अफ़ग़ानिस्तान एक ऐसा देश है जहां महिलाओं को अधिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं। यह महिलाएं अपने ऊपर होते अत्याचारों का विरोध भी नहीं कर सकतीं। महिलाओं के सार्वजनिक प्रदर्शन पर यहां पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है। अब एक तालिबानी प्रवक्ता ने यह इस्पष्ट किया कि अब महिलाओं को देश कि सभी निजी और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में तत्काल प्रतिबंधित किया जाता है। इस पर महिलाओं के भावों को काफी ठेस पहुंची है।
इस प्रकार की घोषणा के पश्चात पूरे देश भर में बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन चालू हो गए, इसमें लेडीज स्टूडेंट्स के पास शिक्षा का सिर्फ एक ही मौलिक अधिकार प्राप्त था। तालिबानियों के द्वार इसके हटाए जाने के कारण ही पिछले हफ्ते में उनका गुस्सा अपनी चरम पर पहुंच गया । जहां एक ओर पूरी दुनिया महिलाओं के समर्थन में खड़ी हो जाती है, अफगानिस्तान में अफगानी पुरुष छात्रों का उनके साथ खड़ा होना। उनकी इस अधिकार के प्राप्ति की लड़ाई में उनकी यह बड़ी उपलब्धि है।
अफगान पुरुष छात्र कर रहें हैं कक्षाओं का बहिष्कार
पिछले हफ्ते, अफ़ग़ानिस्तान के उच्च शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि महिलाओं को तुरंत सभी प्राइवेट और पब्लिक विश्वविद्यालयों में शिक्षा नहीं लेना चाहिए आपके लिए शिक्षा नहीं है। पहले जिम और मनोरंजन पार्कों पर प्रतिबंध लगने के पश्चात, महिलाओं के स्वतंत्रता अधिकारों पर फिर से एक बड़ा झटका दिया गया है।
पहले तालिबान के द्वारा यह वादा किया गया था कि उनके द्वारा महिलाओं के अधिकारों को नहीं रोंदा जाएगा और उनकी शिक्षा से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा , लेकिन उनकी नई घोषणा उन सभी वादों को छीन लेती है। जिनके लिए देश भर की महिलाएं काम कर रही थीं। 2021 में तालिबान समूह के देश पर क़ब्ज़ा करने के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों को पहले ही माध्यमिक स्कूली शिक्षा से बाहर कर दिया गया था।
सोशल मीडिया पर हाल ही में एक विडिओ अपलोड हुआ है , जिसमें अफगानिस्तान के विश्वविद्यालयों में पुरुष छात्रों का एक बड़ा समूह अपनी परीक्षा के दिन अपनी कक्षा से बाहर चला गया और अपनी महिला साथियों के साथ जुड़ कर अपनी धारणा जताई। छात्रों ने जमकर नारेबाजी करी और तालिबान का जम कर विरोध किया।
तालिबान शासन के खिलाफ विरोध करते हुए, पुरुष छात्रों ने एक शक्तिशाली वाकआउट किया और सरकार के खिलाफ विरोध किया। एक ऐसे देश में जहां पुरुषों और महिलाओं के साथ अलग-अलग व्यवहार किया जाता है और महिलाओं को पुरुषों के आधे अधिकार भी नहीं दिए जाते हैं, अफगानी पुरुषों का महिलाओं की शिक्षा के लिए खड़ा होना एक महत्वपूर्ण कदम है।