ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी किन बातों को सच नहीं मानना चाहिए

मातृत्व का अनुभव एक स्त्री के जीवन का सबसे सुंदर और संवेदनशील समय होता है। इस समय मां और नवजात शिशु के बीच का संबंध बहुत ही गहरा और भावनात्मक होता है।

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Sanya Pushkar
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Breastfeeding Myths(Freepik)

Things About Breastfeeding That Should Not Be Believed:  ब्रेस्टफीडिंग यानी स्तनपान इस संबंध को न केवल मजबूत बनाता है बल्कि यह शिशु के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक भी होता है। हालांकि समाज में स्तनपान को लेकर अनेक मिथक यानी झूठी धारणाएं प्रचलित हैं जो नई माताओं को भ्रमित कर देती हैं। इन मिथकों के कारण कई बार मां खुद पर संदेह करने लगती है और शिशु को उसका संपूर्ण पोषण नहीं मिल पाता। इस निबंध में हम उन झूठी बातों पर प्रकाश डालेंगे जिन्हें ब्रेस्टफीडिंग के संदर्भ में सच नहीं मानना चाहिए।

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ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी किन बातों को सच नहीं मानना चाहिए

1. स्तनपान बिल्कुल सहज और स्वाभाविक होता है यह हमेशा सच नहीं होता

अक्सर कहा जाता है कि स्तनपान एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और हर मां इसे सहज रूप से कर सकती है। हालांकि यह पूरी तरह से सच नहीं है। कई बार शुरुआती दिनों में मां को दूध पिलाने में कठिनाई हो सकती है जैसे कि शिशु का सही तरीके से स्तन नहीं पकड़ पाना निप्पल में दर्द या सूजन दूध की मात्रा कम लगना आदि। इन समस्याओं से जूझ रही मां को यह विश्वास दिलाना कि यह तो बहुत आसान होता है  उसकी मानसिक स्थिति को और खराब कर सकता है। बेहतर होगा कि ऐसी मां को भावनात्मक सहयोग और सही सलाह दी जाए।

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2. शुरुआती दिनों में दूध कम आता है, इसका मतलब है कि दूध पर्याप्त नहीं है यह एक भ्रम है

बच्चे के जन्म के बाद पहले कुछ दिनों में मां का शरीर कोलोस्ट्रम नामक गाढ़ा और पीला दूध बनाता है जो कम मात्रा में आता है लेकिन पोषण और एंटीबॉडी से भरपूर होता है। बहुत सी मांएं यह सोचकर घबरा जाती हैं कि दूध पर्याप्त नहीं आ रहा और वे फॉर्मूला मिल्क देने लगती हैं। जबकि सच्चाई यह है कि शिशु की शुरुआती जरूरतों के लिए यह थोड़ी सी मात्रा ही पर्याप्त होती है। नियमित स्तनपान से दूध की आपूर्ति स्वाभाविक रूप से बढ़ती है।

3. अगर मां बीमार है तो उसे स्तनपान नहीं कराना चाहिए यह हमेशा सही नहीं है

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यह धारणा बहुत आम है कि बीमारी के दौरान मां को स्तनपान नहीं कराना चाहिए ताकि बच्चा संक्रमित न हो जाए। जबकि वास्तविकता यह है कि सामान्य सर्दी जुकाम या बुखार जैसी हल्की बीमारियों में स्तनपान न केवल सुरक्षित होता है बल्कि इससे मां के शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी शिशु को बीमारी से बचाने में मदद करती हैं। केवल कुछ गंभीर बीमारियों या दवाओं के मामले में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है।

4. छोटे स्तनों वाली महिलाएं पर्याप्त दूध नहीं बना सकतीं यह पूरी तरह गलत है

यह मिथक शारीरिक बनावट को लेकर गलत अवधारणाओं से जुड़ा हुआ है। स्तन का आकार दूध उत्पादन से जुड़ा हुआ नहीं होता। दूध की मात्रा मुख्यत डिमांड और सप्लाई के सिद्धांत पर निर्भर करती है। जितना अधिक शिशु स्तनपान करेगा उतना ही अधिक दूध बनेगा। इसलिए यह मान लेना कि छोटे स्तन दूध नहीं बना सकते पूरी तरह से वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गलत है।

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5. स्तनपान के दौरान मां को बहुत सख्त डाइट फॉलो करनी चाहिए यह जरूरी नहीं है

कई लोग यह सलाह देते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली मां को बहुत सीमित भोजन करना चाहिए जैसे मसालेदार खाना ठंडी चीज़ें या फल न खाना आदि। लेकिन यह सलाह हर किसी पर लागू नहीं होती। स्तनपान कराने वाली मां को संतुलित पौष्टिक और विविधता से भरा भोजन करना चाहिए। हां यदि किसी विशेष भोजन से शिशु को एलर्जी या गैस जैसी समस्या होती है तो उसे सीमित किया जा सकता है। लेकिन सामान्य रूप से कोई विशेष सख्त डाइट की आवश्यकता नहीं होती।

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