास्ते हैं तो तो कौन सा सही होगा, इसमें मम्मी हमेशा फैसला लेने में मदद करती हैं। जब भी मैं उनके कहे पर वह फैसला लेती हूं तो मुझे आज तक कभी भी उस चीज के लिए पछतावा नहीं हुआ कि मैंने वह डिसीजन या फैसला क्यों लिया।अगर उनकी सपोर्ट या गाइडेंस नहीं होगी तो शायद वह यह सब चीज नहीं कर पाए।वह बताती हैं कि उनकी मम्मी ने मोरल सपोर्ट भी देती है। जैसे लक्ष्मी बिहार से है तो वहां पर उसकी उम्र की लड़कियों की शादी हो गई है और वहां पर भी उसे पढ़ने के लिए मौका दिया इसलिए मैं अपने आप को बहुत लकी मानती हूं।
सपने बड़े रखने चाहिए
यंग महिलाओं को मैसेज देते हुए लक्ष्मी ने कहा कि उन्हें अपने सपने बड़े रखना चाहिए। लोग कहते हैं कि आप इतने छोटे लेवल पर हो लेकिन आप सपने इतने बड़े देखते हो लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। जब हमारा सपना बड़ा होता है और हमारे पास लक्ष्य होता है कि हमें वहां तक पहुंचना है तो हम सारी चीजें करते हैं जो हमें उसे लक्ष्य तक पहुंचाती हैं। इसलिए हमेशा सपना होना चाहिए। इसके साथ एक और चीज बहुत जरूरी है कि हमें मेहनत भी उतना ही करना पड़ता है। जब हम सपना बढ़ा रखते हैं तो हमें मेहनत भी इतनी तेजी से ही करनी पड़ती है और हमें कभी डरना नहीं चाहिए। अपने उपर विश्वास रखना चाहिए। जब हमें खुद पर विश्वास रहता है तो चीजें हमारी तरफ आती हैं। उन्होंने लॉ आफ अट्रैक्शन की भी बात कही। जब हमारा विश्वास रहता है तो लोग भी हम पर विश्वास करते हैं और हमें सपोर्ट करते हैं। इसके साथ ही वह भी हमें गाइड करते कि हमें कैसा करना चाहिए।