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COVID-19 : सेल्फ केयर के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी Proning की सलाह

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Swati Bundela
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जब हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे आ जाए, तो होम आइसोलेशन में रहते हुए कोविड से ग्रसित लोगों को प्रोनिंग करने की सलाह दी जाती है। प्रोनिंग की यह स्थिति वेंटिलेशन में सुधार करती है और इससे मरीज की जान तक बचा सकती है।

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देशभर में covid-19 केसेस की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसलिए देश की चिकित्सा व्यवस्था अभी बहुत तनाव में है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी की गई गाइडलाइन्स के अनुसार, यदि मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो, तो वे प्रोनिंग का तरीका अपना सकते हैं। होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के लिए प्रोनिंग काफी मददगार साबित हुआ है।



कोरोना की दूसरी लहर के चलते हालात अब पहले से भी बेकाबू हो चुके हैं। देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। कोविड-19 मरीजों को अब ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन ऑक्सीजन की कमी के चलते हर रोज न जाने कितने मरीज दम तोड़ रहे हैं। जिन मरीजों को सांस लेने में परेशानी हो रही है और जो घर में रहकर ही अपना इलाज कर रहे हैं, उनके लिए प्रोनिंग के तरीके हम आज आपको बताएंगे।
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आइए जानें कि प्रोनिंग क्या है और इसका महत्त्व क्या है?



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क्या होती है प्रोनिंग?



• प्रोनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मरीज को सटीक और सुरक्षित गति से, पीठ के बल से पेट के बल लिटाया जाता है ताकि उनका मुंह नीचे की तरफ हो।

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• यह सांस लेने में आराम और ऑक्सीकरण में सुधार करने के लिए मेडिकली प्रूव्ड है।



• यह उन covid-19 मरीजों के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक है जिन्हें होम आइसोलेशन में रहते हुए, सांस लेने में दिक्कत आ रही है।
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• यह प्रक्रिया 30 मिनट से 2 घंटो तक की होती है। इसे करने से फेफड़ों में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और ऑक्सीजन फेफड़ों में आसानी से पहुंचता है।
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• ऑक्सीजेनेशन में इस प्रक्रिया को 80% तक सफल माना जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें, तो जैसे ही मरीज को सांस लेने में तकलीफ महसूस हो, तो अस्पताल भागने के बजाए, समय रहते इस प्रक्रिया को करने से हालात बिगड़ने से बच सकते हैं।
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प्रोनिंग का महत्त्व



• प्रोन पोजिशनिंग से वेंटिलेशन बेहतर होता है। इससे हमारी वायुकोशीय इकाइयाँ (alveolar units) खुल जाती है और सांस लेने में आसानी होती है।



• प्रोनिंग की आवश्यकता उन्हीं मरीजों को है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है या फिर जिन मरीजों का SpO2 लेवल 94 या उससे कम हो गया है।



• होम आइसोलेशन के वक्त यह जरूरी है कि हम हमारे SpO2 लेवल की नियमित रूप से मॉनिटरिंग करें। इसके साथ ही दूसरे चिन्ह जैसे हमारे शरीर का तापमान, ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर आदि की जांच भी जरूरी है।



• हाइपोक्सिया (Hypoxia - compromised oxygen circulation) की कमी से मरीज की हालत और भी खराब हो सकती है।



• नियमित रूप से प्रोनिंग की प्रक्रिया करना और वेंटिलेशन को अच्छा रखने से काफी जिंदगियां बच सकती हैं।



 



** उपरोक्त जानकारी स्वस्थ्य मंत्रालय द्वारा दी गई है। इस प्रक्रिया को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
हेल्थ Covid-19 प्रोनिंग मेथड
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