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पूरे विश्व भर में, हर वर्ष 23 मिलियन से भी अधिक मिसकैरेज होते हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो, हर 7 में से 1 प्रेगनेंसी में मिसकैरेज होता ही है।
31 शोधकर्ताओं की एक टीम ने यह भी बताया कि पूरी दुनिया में 11% महिलाएं अपने जीवन में एक बार तो फेल्ड प्रेगनेंसी का सामना करती ही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सभी अनरिपोर्टेड केसेस को गिना जाए, तो मिसकैरेज की संख्या इससे भी कही अधिक होगी।
Lancet की शोध से कुछ जरूरी बातें
• विश्व की 2% महिलाओं ने अपने जीवन में 2 बार मिसकैरेज का एक्सपीरियंस किया है।
• पूरे विश्व भर में 1% से भी कम महिलाओं ने 3 या उससे ज्यादा बार मिसकैरेज का सामना किया है।
• इस स्टडी में यह भी ज्ञात हुआ कि जो महिलाएं फेल्ड प्रेगनेंसी से गुजरती हैं, उन्हें बहुत सारे देशों में पूरी देखभाल भी नहीं मिलती, भले ही वे डेवलप्ड नेशंस ही क्यों ना हो।
• शोधकर्ताओं की टीम ने कहा, "एक ऐसे नए सिस्टम की जरूरत है जो यह सुनिश्चित करें कि मिसकैरेज को हम अच्छे से जाने और जो महिलाएं इससे गुजरती हैं, उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत का हम ध्यान रखें"।
आज भी मिसकैरेज को लेकर कई गलतफहमियां हैं, जिन्हें दूर करना आवश्यक है। शोध से यह भी पता चला कि अधिकतर मिसकैरेज होने का दोष एक महिला को ही दिया जाता है। कई बार तो इस कारणवश महिलाओं को उनके पार्टनर द्वारा अकेला छोड़ दिया जाता है।
इसे कम करने के लिए क्या मेजर्स / सुझाव का अनुग्रह किया गया?
शोध के अनुसार, हमें बेहतर और कुशल मिसकैरेज केयर सर्विस की आवश्यकता है। उन्होंने सभी देशों से अनुरोध भी किया कि वे मिसकैरेज के क्षेत्र में अपनी रिसर्च को और सुधारें और इसे रोकने का भी हल खोजें। यह ढूंढने का भी प्रयास करें कि कौन महिलाओं मिसकैरेज की हाई रिस्क पर है।
शोध या भी बताती है कि मेडिकल फील्ड ने इसे कम करने का या फिर ना होने देने का प्रयास भी काफी लंबे समय तक किया है। लैंसेट की शोध ने यह भी बताया कि मिसकैरेज के क्षेत्र में कई प्रकार से मेडिकल प्रगति की कमी है और यह एक आश्चर्यजनक बात है।
महिलाओं को मिसकैरेज के बाद अक्सर यही कहा जाता है कि उन्हें प्रेग्नेंट होने के लिए एक बार और ट्राई करना चाहिए। लैंसेट की शोध ने कहा, "महिलाओं को 'एक बार फिर से ट्राई करना ' यह कहने वाला समय अब खत्म हुआ"।