Postpartum Recovery: महिलाएं खुद को कैसे हील करें शारीरिक और भावनात्मक रूप से

गर्भावस्था और प्रसव का समय एक महिला के जीवन में बेहद अनोखा और चुनौतीपूर्ण होता है। शिशु के जन्म के बाद शरीर और मन दोनों को गहराई से प्रभावित करने वाली कई भावनात्मक और शारीरिक स्थितियाँ सामने आती हैं।

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Sanya Pushkar
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Postpartum Recovery How Women Can Heal Physically and Emotionally: गर्भावस्था और प्रसव का समय एक महिला के जीवन में बेहद अनोखा और चुनौतीपूर्ण होता है। शिशु के जन्म के बाद शरीर और मन दोनों को गहराई से प्रभावित करने वाली कई भावनात्मक और शारीरिक स्थितियाँ सामने आती हैं। इस समय को प्रसवोत्तर अवधि कहा जाता है जो महिला के संपूर्ण स्वास्थ्य और जीवनशैली पर बड़ा असर डालती है। कई महिलाएं इस समय में थकावट दर्द हार्मोनल असंतुलन अवसाद और आत्म समझ की कमी जैसी समस्याओं का सामना करती हैं। इसलिए इस समय में सही देखभाल और सहारा देना जरूरी होता है ताकि महिला शारीरिक रूप से ठीक हो सके और भावनात्मक रूप से भी सशक्त महसूस कर सके।

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महिलाएं कैसे हील करें शारीरिक और भावनात्मक रूप से

1. शारीरिक आराम और पोषण

प्रसव के बाद महिला का शरीर अत्यंत कमजोर हो जाता है क्योंकि उसने नौ महीने तक एक नया जीवन पालने के बाद प्रसव की कठिन प्रक्रिया को सहा है। इसलिए सबसे पहले जरूरी है कि वह पर्याप्त आराम और संतुलित पोषण प्राप्त करे। आयरन कैल्शियम प्रोटीन और फाइबर से भरपूर आहार शरीर को हील करने में मदद करता है। गरम देसी घी हल्दी वाला दूध हरी सब्जियाँ और सूखे मेवे जैसे घरेलू उपायों से महिला को ताकत मिलती है। इसके साथ साथ पर्याप्त नींद और हल्की दिनचर्या भी जरूरी है ताकि शरीर पुन ऊर्जा से भर सके और बच्चे की देखभाल भी अच्छी तरह से हो सके।

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2. हल्का व्यायाम और योग

शरीर को धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लाने के लिए हल्का व्यायाम और योग बेहद लाभकारी होते हैं। प्रसव के छह हफ्ते बाद डॉक्टर की सलाह से महिला पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज प्राणायाम और हल्के स्ट्रेचिंग योगासन शुरू कर सकती है। ये व्यायाम न केवल शारीरिक मजबूती लाते हैं बल्कि हार्मोनल संतुलन को भी सुधारते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, शरीर की सूजन कम होती है और मन भी प्रसन्न रहता है। व्यायाम मानसिक ऊर्जा को बढ़ाता है जो महिला को आत्म विश्वास और संतुलन प्रदान करता है।

3. भावनात्मक समर्थन और संवाद 

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प्रसव के बाद महिलाओं में भावनात्मक अस्थिरता आम होती है जिसे अक्सर बेबी ब्लूज़ या कभी कभी पोस्टपार्टम डिप्रेशन के रूप में देखा जाता है। इस समय में महिला को सबसे ज़्यादा जरूरत होती है भावनात्मक समर्थन और समझ की। परिवार, पति और दोस्तों को चाहिए कि वे खुले दिल से संवाद करें उसकी भावनाओं को समझें और उसे अकेलापन महसूस न होने दें। कई बार सिर्फ किसी अपने से बात करना ही मानसिक तनाव को काफी हद तक कम कर देता है। यदि जरूरत हो तो काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लेना भी उचित होता है।

4. स्व देखभाल 

एक माँ के रूप में महिला खुद को अक्सर भूल जाती है लेकिन स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे की देखभाल कर सकती है। इसलिए खुद की देखभाल भी उतनी ही जरूरी है। इसमें शामिल है अच्छी नींद समय पर खाना त्वचा और बालों की देखभाल पसंदीदा किताब पढ़ना या संगीत सुनना। हर दिन कम से कम बीस से तीस मिनट खुद के लिए निकालना चाहे वह ध्यान हो स्नान हो या टहलना यह मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह मी टाइम महिला को फिर से आत्मचिंतन और स्फूर्ति पाने का मौका देता है।

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5. चिकित्सा जांच और डॉक्टर से परामर्श

प्रसव के बाद नियमित चिकित्सा जांच बहुत जरूरी होती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिला का शरीर ठीक से रिकवर कर रहा है। थायरॉइड आयरन की कमी ब्लड प्रेशर वजन आदि पर नजर रखना जरूरी होता है। अगर महिला को अत्यधिक रक्तस्राव बुखार दर्द या मूड स्विंग्स जैसे लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा स्तनपान मासिक धर्म की अनियमितता और यौन स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के लिए भी विशेषज्ञ मार्गदर्शन लेना चाहिए। चिकित्सा सलाह महिला को आत्मविश्वास देती है और अनावश्यक चिंता से बचाती है।

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