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Is it genuine body positivity or just a fashion industry flex? Know the reality and its impact: पहले जहां सिर्फ जीरो फिगर या पतली मॉडल्स को ही सुंदरता का प्रतीक माना जाता था, वहीं अब धीरे-धीरे इस सोच में बदलाव आ रहा है। कई ब्रांड्स और डिज़ाइनर्स अब प्लस साइज मॉडल्स को अपने कैंपेन में शामिल कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी बॉडी पॉजिटिविटी का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। लेकिन सवाल ये है कि क्या यह बदलाव सच्चा है या सिर्फ दिखावा।
Plus Size Bodies: फैशन इंडस्ट्री का दिखावा या वाकई में बॉडी पॉजिटिविटी, जानें असलियत और असर
बॉडी पॉजिटिविटी
अपने शरीर को जैसा है वैसा स्वीकार करना और उससे प्यार करना ही बॉडी पॉजिटिविटी कहलाता है। यह सोच लोगों को आत्मविश्वास और कॉन्फिडेंस देती है और उन्हें समाज की तय की गई सुंदरता की परिभाषा से आज़ाद करती है। इससे हर इंसान, चाहे उसका शरीर जैसा भी हो, खुद को खूबसूरत और आत्मविश्वासी महसूस करता है।
फैशन इंडस्ट्री और प्लस साइज
पिछले कुछ सालों में कई बड़े फैशन ब्रांड्स ने प्लस साइज मॉडल्स को अपने एड कैंपेन और रैम्प वॉक में शामिल किया है। यह देखकर एक उम्मीद जगी कि अब सभी बॉडी टाइप्स को मंच मिलेगा। कुछ मॉडल्स जैसे एशले ग्राहम ने इस सोच को आगे बढ़ाया और खुद को एक आइकन के रूप में स्थापित किया।
असलियत या मार्केटिंग
हालांकि कई लोग मानते हैं कि प्लस साइज को शामिल करना सिर्फ मार्केटिंग का तरीका है। कुछ ब्रांड्स सीमित समय के लिए ही बॉडी पॉजिटिविटी को प्रमोट करते हैं और जब ट्रेंड खत्म होता है, तो वो फिर से जीरो फिगर को ही फोकस करने लगते हैं। इसके अलावा, कई बार प्लस साइज मॉडल्स को भी "एडिटेड" और "परफेक्ट" दिखाने की कोशिश की जाती है, जिससे असल बॉडी को दर्शाना संभव नहीं हो पाता।
समाज में असर
प्लस साइज को लेकर बात होना और उन्हें मंच मिलना एक सकारात्मक संकेत है। इससे उन लोगों को आत्मविश्वास मिलता है जो लंबे समय से अपने शरीर को लेकर शर्मिंदगी महसूस करते आए हैं। युवाओं के बीच यह सोच विकसित हो रही है कि हर शरीर सुंदर होता है। लेकिन अगर यह सिर्फ एक दिखावा है, तो यह झूठी उम्मीद देकर लोगों को और ज्यादा हानि पहुंचा सकता है।