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Photograph: (freepik)
How To Take Care Of Mental Health Of Women After Delivery: डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में सिर्फ शारीरिक बदलाव ही नहीं होते, बल्कि वह उस समय मानसिक रूप से भी एक बड़ी चुनौती का सामना करती हैं। इस समय पोस्टपार्टम डिप्रेशन, चिंता, तनाव और भावनात्मक असंतुलन एक आम बात होती हैं। इसलिए मां बनने के बाद हर किसी को मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। यदि मेंटल हेल्थ पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह मानसिक और पारिवारिक जीवन को प्रभावित कर सकता है। आइए जानते हैं कुछ आसान और प्रभावी उपाय जिसकी मदद से नई मां अपनी मानसिक सेहत का ध्यान रख सकती हैं।
पोस्ट डिलीवरी के बाद महिलाएं कैसे रखें मेंटल हेल्थ का ख्याल
1. खुद को समय देना शुरू करें
हर महिला को यह समझना जरूरी है कि मां बनना उनके जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव लेकर आता है, और इसमें खुद को समय देना कोई स्वार्थ नहीं, बल्कि उस समय उनकी ज़रूरत होती है। इसलिए रोजाना खुद के लिए कुछ मिनट के लिए ही सही लेकिन "मी टाइम" दें यह आपके मेंटल हेल्थ को रिचार्ज के लिए बहुत जरूरी होता है।
2. अपनी भावनाएं शेयर करें
अपनी भावनाओं को कभी भी दबाना या छिपाना नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए अपने साथी, परिवार या किसी दोस्त से बात जरूर करें। आपके मन में जो भी चल रहा हो उनसे शेयर जरूर करें। अगर आपको ज़रूरी लगे तो प्रोफेशनल काउंसलर की भी मदद ले सकते हैं।
3. योग और मेडिटेशन करें
योग और मेडिटेशन दोनों ही एक स्वस्थ शरीर और मेंटल हेल्थ के लिए जरूरी होता है। हर दिन कुछ मिनट ध्यान या गहरी सांस लेने की प्रैक्टिस करने से मानसिक संतुलन बेहतर होता है। इससे तनाव और चिंता में काफी राहत मिलती है।
4. नींद को सुधार करें
पोस्ट डिलीवरी के बाद शरीर में कई तरह के शारीरिक बदलाव देखने को मिलते है और इसको सही करने के लिए नींद बेहद जरूरी है। क्योंकि नींद की कमी मेंटल हेल्थ को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। जब भी बच्चा सो रहा हो, मां को भी थोड़ा आराम जरूर करना चाहिए।
5. संतुलित भोजन लें
हमेशा हर किसी को अच्छा खाना सिर्फ शरीर के लिए ही जरूरी नहीं होता, बल्कि उनके मानसिक संतुलन के लिए भी उतना ही जरूरी होता है। इसलिए आहार में आयरन, विटामिन आदि से युक्त भोजन लेना जरूरी है क्योंकि इनमें मेंटल हेल्थ को सपोर्ट करने वाले खास न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं।
6. सहायता लेने से संकोच न करें
अगर महिलाओं को थकान, निराशा, रोने की इच्छा या घबराहट लंबे समय तक बनी रहती है, तो आपको इसमें मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। उनकी सलाह से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है।