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Photograph: (Image Credit: Pinterest)
Choosing Not to Be a Mother- Freedom of Choice or Society's View of Selfishness?: आज के समाज में महिलाओं के पास कई तरह के विकल्प हैं। करियर, शिक्षा, स्वतंत्रता और स्वभाव के अनुसार जीवन जीने के लिए नए रास्ते सामने आए हैं। बावजूद इसके, जब बात बच्चों के बारे में आती है, तो समाज की सोच में बदलाव अभी तक पूरी तरह से नहीं आया है। कई महिलाएं जानबूझकर माँ बनने का निर्णय नहीं लेतीं, और समाज अक्सर इसे नकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है। इसमें सवाल यह उठता है कि क्या माँ न बनना एक व्यक्तिगत विकल्प है, या समाज इसे आत्मकेंद्रितता और खुदगर्ज़ी के रूप में देखता है?
Women Who Don’t Want Kids: माँ न बनना- चॉइस की आज़ादी या समाज की नज़र में खुदगर्ज़ी?
सामाजिक धारणा
हमारे समाज में यह मान्यता है कि महिलाओं का मुख्य उद्देश्य माँ बनना और परिवार बढ़ाना है। यह सोच उन महिलाओं के लिए समस्याएं पैदा करती है, जो बच्चों के बिना अपने जीवन को संतुष्ट और सुखी मानती हैं। समाज उन्हें अक्सर आत्मकेंद्रित या जिम्मेदारियों से बचने वाली समझता है। इस सोच के चलते महिलाओं पर बच्चों की देखभाल करने का दबाव डाला जाता है, जबकि यह उनका निजी निर्णय है कि वे माँ बनें या नहीं।
स्वतंत्रता और स्वच्छंदता
महिलाओं को अपनी ज़िंदगी के फैसले खुद लेने का पूरा अधिकार है। अगर कोई महिला बच्चों का पालन-पोषण नहीं करना चाहती, तो यह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता है। कुछ महिलाएं करियर या व्यक्तिगत विकास में इतनी व्यस्त होती हैं कि बच्चों की जिम्मेदारी लेने का विचार भी नहीं आता। इसके अलावा, कई महिलाएं पर्यावरण, आर्थिक स्थिति या स्वास्थ्य कारणों से भी माँ बनने का निर्णय नहीं लेतीं। फिर भी समाज उनके इस फैसले को नकारात्मक नजरिए से क्यों देखता है?
महिला का अधिकार
यह सही है कि किसी महिला के लिए माँ बनने का निर्णय सिर्फ उसकी अपनी पसंद पर निर्भर होना चाहिए। आजकल महिलाओं को यह स्वतंत्रता है कि वे बच्चों के साथ अपना जीवन कैसे जीना चाहती हैं। कई महिलाएं माँ बनने का निर्णय नहीं लेतीं, और इसका समाज पर कोई बुरा असर नहीं होना चाहिए। एक महिला का माँ न बनने का फैसला उसकी ज़िन्दगी को प्रभावित करता है, और इसे नकारात्मक या स्वार्थपूर्ण नजरिए से नहीं देखना चाहिए।
सामाजिक बदलाव की ज़रूरत
समाज को यह समझना चाहिए कि महिलाओं के पास जीवन के कई विकल्प होते हैं। हर महिला का जीवन अलग है, और उसे अपनी इच्छा से जीने का पूरा अधिकार है। यदि कोई महिला बच्चे न रखने का निर्णय लेती है, तो यह उसका निजी अधिकार है, जिसे समाज को मान देना चाहिए। हर महिला का जीवन जीने का तरीका अलग हो सकता है, और इसे स्वीकारना समाज की प्रगति के लिए जरूरी है।