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Unique Bridal Jewellery Across South Asia
दक्षिण एशियाई शादियां अपनी भव्यता, संस्कृति और व्यक्तिगत शैली के लिए जानी जाती हैं। शादी का हर जोड़ा केवल फैशन का प्रतीक नहीं होता बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर और गहरी भावनाओं का प्रतिबिंब भी होता है। इस क्षेत्र की दुल्हनों के गहने न केवल उनकी सुंदरता को बढ़ाते हैं बल्कि इनका ऐतिहासिक और पारंपरिक महत्व भी होता है। आइए जानें भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अन्य दक्षिण एशियाई देशों की दुल्हनों द्वारा पहने जाने वाले कुछ अनूठे गहनों के बारे में।
दक्षिण एशिया की अनूठी ब्राइडल ज्वेलरी: भारत से श्रीलंका तक की परंपराएं
नेपाल: तिलहरी पोते माला
नेपाल की हिंदू दुल्हनों के लिए तिलहरी पोते माला एक विशेष विवाहिक आभूषण है। यह छोटे कांच के मोतियों (पोते) और 18-24 कैरेट सोने के खोखले सिलेंडरनुमा लटकन (तिलहरी) से बना होता है। यह हार दुल्हन के पिता द्वारा खरीदा जाता है, जबकि दूल्हे के परिवार की ओर से इसे उपहार के रूप में दिया जाता है। लाल और हरे मोती का यह हार सौभाग्य और प्रजनन क्षमता का प्रतीक माना जाता है।
कश्मीर: देझूर
कश्मीरी पंडित दुल्हनों द्वारा पहना जाने वाला देझूर एक पारंपरिक झुमका जैसा आभूषण है, जिसे कान के ऊपरी हिस्से में लाल धागे (नैरवान) के साथ बांधा जाता है। शादी के दिन इसे सोने या चांदी के धागे (अथ) से बदल दिया जाता है। इस आभूषण को पहनने की परंपरा विवाह के बंधन को मजबूत करने का प्रतीक मानी जाती है।
पाकिस्तान और उत्तरी भारत: पासा / झूमर
मुस्लिम दुल्हनें पारंपरिक रूप से अपने सिर के बाईं ओर पासा या झूमर पहनती हैं। यह सोने, चांदी और बहुमूल्य रत्नों से बना होता है और इसे मुगलकाल से जुड़ा माना जाता है। पासा के साथ दुल्हनें मांग टीका, कुंदन चोकर, और नथ भी पहनती हैं, जो उनके शाही लुक को पूरा करते हैं।
हिमाचल प्रदेश: चिरी टीका
गद्दी जनजाति की दुल्हनें शादी के दौरान चिरी टीका पहनती हैं, जो माथे के बीचों-बीच रखा जाने वाला भारी चांदी का आभूषण होता है। इसमें नक्काशीदार डिजाइन और छोटी-छोटी लटकती हुई मोतियों की झालर होती हैं। यह आभूषण दैवीय आशीर्वाद और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
पंजाब: चूड़ा और कलीरे
पंजाबी हिंदू और सिख दुल्हनें लाल चूड़ा और सोने के कलीरे पहनती हैं, जो उनके विवाहित जीवन में सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होते हैं। शादी के दौरान दुल्हन अपने कलीरे को अविवाहित लड़कियों के सिर पर झटकती है। जिस लड़की पर कलीरे का कोई टुकड़ा गिरता है, उसे अगली शादी के लिए सौभाग्यशाली माना जाता है।
राजस्थान: बोरला और राखड़ी
राजस्थानी हिंदू दुल्हनों के माथे पर बोरला या राखड़ी नामक गोलाकार मांग टीका पहना जाता है। यह दुल्हन के "तीसरे नेत्र" का प्रतीक माना जाता है, जो तर्क, बुद्धि और भावनाओं को नियंत्रित करने का संकेत देता है। इसे अक्सर माथा पट्टी के साथ पहना जाता है।
पश्चिम बंगाल: मुकुट
बंगाली हिंदू दुल्हनें शादी के दौरान शोला पिथ से बना मुकुट पहनती हैं। सफेद रंग का यह मुकुट पवित्रता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसे "सात फेरा" और "सिंदूरदान" जैसे विवाह समारोहों के दौरान पहना जाता है।
मणिपुर: काजेंगलेई / लेइतरेग
मणिपुरी मीतेई दुल्हनें शादी में काजेंगलेई या लेइतरेग नामक पीतल की पट्टियों से बना हेडड्रेस पहनती हैं। इसे लाल कपड़े की पट्टी से बांधा जाता है और इसे पहनने की परंपरा महाराजा गम्भीर सिंह के काल से चली आ रही है। दुल्हनें इसे पारंपरिक गहनों जैसे मांग टीका, कियांग लिकफांग और राकोडी के साथ पहनती हैं।
गोवा: चूड्डो
गोवा की कैथोलिक दुल्हनें विवाह से पहले रंगीन कांच की चूड़ियां (चूड्डो) पहनती हैं। इस रस्म में दुल्हन और उसके परिवार की महिलाएं कांच की चूड़ियां पहनती हैं, जिसे काकोनकर या वोलार नामक चूड़ी विक्रेता घर आकर पहनाता है।
असम: जोंबिरी और ढोलबिरी
असम की दुल्हनें जोंबिरी और ढोलबिरी नामक आभूषण पहनती हैं। जोंबिरी अर्धचंद्राकार होता है, जबकि ढोलबिरी ढोल के आकार का होता है। ये गहने आमतौर पर सोने से बने होते हैं और बहुरंगी रत्नों से सजाए जाते हैं।
महाराष्ट्र: मुंडावल्या
महाराष्ट्रीयन हिंदू दुल्हनें माथे पर मुंडावल्या पहनती हैं, जो सिर के चारों ओर लटकने वाली मोतियों की एक लड़ी होती है। यह वर-वधू के एकजुट होने का प्रतीक माना जाता है और विवाह समारोहों के दौरान पहना जाता है।
कर्नाटक और तेलंगाना: बासिंगा
दक्षिण भारत में, खासतौर पर कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में, दुल्हनें बासिंगा नामक हेडपीस पहनती हैं। यह मांग टीका और माथा पट्टी के साथ पहना जाता है। अन्य पारंपरिक गहनों में थाली (मंगलसूत्र), कमरबंद, बाजूबंद और पाजेब शामिल हैं।
तमिलनाडु: अंडाल कोंडाई
तमिल अयंगर दुल्हनें अपने बालों को पारंपरिक रूप से अंडाल कोंडाई शैली में संवारती हैं, जिसमें बालों को तिरछे जूड़े में बांधा जाता है और गहनों तथा चमेली के फूलों से सजाया जाता है।
श्रीलंका: हावडिया
श्रीलंकाई सिंहली दुल्हनें हावडिया नामक कमरबंद पहनती हैं, जो पारंपरिक कंद्यान आभूषणों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गहना समृद्धि, शक्ति, सौभाग्य और वैवाहिक एकता का प्रतीक होता है।
दक्षिण एशिया की शादियां केवल भव्यता का प्रदर्शन नहीं होतीं, बल्कि वे एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं। हर दुल्हन का गहना उसकी परंपराओं, मान्यताओं और पहचान का प्रतीक होता है। चाहे वह नेपाल की तिलहरी माला हो, पंजाब का चूड़ा-कलीरा, या श्रीलंका का हावडिया, हर गहने की अपनी अनूठी कहानी होती है।