‘सच में माता रानी का आशीर्वाद मिला’: गणेश कार्तिकेय में पार्वती बनीं श्रेनु पारिख

SheThePeople से बातचीत में अभिनेत्री श्रेनु पारिख ने अपने अभिनय सफर की शुरुआत और वर्षों में अपने हुनर के विकास के बारे में बात की। चलिए पूरी बातचीत जानते हैं-

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Rajveer Kaur
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Shrenu Parikh as Parvati in Ganesh Kartikey

जब श्रेनु पारिख शो गणेश कार्तिकेय में देवी पार्वती का किरदार निभाती हैं, तो वह सिर्फ भारी गहनों या कठिन संवादों का बोझ नहीं उठा रहीं, बल्कि हिंदू पौराणिक कथाओं की एक शक्तिशाली, स्नेहमयी और दिव्य स्त्री की जिम्मेदारी निभा रही हैं। यह श्रेनु के लिए एक पूर्ण चक्र जैसा क्षण है, क्योंकि अब वह उन कहानियों को जीवंत कर रही हैं जिन्हें उन्होंने बचपन में वडोदरा स्थित अपने दादा-दादी के घर में सुना था।

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‘सच में माता रानी का आशीर्वाद मिला’: गणेश कार्तिकेय में पार्वती बनीं श्रेनु पारिख

बचपन की यादें और संस्कार

"मैं एक छोटे शहर की गुजराती लड़की हूं, जिसने अपने नाना-नानी के संस्कारों और भगवान के प्रति उनकी श्रद्धा के बीच परवरिश पाई है। आज भी शूटिंग के दौरान, मुझे अक्सर अपने नाना द्वारा सुनाई गई कहानियां याद आती हैं," श्रेनु ने SheThePeople से बातचीत में बताया।

वह आगे कहती हैं, "मेरी मां कामकाजी थीं और हमेशा चाहती थीं कि मैं खुद पर निर्भर रहना सीखूं। दादा-दादी के साथ मेरी परवरिश बहुत सादगी से हुई, लेकिन उसमें प्यार और सीखें भरी थीं, जिन पर मुझे आज भी गर्व है।" साधारण शुरुआत के बावजूद, श्रेनु को बचपन से ही शोहरत का शौक था।

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सपनों की शुरुआत

वह याद करती हैं, "मैं सिर्फ पाँच साल की थी जब ऐश्वर्या राय मिस वर्ल्ड बनी थीं, और तब मैंने सोचा था कि काश मैं भी उनके जैसी बनूं।"

लेकिन एक पारंपरिक गुजराती परिवार में मॉडलिंग और एक्टिंग के सपनों को ज़्यादा प्रोत्साहन नहीं मिलता था। श्रेनु ने अपने सपनों को कॉलेज तक छिपाकर रखा, जब उन्होंने अपना पहला ब्यूटी पेजेंट जीता और वहीं से सब कुछ बदल गया।

श्रेनु बताती हैं, "मेरे माता-पिता की बस एक शर्त थी कि ‘पहले अपनी डिग्री पूरी करो, फिर हम तुम्हारे सपनों को पूरा करने में मदद करेंगे।’ मैं एमबीए करके अमेरिका में बसने की सोच रही थी, लेकिन भगवान की कुछ और ही योजना थी।"

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वह आगे कहती हैं, "टीवी इंडस्ट्री ने मुझे हमेशा बहुत प्यार दिया है। अब 15 साल हो गए हैं, और मैं आज भी यहां हूं।"

पार्वती के रूप में श्रेनु पारिख

इस प्यार को क्या नाम दूं? से लेकर इश्कबाज़ तक, श्रेनु पारिख ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से हमेशा खुद को अलग साबित किया है। 

अब गणेश कार्तिकेय में पार्वती के रूप में, वह अपने बचपन से मिले करुणा, विश्वास और दृढ़ता के मूल्यों को पर्दे पर सजीव कर रही हैं। श्रेनु बताती हैं, "मैं अपने सभी कज़िन्स में सबसे बड़ी थी। 

