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Photograph: (hindustantimes)
The Art of Living for Work Family and Yourself: आज की महिलाएं एक साथ कई भूमिकाएं निभा रही हैं। घर, परिवार, करियर और समाज—हर जगह उनकी जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। लेकिन इस भागदौड़ में कहीं न कहीं वे खुद को भूलने लगती हैं। परिवार की खुशियों को प्राथमिकता देते-देते वे अपनी इच्छाओं, सेहत और खुशियों को नजरअंदाज कर देती हैं।
काम, परिवार और खुद के लिए जीने की कला
महिलाओं के लिए अपने सपनों को पूरा करना, अपनी खुशियों को महत्व देना और जीवन का आनंद लेना जरूरी है। क्योंकि जब एक महिला खुश रहती है, तो उसका सकारात्मक असर पूरे परिवार पर पड़ता है।
घर और परिवार की ज़िम्मेदारी
हर महिला के लिए उसका घर सबसे अहम होता है। वह सुबह से रात तक परिवार के हर सदस्य की जरूरतों का ध्यान रखती है। बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की सेहत, पति के कामकाज का ख्याल—हर चीज़ उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाती है। लेकिन यही ज़िम्मेदारी कई बार उसके लिए मानसिक और शारीरिक थकान का कारण बन जाती है।
काम और करियर का संतुलन
आज महिलाएं घर के साथ-साथ करियर में भी अपनी जगह बना रही हैं। लेकिन काम और परिवार के बीच संतुलन बैठाना सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है। ऑफिस में काम का प्रेशर और घर की जिम्मेदारियां, दोनों को निभाते-निभाते वे खुद के लिए वक्त ही नहीं निकाल पातीं। कई बार समाज की अपेक्षाएं भी उन पर दबाव बनाती हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है।
खुद के लिए जीना भी ज़रूरी
परिवार और करियर की इस दौड़ में महिलाएं अक्सर भूल जाती हैं कि वे भी इंसान हैं, उनकी भी इच्छाएं और सपने हैं। खुद के लिए समय निकालना, अपनी पसंद की चीजें करना, अपनी सेहत और मानसिक शांति पर ध्यान देना उतना ही ज़रूरी है, जितना घर और परिवार का ख्याल रखना। एक खुशहाल महिला ही परिवार को खुश रख सकती है।
क्या करें?
- खुद को भी प्राथमिकता दें, अपनी रुचियों और शौक को समय दें।
- मानसिक और शारीरिक सेहत का ध्यान रखें, योग-ध्यान को अपनाएं।
- परिवार के साथ जिम्मेदारियों को बांटें और बिना संकोच मदद मांगें।
- कभी-कभी अपने लिए भी कुछ करें—घूमने जाएं, किताबें पढ़ें, पसंदीदा संगीत सुनें।