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क्या भारत में लोग Sustainable Living को कभी एडाप्ट कर पाएंगे?

देश में हर साल 20 मिलियन मेट्रिक टन तक प्लास्टिक प्रोडूस होता है जिसमे से 43% प्लास्टिक को सिर्फ एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है। प्लास्टिक भले ही बहुत सस्ता होता है लेकिन जिस मात्रा में वो नुक्सान किए जा रहा है, हम नज़रअंदाज़ नहीं कर पाएंगे।

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Ayushi Jha
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(Image source: Prakriti India)

Importance Of Sustainable Living In India: इस समय पूरी दुनिया बहुत ही एज पर चल रही है जब बात आती है वातावरण की। हम सब ये जानते तो हैं लेकिन समझ नहीं रहें की इसकी कितनी गंभीरता से इस दुनिया को ज़रूरत है। सरकार भी इसके लिए कईं सारे नए रूल्स लागू कर चूका है लेकिन फिर भी हम भारीतय इस बात को अबतक काफी हलके में ले रहे हैं। देश में हर साल लग भाग 20 मिलियन मेट्रिक टन प्लास्टिक प्रोडूस होता है जिसमे से 43% प्लास्टिक को सिर्फ एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है। प्लास्टिक भले ही बहुत सस्ता और टिकाऊ होता है लेकिन जिस मात्रा में वो पुरे दुनिया और धरती का नुक्सान किए जा रहा है, वो एक समय के बाद हम चाह कर भी नज़रअंदाज़ नहीं कर पाएंगे। ना सिर्फ हमारे देश के लिए बल्कि पुरे दुनिया के लिए अब प्रकिति के बारे में सोचना अनिवार्य हो गया है।  

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क्या भारत में लोग Sustainable Living को कभी एडाप्ट कर पाएंगे?

भारतीयों के लिए सरकार ने काफी सारे नियमो को बना दिया है जिससे वो नेचर को प्रोटेक्ट कर सके लेकिन हम भारत के रहने वाले इसे सीरियस लेने को तैयार नहीं है। अब देश में रहने वाले लोगों को यह बात समझना पड़ेगा की यह ग्रह जिसे हम अपना घर समझते है, अब उसे इससे ज़्यादा एक्सप्लॉइट नहीं कर सकते। अब अगर हमने अपने तरीके नहीं सुधारे, तो हमारे आने वाले जीवन और भी कष्टदायक होने वाले हैं। 

इनसब को सँभालने के लिए देश में कईं ऐसे जागरूक लोग भी हैं जिन्होंने इस परिस्तिथि की गंभीरता को भांप लिया है और अब उसपर एक्शन्स ले रहे हैं जैसे की सस्टेनेबिलिटी। सस्टेनेबल लिविंग हमारे धरती के लिए काफी फायदेमंद होता है और साथ ही इकोसिस्टम को भी रिज़र्व करने के लिए अच्छा है। भारत के बड़े कम्पनीज अब सस्टेनेबल प्रोडक्शन को करने लगे हैं। प्लास्टिक को ना कह रहे हैं। रीसाइक्लिंग को बढ़ाते हैं। देश के रिसोर्सेज को वेस्ट नहीं करते और ज़्यादा से ज़्यादा एनर्जी को बचाने की कोशिश करते हैं। 

हम भारतीय जैसे ही लाइफस्टाइल में और इन्वॉल्व होने लगेंगे, हम अपने तरफ से अपने घर, अपने धरती और हमारे आने वाले जनरेशन के लिए एक बेहतर कल बना पाएंगे।

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