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Save Water: कब समझेंगे हम कि पानी बचाना हमारी जरूरत के साथ जिम्मेदारी भी है

पानी की जब बात आती है तो बहुत सारे लोग इसे बहुत ही मामूली मुद्दा समझ लेते हैं  उन्हें लगता है कि इस मुद्दे को बोल-बोल कर बड़ा बनाया जा रहा है लेकिन असल में इतनी चिंताजनक समस्या नहीं है क्योंकि उनके घर में तो पानी आ रहा है

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Rajveer Kaur
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(Image Credit: iStock)

Conserving Water Is Both Our Duty And a Necessity: पानी की जब बात आती है तो बहुत सारे लोग इसे बहुत ही मामूली मुद्दा समझ लेते हैं  उन्हें लगता है कि इस मुद्दे को बोल-बोल कर बड़ा बनाया जा रहा है लेकिन असल में इतनी चिंताजनक समस्या नहीं है क्योंकि उनके घर में तो पानी आ रहा है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि आपके घर में पानी आ रहा है और आपको इसके ऊपर ध्यान देने की जरूरत नहीं है तो आप बहुत गलत है। अगर आज आपके घर में पानी आ रहा है तो यह हमेशा नहीं आता रहेगा। आप अपने आसपास देखिए ऐसी कितने ही लोग हैं जिन्हें हर दिन पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। Water Aid के अनुसार, "दुनिया भर में 844 मिलियन लोगों के पास स्वच्छ जल नहीं है, जिसका अर्थ है कि उन्हें पानी इकट्ठा करने के लिए प्रतिदिन लंबी, कभी-कभी खतरनाक यात्राएं करनी पड़ती हैं, जिससे उनका समय और ऊर्जा बर्बाद होती है"। बहुत सारे लोगों के लिए पानी एक लग्जरी है। उन्हें अपने दैनिक क्रियाओं के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं मिलता है और यहां पर हम बिना किसी मतलब के पानी को बर्बाद कर देते हैं-

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कब समझेंगे हम कि पानी बचाना हमारी जरूरत के साथ जिम्मेदारी भी है

पानी की समस्या महिलाओं का भी मुद्दा है क्योंकि भारत में ऐसे बहुत सारे क्षेत्र हैं जहां पर पानी की कमी होने के कारण महिलाओं को घर से मीलो दूर पानी लेने के लिए जाना पड़ता है। इस दौरान उनकी शारीरिक सेहत भी बहुत ज्यादा प्रभावित होती है क्योंकि इतनी कड़क गर्मी में पानी ढोने का काम करना पड़ता है। इसके साथ ही बहुत सारी महिलाओं की पढ़ाई भी छूट जाती है क्योंकि उन्हें पानी लेकर जाना होता है. पानी की कमी होने के कारण उन्हें गंदगी में रहना पड़ता है..इसके कारण साफ-सफाई भी अच्छे से नहीं हो पाती है जिसके कारण पीरियड्स के दिनों में भी हाइजीन को मेंटेन नहीं कर पाते हैं।

UNICEF-WHO की Report के अनुसार, 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाएं और लड़कियां 10 में से 7 घरों में पानी इकट्ठा करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं, जबकि उनके पुरुष साथियों के लिए यह संख्या 10 में से 3 घरों में है। 15 वर्ष से कम आयु की लड़कियों (7%) में 15 वर्ष से कम आयु के लड़कों (4%) की तुलना में पानी लाने की संभावना अधिक होती है। ज़्यादातर मामलों में, महिलाएं और लड़कियां इसे इकट्ठा करने के लिए लंबी यात्राएं करती हैं, जिससे शिक्षा पर भी असर पड़ता है और काम या छुट्टी में समय बर्बाद होता है और वे रास्ते में शारीरिक चोट और खतरों के जोखिम में पड़ जाती हैं।

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पानी का मुद्दा बहुत ही चिंताजनक है। अगर आज भी हम लोगों ने इसके ऊपर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में हमारे बच्चों को इसके नतीजा भुगतने पड़ सकते हैं।  Reuters की लेख के अनुसार सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग के मुताबिक, "सुरक्षित जल की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण हर साल लगभग 200,000 भारतीय मर जाते हैं, तथा 600 मिलियन लोग उच्च से लेकर अत्यधिक जल संकट का सामना करते हैं"। हम कभी भी यह नहीं सोचते कि अगर आज हमारे पास पानी है तो हमें इसकी वैल्यू करनी चाहिए। हमें कहीं भी अगर नल खुला मिलता है तो उसे तुरंत बंद कर देना चाहिए। हमें उतना ही पानी इस्तेमाल करना चाहिए जितनी हमें जरूरत है। अगर हम कम पानी से कोई काम कर सकते हैं तो उसके लिए ज्यादा पानी को वेस्ट नहीं करना चाहिए लेकिन हमें लगता है कि हमें अपनी फ्री में मिल रहा है तो हम इसे जैसे चाहे मर्जी इस्तेमाल कर सकते हैं।

WHO Unicef Necessity Conserving Water पानी का मुद्दा
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