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बॉलीवुड में एक ऐसी गायिका हुईं, जिनका भारत से कोई नाता नहीं था, फिर भी उनकी आवाज़ ने लाखों दिलों पर राज किया। 1939 में एक छोटे से रोमानियाई गाँव में जन्मीं मारिया अमारगियोलेई, जिन्हें दुनिया नार्गिता के नाम से जानती है, 1960 और 70 के दशक में बॉलीवुड गानों की दुनिया में छा गईं। उन्होंने भारत का कभी सपना नहीं देखा था, लेकिन राज कपूर की एक फिल्म ने उनकी ज़िंदगी ही बदल दी।
नार्गिता कौन थीं? वो रोमानियाई आवाज जिसने बॉलीवुड का दिल जीत लिया
जब हिंदी गानों से हुआ पहला प्यार
मारिया की बचपन की ज़िंदगी आसान नहीं थी। माता-पिता के अलग होने के बाद वे संघर्षों से घिरी रहीं, लेकिन उनकी तक़दीर बदलनी थी।
साल 1951 में उन्होंने एक भारतीय फिल्म देखी राज कपूर की 'आवारा'। यह फिल्म और इसके गाने उनके दिल में बस गए। उन्होंने इसे बार-बार देखा, हर गाने को रिकॉर्ड किया, और हिंदी के एक-एक शब्द को रट लिया। समस्या सिर्फ एक थी उन्हें हिंदी बोलनी नहीं आती थी।
लेकिन नार्गिता ने हार नहीं मानी। उन्होंने बुखारेस्ट यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर से हिंदी सीखना शुरू किया और चार साल की मेहनत के बाद वे न सिर्फ हिंदी गाने गाने लगीं, बल्कि भाषा को अच्छे से समझने भी लगीं। उन्होंने एक साड़ी खरीदी, भारतीय संगीत के रिकॉर्ड जुटाए, और अपनी आवाज़ को भारतीय संगीत के सुरों में ढाल लिया।
जब पूरी दुनिया नार्गिता की दीवानी हो गई
साल 1959 में उन्होंने पहला हिंदी गानों का एल्बम रिकॉर्ड किया। जब लोगों ने सुना तो हैरान रह गए, एक रोमानियाई लड़की हिंदी गानों को इतनी खूबसूरती से कैसे गा सकती है?
लेकिन असली बदलाव तब आया जब 1967 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रोमानिया गईं और नार्गिता का प्रदर्शन देखा। वे इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने नार्गिता को भारत आने का न्योता दिया।
जब नार्गिता ने भारत में रचा इतिहास
नौ महीने बाद नार्गिता भारत पहुंचीं, वो भी भारतीय सरकार के निमंत्रण पर। उन्होंने यहां छह महीने बिताए और अपने सबसे बड़े आइडल राज कपूर से मुलाकात की।
राज कपूर, जिनकी फिल्म ने नार्गिता के दिल में हिंदी संगीत के लिए प्यार जगाया था, उनकी इस कहानी से बेहद प्रभावित हुए। दोनों की दोस्ती गहरी हो गई और नार्गिता को बॉलीवुड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाने लगा।
भारत से दुनिया तक, नार्गिता का जादू
जब नार्गिता वापस यूरोप गईं, तो उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी। न्यूयॉर्क, पेरिस, रोम, बर्लिन, प्राग, काहिरा हर जगह उन्होंने भारतीय गाने गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
लोग कहते थे "अगर आप उनकी आवाज़ पर्दे के पीछे से सुनें, तो आपको लगेगा कि कोई भारतीय गायिका गा रही है।"
जब राजनीति ने छीन ली आवाज़
लेकिन यह सफर हमेशा के लिए नहीं था। 1980 के दशक में, रोमानिया में तानाशाही शासन (Ceauşescu Regime) के चलते उन्हें विदेश यात्रा से रोक दिया गया। धीरे-धीरे उनकी आवाज़ फीकी पड़ गई, स्टेज छिन गया, और वे गुमनामी में खो गईं।
2013 में नार्गिता का निधन हो गया एक ऐसी कलाकार जो दुनिया के लिए तो बेशकीमती थी, लेकिन अपनी आखिरी ज़िंदगी अकेलेपन में बिताने के लिए मजबूर हो गईं। लेकिन उनकी आवाज़ आज भी ज़िंदा है।
उन्होंने बिना भारतीय होते हुए भी बॉलीवुड और हिंदी संगीत को अपनी आत्मा से अपनाया, और इस तरह हिंदी गानों की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ दी।