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Shrenu Parikh as Parvati in Ganesh Kartikey

मेरा भाई शुभम मुझसे छह साल छोटा है, और चूंकि मेरी मां कामकाजी थीं, इसलिए मैंने practically उसे पाला। शायद तभी से मुझमें एक स्वाभाविक मातृत्व और स्नेह की भावना थी," उन्होंने देवी पार्वती के मातृत्व और करुणा भरे स्वभाव पर बात करते हुए कहा।

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने पार्वती की दिव्य शक्ति को कैसे निभाया, तो श्रेनु मुस्कराते हुए बोलीं, "मुझे खुद नहीं पता, यह किसी जादू से कम नहीं है। यह सच में माता रानी का आशीर्वाद ही है।"

उलझन और सुकून

श्रेनु के लिए पौराणिक किरदार निभाना जितना मजेदार था, उतना ही मुश्किल भी। वह कहती हैं, "सबसे कठिन हिस्सा संस्कृत-हिंदी के संवाद थे, लेकिन अभ्यास से मैंने उन्हें संभाल लिया।"

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वह आगे बताती हैं, "एक और चुनौती थी पूरे दिन भारी गहने और मेकअप पहनकर रहना।" पर्दे पर जो शांति दिखती है, उसके पीछे काफ़ी मेहनत और दबाव छिपा है।

श्रेनु ईमानदारी से कहती हैं, "कैमरे के पीछे मैं अब भी संघर्ष करती हूं। बहुत घबराहट और दबाव होता है, लेकिन उसे सेट पर नहीं दिखा सकते। पहले दो महीनों में किरदार, कॉस्ट्यूम और देवी की भूमिका निभाने की जिम्मेदारी से मैं काफी भावुक और थकी हुई महसूस करती थी।"

टर्निंग पॉइंट

टर्निंग पॉइंट उस समय आया जब शुरुआती लुक टेस्ट चल रहे थे। श्रेनु याद करती हैं, "एक दिन मैं सच में टूट गई थी।"

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वह आगे कहती हैं, "लेकिन जब मैंने देखा कि हर कोई इस पर कितनी मेहनत कर रहा है, तो एहसास हुआ कि मैं भी किसी बहुत खूबसूरत चीज़ का हिस्सा हूं।"

आध्यात्मिक अनुशासन और संतुलन

लंबे शूट्स की थकान और दबाव के बीच शांत और मजबूत बने रहने के लिए श्रेनु आध्यात्मिक अनुशासन पर भरोसा करती हैं। वह बताती हैं, "हर सुबह तैयार होने से पहले मैं हनुमान चालीसा ज़रूर पढ़ती हूं। मैं रोज़ प्राणायाम करती हूं, और जब भी छुट्टी मिलती है और शरीर साथ देता है, तो योग भी करती हूं।"

कहानी कहने की ताकत

अपने सफर को याद करते हुए श्रेनु कहती हैं कि उन्होंने इन सालों में सबसे बड़ी सीख यही ली है कि कहानी कहने की ताकत सबसे बड़ी होती है।

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"कॉन्टेंट ही असली हीरो है," वह मुस्कराकर कहती हैं। "भले ही कहानी पहले कही जा चुकी हो, लेकिन उसे कैसे बताया जाता है, यही सब फर्क लाता है।"

श्रद्धा और समर्पण की मिसाल

देवी पार्वती का किरदार निभाते हुए श्रेनु पारिख अपनी आस्था, अनुशासन और गहराई से जुड़े संस्कारों को जीवंत करती हैं।

एक छोटे शहर की लड़की से लेकर पर्दे पर दिव्यता को साकार करने तक का उनका सफर समर्पण, नीयत और सच्चाई का एक सुंदर उदाहरण है।