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भारत सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशिल्ड और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी है। इसका मतलब है कि हेल्थकेयर वर्कर्स और बुज़ुर्ग लोग अगले कुछ दिनों में अपनी वैक्सीन प्राप्त कर सकेंगे। देश के बाकी लोगों को भी उम्मीद है कि वैक्सीन रोल आउट जल्द से जल्द हो जाएगा। आइये जानते हैं भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के बारे में कुछ ज़रूरी बातें।
- इसको भारत बायोटेक द्वारा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ पार्टनरशिप में डेवेलोप किया गया था। यह एक मेड-इन-इंडिया वैक्सीन है।
- इसको अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से फॉर्मल ऑथोरेटिज़ेशन मिल गया है, जो एक एक्सपर्ट पैनल की रिकमेन्डेशन का पालन करता है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि कोवैक्सीन वायरस के नए वेरिएंट के खिलाफ काम करने की अधिक संभावना है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि वैक्सीनेशन के पहले फेज में फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स शामिल होंगे।
- जेएनयू से लाइफ साइंसेज में पीएचडी, डॉ। सुमति भारत भरत बायोटेक की रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम की हेड हैं।
- भारत बायोटेक पहले ज़ीका, चिकनगुनिया के खिलाफ वैक्सीन डेवेलोप कर चूका है। हैदराबाद स्थित कंपनी नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो के हिस्से के रूप में रोटावैक, रोटावैक -5 डी, बायोइब आदि वैक्सीन को मैन्युफैक्चर करती है।
- कोवैक्सीन COVID-19 के खिलाफ एक इनएक्टिवेटेड दो डोज़ वाला टीका है।
- भारत बायोटेक का कहना है कि कोवैक्सीन के पास "300 मिलियन से ज़्यादा डोज़ का एक सेफ ट्रैक रिकॉर्ड" है।
- भारत बायोटेक ने पहले ही अमेरिकी बाजार के लिए कोवैक्सीन के को-डेवलपमेंट के लिए यूएस फर्म Ocugen के साथ लेटर ऑफ़ इंटेंट पर साइन किए हैं। कंपनी दक्षिण अमेरिका, एशिया और मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप के 10 देशों के साथ भी बातचीत कर रही थी।
- प्राइसिंग: यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि कोवैक्सीन की कीमत क्या होगी, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बायोटेक की कीमत 350 रुपये हो सकती है। हालांकि एक इंटरव्यू में भारत बायोटेक के संस्थापक ने कहा कि इसकी कीमत 'पानी की बोतल से कम' होगी।
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