Public Vulnerability: क्यों आजकल लोग सोशल मीडिया पर अपने ब्रेकडाउन और संघर्ष शेयर करते हैं?

Public Vulnerability: आज सोशल मीडिया महज़ फोटो और वीडियो साझा करने का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह एक ऐसा मंच बन गया है जहाँ लोग अपने मन की बातें खुलकर कहने लगे हैं।

author-image
Tamnna Vats
New Update
social media

Why do people nowadays share their breakdowns and struggles on social media?: आज सोशल मीडिया महज़ फोटो और वीडियो साझा करने का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह एक ऐसा मंच बन गया है जहाँ लोग अपने मन की बातें खुलकर कहने लगे हैं। खासकर युवा वर्ग अब मानसिक तनाव, उदासी और भावनात्मक टूटन जैसे निजी अनुभव भी खुलकर साझा कर रहा है। इसे "सार्वजनिक संवेदनशीलता" या "पब्लिक वल्नरेबिलिटी" कहा जा सकता है, जहाँ लोग अपनी भावनाओं और कमजोरियों को दुनिया के सामने रखने से नहीं हिचकते।

Advertisment

Public Vulnerability: क्यों आजकल लोग सोशल मीडिया पर अपने ब्रेकडाउन और संघर्ष शेयर करते हैं?

भावनात्मक जुड़ाव और सहानुभूति 

जब कोई इंसान मुश्किल दौर से गुजरता है, तो अक्सर उसे लगता है कि वह अकेला है। लेकिन जब वह सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा साझा करता है, तो उसे यह महसूस होता है कि और भी लोग हैं जो इसी तरह के हालात का सामना कर रहे हैं। इससे एक भावनात्मक जुड़ाव बनता है और आपसी सहानुभूति की भावना जागती है। कई बार अजनबी लोग भी कमेंट्स या मैसेज के ज़रिए हौसला बढ़ाते हैं, जो मानसिक रूप से संबल देने का काम करता है।

Advertisment

Authenticity

अब लोग सिर्फ अपनी खुशहाल ज़िंदगी दिखाकर संतुष्ट नहीं होते। वे अपनी असल ज़िंदगी के संघर्ष और भावनाओं को भी साझा करना चाहते हैं, ताकि उनकी पहचान सच्ची और ईमानदार लगे। यह एक तरह से खुद को 'रियल' दिखाने की कोशिश है। जब कोई खुलकर अपने ब्रेकडाउन या परेशानियों की बात करता है, तो लोग उसे और ज्यादा इंसानियत भरा और भरोसेमंद मानते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य और जागरूकता

Advertisment

पिछले कुछ वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जागरूकता तेजी से बढ़ी है। डिप्रेशन, एंग्जायटी और बर्नआउट जैसे शब्द अब आम बातचीत का हिस्सा बन चुके हैं। लोग यह समझने लगे हैं कि मानसिक समस्याएं भी उतनी ही गंभीर होती हैं जितनी शारीरिक बीमारियाँ। ऐसे माहौल में सोशल मीडिया एक ऐसा मंच बन गया है जहाँ लोग अपने अनुभव साझा करते हैं, दूसरों को जागरूक करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर मदद लेने के लिए प्रेरित भी करते हैं।

Catharsis

अपने मन की बात कह पाना भी एक गहरे भावनात्मक शुद्धिकरण की प्रक्रिया है, जिसे 'कैथार्सिस' कहा जाता है। जब कोई व्यक्ति अपनी पीड़ा और उलझनों को शब्दों में ढालकर व्यक्त करता है, तो वह खुद को भीतर से थोड़ा हल्का और सहज महसूस करता है। सोशल मीडिया अब ऐसा प्लेटफॉर्म बन चुका है जहाँ लोग खुलकर अपने जज़्बात, परेशानियाँ और अनुभव साझा करते हैं। यह एक डिजिटल डायरी की तरह है, जहाँ हर पोस्ट आत्म-अभिव्यक्ति और भावनात्मक राहत का जरिया बन जाती है।

public people Struggles सोशल मीडिया