Lifestyle Tips: डिलीवरी के बाद महिलाओं को लाइफस्टाइल में क्या बदलाव करने चाहिए

प्रेगनेंसी और डिलीवरी एक महिला के जीवन का बेहद खास लेकिन चुनौतीपूर्ण दौर होता है। बच्चे के जन्म के बाद शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत सारे बदलाव आते हैं।

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Shivalika Srivastava
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Photograph: (Freepik)

 

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What Lifestyle Changes Women Should Make After Delivery: प्रेगनेंसी और डिलीवरी एक महिला के जीवन का बेहद खास लेकिन चुनौतीपूर्ण दौर होता है। बच्चे के जन्म के बाद शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत सारे बदलाव आते हैं। इस नए फेज को स्वस्थ और खुशहाल बनाने के लिए महिलाओं को अपने लाइफस्टाइल में कुछ अहम बदलाव करने चाहिए। ये छोटे-छोटे स्टेप्स न केवल उनकी सेहत को सुधारते हैं बल्कि उन्हें मदरहुड के इस नए सफर में भी मजबूत बनाते हैं।

डिलीवरी के बाद महिलाओं के लिए जरूरी लाइफस्टाइल बदलाव

1. न्यूट्रिएंट्स से भरपूर आहार ले

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बच्चे के जन्म के बाद शरीर को तेजी से रिकवरी की जरूरत होती है। इसलिए अपने खाने में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, विटामिन्स और फाइबर युक्त चीजें शामिल करें। दालें, हरी सब्जियाँ, फल, सूखे मेवे और दूध जैसी चीजों का सेवन बढ़ाएं। फास्ट फूड और प्रोसेस्ड खाने से दूरी बनाए रखें।

2. धीरे-धीरे एक्सरसाइज को लाइफस्टाइल में शामिल करें

डिलीवरी के कुछ हफ्तों बाद, डॉक्टर की सलाह से हल्की एक्सरसाइज या योग शुरू करें। इससे शरीर की ताकत वापस आएगी, मानसिक तनाव कम होगा और वजन भी संतुलित रहेगा। शुरुआत वॉकिंग या ब्रीदिंग एक्सरसाइज से करें और धीरे-धीरे स्ट्रेंथ ट्रेनिंग या योग में बढ़ोतरी करें।

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3. पर्याप्त नींद और आराम को प्राथमिकता दें

नवजात शिशु के साथ नींद का पैटर्न भी बिगड़ जाता है, परन्तु जब भी मौका मिले, थोड़ी देर आराम करना जरूरी है। शरीर की सही रिकवरी के लिए नींद सबसे बड़ी दवा है। "जब बच्चा सोए, आप भी सोएं" इस फॉर्मूला को अपनाएं।

4. मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें

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डिलीवरी के बाद हार्मोनल बदलावों के कारण मूड स्विंग्स, एंग्जायटी या डिप्रेशन होना सामान्य है। यदि लंबे समय तक उदासी, चिड़चिड़ापन या अकेलापन महसूस हो, तो परिवार से बात करें और ज़रूरत पड़े तो प्रोफेशनल मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं। भावनाओं को दबाना नहीं, स्वीकार करना जरूरी है।

5. खुद के लिए समय निकालना सीखें

मां बनना अपने आप में एक फुल-टाइम जॉब है, लेकिन खुद की पहचान को बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। रोज थोड़ा समय अपने लिए निकालें—चाहे वो किताब पढ़ना हो, संगीत सुनना हो या सिर्फ चाय की चुस्की के साथ खुद से बात करना। इससे आप तरोताजा महसूस करेंगी।

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