Why is the mother blamed for the deterioration of children? बच्चों के बिगड़ने का दोष मां को ही दिया जाना एक जटिल सामाजिक समस्या है। यह केवल समाज की पारंपरिक सोच और पूर्वाग्रहों का परिणाम नहीं है, बल्कि इसमें माता-पिता दोनों की भूमिका और समाज की अपेक्षाएं भी शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता दोनों की सहभागिता को पहचानें और मां पर अनावश्यक दबाव डालने से बचें। समाज में अक्सर यह देखा जाता है कि बच्चों के बिगड़ने का दोष मां को ही दिया जाता है। इसके पीछे कई सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक कारण हो सकते हैं। आइए, इन कारणों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
बच्चों के बिगड़ने का दोष मां को ही क्यों दिया जाता है?
1. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
प्राचीन काल से ही समाज में महिलाओं की भूमिका परिवार और घर की देखभाल करने की मानी जाती रही है। पारंपरिक रूप से, महिलाओं को बच्चों की देखभाल और शिक्षा की मुख्य जिम्मेदारी सौंपी जाती है। मां को बच्चों को अच्छे संस्कार और शिक्षा देने वाली व्यक्ति के रूप में देखा जाता है।
2. मां की प्राथमिक भूमिका
मां अक्सर बच्चों के जीवन में पहली और सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक होती है। बच्चों के शुरुआती विकास और उनकी प्राथमिक शिक्षा में मां का सबसे बड़ा योगदान होता है। मां और बच्चे के बीच एक गहरा भावनात्मक संबंध होता है, जिससे बच्चे के व्यवहार पर मां का असर अधिक होता है।
3. समाज की अपेक्षाएं
समाज अक्सर महिलाओं से अधिक उम्मीदें रखता है। समाज मां को बच्चों के नैतिक विकास का मुख्य स्तंभ मानता है। इन उच्च उम्मीदों के कारण, जब बच्चे बिगड़ते हैं, तो मां पर दोषारोपण करना आसान हो जाता है।
4. पिता की भूमिका की अनदेखी
अक्सर बच्चों के पालन-पोषण में पिता की भूमिका को कम आंका जाता है। पारंपरिक परिवारों में पिता को परिवार का भरण-पोषण करने वाला और मां को घर संभालने वाली के रूप में देखा जाता है। यदि पिता बच्चों के पालन-पोषण में सक्रिय भागीदारी नहीं करते, तो मां पर अधिक दबाव पड़ता है और दोष भी उसी को मिलता है।