Sexual Harassment Laws: अगर आप भी कॉलेज में पढ़ती हैं तो अपने इन अधिकारों के बारे में जरूर जानिए

Law And Her: कॉलेज में यौन उत्पीड़न से कैसे निपटें? जानिए भारतीय कानून, ICC समिति, शिकायत की प्रक्रिया और अपने अधिकार! हर छात्रा के लिए यह एक जरूरी गाइड है।

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Kirti Sirohi
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women safety (Freepik)

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If You Also Study In College, Then Definitely Know About These Rights Of Yours: कॉलेज का जीवन एक लड़की के लिए न सिर्फ शिक्षा का माध्यम होता है बल्कि यह वो समय भी होता है जब वह दुनिया को अपने नज़रिए से देखना शुरू करती है। आज के समय में बहुत ज्यादा लड़कियां अपने घर से या शहर से दूर रहकर भी कॉलेज की पढ़ाई करती हैं और हॉस्टल या PG में रहती हैं क्योंकि वह आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं, सपने पूरे करना चाहती हैं और अपनी पहचान बनाना चाहती हैं। लेकिन इसी दौर में कई बार उन्हें ऐसे अनुभवों का सामना भी करना पड़ता है जो उनकी मानसिक शांति, आत्मविश्वास और आगे बढ़ने की उम्मीद को कम कर देते हैं। कॉलेज परिसर में यौन उत्पीड़न की घटनाएं इसी तरह के अनुभव हैं जो अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। लेकिन आपको इससे डरकर या हार मानकर पीछे नहीं हटना चाहिए और खुलकर इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ताकि आपके साथ-साथ बाकि लड़कियों को भी हिम्मत मिले। 

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कॉलेजों में यौन उत्पीड़न

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि यौन उत्पीड़न क्या है? यौन उत्पीड़न केवल शारीरिक छेड़छाड़ तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें किसी छात्रा को घूरने, गलत इशारे करने, अश्लील मैसेज भेजने, पीछा करने या सोशल मीडिया पर ऑफेंसिव टिप्पणियां करने जैसे व्यवहार भी शामिल हैं। दुख की बात यह है कि इन घटनाओं को कॉलेजों में “मामूली सी शरारत” या “लड़कों की हरकत” कहकर टाल दिया जाता है जिस वजह से इससे पीड़ित छात्रा अपने मन की बात कहने से घबराने लगती है या इसे हल्के में ले लेती है। लेकिन आपको यह जानना चाहिए कि आप अपने कॉलेज में या कहीं भी सुरक्षित रहने का पूरा हक रखती हैं और कानून भी इसमें आपके साथ है।

यौन उत्पीड़न से जुड़े भारतीय कानून

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2013 में भारत सरकार ने The Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act लागू किया था जिसे आम भाषा में POSH Act भी कहते हैं। इस कानून के अनुसार, "कोई भी जगह जहाँ महिलाएं काम करती हैं या नियमित रूप से जाती हैं - जैसे कि कॉलेज - वहां यौन उत्पीड़न को रोकना और पीड़िता को न्याय देना अनिवार्य है।" कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है ताकि छात्राओं को समान और सुरक्षित माहौल मिल सके और वो अपने साथ होने वाले किसी भी तरह के दुर्व्यवहार या उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठा सकें।

Internal Complaints Committee (ICC)

POSH लॉ के अनुसार हर कॉलेज या यूनिवर्सिटी के अंदर एक Internal Complaints Committee (ICC) का होना अनिवार्य है। इस कमेटी का मुख्य काम यौन उत्पीड़न की शिकायतों को सुनना, निष्पक्ष जांच करना और उसके खिलाफ समय पर सही निर्णय लेना है। ICC में एक बाहरी विशेषज्ञ महिला, कॉलेज स्टाफ और छात्राओं के प्रतिनिधि होते हैं जो मिलकर मामले की संवेदनशीलता के अनुसार काम करते हैं। पीड़िता की पहचान को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है ताकि उसे किसी भी सामाजिक या मानसिक दबाव का सामना न करना पड़े।

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आपके साथ कॉलेज में यौन उत्पीड़न हुआ है तो क्या करें?

सबसे पहले हर लड़की या महिला के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि चुप रहना किसी भी समस्या का हल नहीं है। यौन उत्पीड़न को सहना और उसे सामान्य मान लेना ही अपराधियों को और ताकतवर बनाता है और वह इस अपराध को आगे भी करते रहने की क्षमता रख पाते हैं। इसलिए अगर आपके साथ ऐसा कुछ होता है तो सबसे पहले मानसिक रूप से खुद को मजबूत बनाइए और कॉलेज की ICC में लिखित शिकायत दीजिए। अगर कॉलेज की समिति समय पर कार्रवाई नहीं करती है तो आप सीधे राष्ट्रीय महिला आयोग या राज्य महिला आयोग में भी शिकायत कर सकती हैं।

UGC और AICTE की भूमिका

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भारत में universities की निगरानी करने वाले संस्थान जैसे UGC (University Grants Commission) और AICTE (All India Council for Technical Education) के भी ये स्पष्ट निर्देश हैं कि कॉलेजों को यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। हर कॉलेज में साल में कम से कम एक बार छात्राओं के अधिकारों के बारे में सेमिनार या कार्यशाला आयोजित करना अनिवार्य है। इसका उद्देश्य छात्राओं को यह सिखाना है कि वे चुप न रहें बल्कि अपने अधिकारों को समझें और उनका सही तरह से उपयोग करें। कॉलेज में पढ़ रही हर छात्रा को यह जानना जरूरी है कि वह केवल एक स्टूडेंट नहीं है, बल्कि एक स्वतंत्र नागरिक भी है जिसे संविधान और कानून खुद सुरक्षा प्रदान करता है। यौन उत्पीड़न केवल “छेड़खानी” नहीं होती है बल्कि यह एक कानूनी अपराध है जिसके खिलाफ आप तुरंत शिकायत दर्ज करा सकती हैं। अगर कोई भी कॉलेज या संस्थान ICC का गठन नहीं करता या शिकायत को गंभीरता से नहीं लेता तो यह सीधा कानून का उल्लंघन है और इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

गवर्नमेंट से शिकायत करें

आज के डिजिटल युग में भारत में ऐसे कई हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, जहां महिलाएं सीधे शिकायत कर सकती हैं। shebox.wcd.gov.in जैसे पोर्टल पर आप ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकती हैं जो सीधे महिला और बाल विकास मंत्रालय को भेजी जाती है। इसके अलावा 112 इमरजेंसी हेल्पलाइन और 1930 साइबर हेल्पलाइन जैसे नंबर भी हर समय आपके लिए उपलब्ध हैं।

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कॉलेज का समय एक छात्रा के लिए सीखने और आत्मनिर्भर बनने का होता है, न कि डर में जीने का। अगर आप किसी भी तरह के यौन उत्पीड़न का सामना कर रही हैं तो चुप रहना अपराध नहीं रोकता बल्कि उसे बढ़ावा देता है। इसलिए आपके लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने अधिकारों को जानें, शिकायत दर्ज करें और दूसरों को भी जागरूक करें। एक जागरूक छात्रा न सिर्फ अपने लिए बल्कि समाज की कई अन्य लड़कियों के लिए जो शायद सक्षम न हों, भी उदाहरण बन सकती है। 

 

 

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