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क्या भारतीय शाकाहारी महिलाएँ हर सर्दी में विटामिन D की कमी का शिकार हो रही हैं?

भारत में 90% महिलाएँ विटामिन डी की कमी का शिकार हैं। जानिए कैसे आहार, सूर्य के प्रकाश की कमी और जीवनशैली विटामिन डी के स्तर को प्रभावित करते हैं और इसे सुधारने के उपाय।

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Vaishali Garg
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विटामिन डी हमारे शरीर के लिए एक अत्यावश्यक पोषक तत्व है। लेकिन शोध से पता चलता है कि भारत की 90% महिलाएँ अपने आहार और सूर्य के प्रकाश के संपर्क की कमी के कारण पर्याप्त विटामिन डी नहीं प्राप्त करती हैं। यह समस्या सर्दियों के दौरान और अधिक गंभीर हो जाती है, जब सूर्य का प्रकाश कम मिलता है।

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क्या भारतीय शाकाहारी महिलाएँ हर सर्दी में विटामिन डी की कमी का शिकार हो रही हैं?

विटामिन डी क्यों है ज़रूरी?

विटामिन डी न केवल हड्डियों को मज़बूत बनाने में सहायक है, बल्कि यह मांसपेशियों की गतिविधि, तंत्रिका तंत्र और इम्यून सिस्टम के लिए भी आवश्यक है। यह सूर्य के संपर्क में आने पर त्वचा द्वारा उत्पादित होता है और कुछ खाद्य पदार्थों से भी मिलता है। लेकिन भारतीय महिलाओं में विटामिन डी की कमी सामान्य हो चुकी है, जो अक्सर अनदेखी रह जाती है।

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सूर्य के प्रकाश की कमी

भारत के उत्तरी हिस्सों में महिलाओं के पहनावे के कारण सूर्य के संपर्क में आने का अवसर सीमित होता है। कई महिलाएँ, यहां तक कि बाहर भी, ऐसे कपड़े पहनती हैं जो उनके शरीर को पूरी तरह ढक देते हैं।

सर्दियों में, जब सूर्य की रोशनी स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है, विटामिन डी का निर्माण और घट जाता है। इसके अलावा, शहरों में बढ़ता प्रदूषण और धुंध भी सूर्य की किरणों को अवरुद्ध करता है।

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आहार और विटामिन डी

भारत में शाकाहारी संस्कृति भी इस कमी का एक प्रमुख कारण है। डॉ. वैभव बगारिया के अनुसार, "विटामिन डी के अधिकांश प्राकृतिक स्रोत मांसाहारी खाद्य पदार्थ जैसे मछली, अंडे की जर्दी और लीवर में पाए जाते हैं। शाकाहारी आहार में ये स्रोत नहीं होते, जिससे महिलाओं को फोर्टिफाइड फूड्स और सप्लीमेंट्स पर निर्भर रहना पड़ता है।"

हालांकि कुछ शाकाहारी खाद्य पदार्थ, जैसे मशरूम और गाजर, विटामिन डी के स्रोत हो सकते हैं, लेकिन उनकी मात्रा इतनी अधिक नहीं होती कि शरीर की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

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जीवनशैली और शहरीकरण का प्रभाव

ग्रामीण महिलाओं को घरेलू कार्यों के कारण ज्यादातर समय घर के अंदर रहना पड़ता है। शहरी महिलाएँ भी दिनभर ऑफिस और लंबे सफर के चलते सूरज की रोशनी से वंचित रहती हैं। नाइट शिफ्ट में काम करने से सर्कैडियन साइकल बाधित होती है, जिससे विटामिन डी का सक्रियण प्रभावित होता है।

कितना विटामिन डी चाहिए?

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एक औसत व्यक्ति को प्रतिदिन 400 से 800 IU (10 से 20 माइक्रोग्राम) विटामिन डी की आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं के लिए 30 ng/ml से अधिक का स्तर पर्याप्त माना जाता है। हालांकि, कई विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि वयस्कों को 1,500 से 2,000 IU प्रतिदिन की आवश्यकता हो सकती है।

विटामिन डी की कमी कैसे पूरी करें?

शाकाहारियों के लिए, फोर्टिफाइड दूध, अनाज, और मशरूम जैसे खाद्य पदार्थ उपयोगी हो सकते हैं। लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना सप्लीमेंट्स का सेवन न करें। विटामिन डी की कमी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकती है, और इसे समय रहते पहचानकर सही उपाय करना आवश्यक है।

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