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Photograph: (Freepik)
Benefits of a Healthy Lifestyle for PCOS Management: पीसीओएस पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक आम हार्मोनल समस्या है जो महिलाओं में हार्मोन असंतुलन अनियमित पीरियड्स वजन बढ़ना और प्रजनन से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकती है। हालांकि, हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाकर इस स्थिति को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। नीचे इसके छह प्रमुख फायदे बताए गए हैं
PCOS में हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाने से मिल सकते हैं ये फायदे
1. हार्मोन संतुलन में सुधार
पी सी ओ एस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में एंड्रोजेन्स पुरुष हार्मोन का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है जिससे मासिक धर्म अनियमित हो सकता है और चेहरे पर बाल बढ़ने या मुहांसे जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाने से जैसे कि समय पर खाना खाना पौष्टिक भोजन लेना और नींद पूरी करना हार्मोन के स्तर को संतुलित करने में मदद मिलती है। खासकर लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले भोजन और पर्याप्त प्रोटीन से युक्त आहार हार्मोनल फ्लक्चुएशन को कम कर सकते हैं। इससे मासिक चक्र धीरे धीरे नियमित होने लगता है और शरीर में हार्मोन से जुड़ी गड़बड़ियों से राहत मिलती है।
2. वजन नियंत्रित करने में सहायता
पी सी ओ एस से पीड़ित महिलाओं में वजन बढ़ना एक सामान्य समस्या होती है जो स्थिति को और भी गंभीर बना सकती है। मोटापा हार्मोनल असंतुलन को और बढ़ाता है जिससे पीरियड्स और ओव्यूलेशन पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाने से जिसमें नियमित एक्सरसाइज़ जैसे योग वॉकिंग कार्डियो आदि और हेल्दी डाइट शामिल हो वजन को नियंत्रित रखना संभव होता है। जब शरीर का वजन नियंत्रित रहता है तो शरीर की मेटाबॉलिक क्रियाएं भी सही ढंग से काम करने लगती हैं जिससे पीसीओएस के लक्षण धीरे धीरे कम होने लगते हैं।
3. प्रजनन क्षमता में सुधार
जो महिलाएं पीसीओएस के कारण गर्भधारण करने में कठिनाई का सामना कर रही हैं, उनके लिए हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाना बेहद लाभकारी होता है। जब शरीर में इंसुलिन और अन्य हार्मोन संतुलित होते हैं तो अंडोत्सर्जन ओव्यूलेशन की प्रक्रिया भी नियमित हो जाती है। इसके अलावा पौष्टिक भोजन और फोलिक एसिड से भरपूर डाइट गर्भाशय की सेहत को भी बेहतर बनाती है। नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन तकनीकों के उपयोग से महिला की फर्टिलिटी बढ़ सकती है जिससे गर्भधारण की संभावना भी बढ़ती है।
4. इंसुलिन रेसिस्टेंस में कमी
पी सी ओ एस से जूझ रही महिलाओं में इंसुलिन रेसिस्टेंस की समस्या आम होती है जिसमें शरीर इंसुलिन हार्मोन का सही उपयोग नहीं कर पाता और इससे ब्लड शुगर का स्तर असंतुलित हो जाता है। हेल्दी लाइफ़स्टाइल जैसे कि प्रोसेस्ड और शक्कर युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना और साबुत अनाज हरी सब्ज़ियाँ फाइबर और हेल्दी फैट्स का सेवन करना इंसुलिन सेंसिटिविटी को सुधारने में मदद करता है। नियमित शारीरिक गतिविधियाँ भी मांसपेशियों को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती हैं जिससे टाइप दो डायबिटीज़ का खतरा कम हो जाता है।
5. मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव
पी सी ओ एस केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी असर डालता है। अनियमित पीरियड्स मुहांसे वजन बढ़ना और गर्भधारण में समस्या जैसी बातें मानसिक तनाव चिंता और आत्म संकोच को जन्म देती हैं। लेकिन जब व्यक्ति योग ध्यान पर्याप्त नींद और संतुलित जीवनशैली को अपनाता है तो मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार देखने को मिलता है। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और मूड भी बेहतर होता है। मानसिक रूप से स्वस्थ रहना शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही आवश्यक होता है।