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पहल कैसे शुरू हुई?
कुछ ही दिनों पहले शी द पीपल ने आरती से बात की थी और उन्होंने ही जोन्हा गांव की लड़कियों औऱ महिलाओ की परिस्थिति का मुद्दा उठाया था , जहां उन्हें पैड्स के अभाव में पेटीकोट औऱ घासफूस से बने पैड्स का इस्तेमाल करना पड़ रहा था। सरकार ने इसे सुना और तुरंत इसपे एक्शन लिया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्चियों के घर पहुंची । बच्चियों को पेटीकोट, और घास से बने एब्सॉरबेन्ट को यूज़ ना करने पड़े इसलिए उनके लिए सेनेटरी पैड्स को बांटा गया।
पहल किसने शुरू की?
आहान फाउंडेशन की रश्मि तिवारी बताती हैं कि, 23 वर्षीय आरती, लॉक डाउन में सेनेटरी सप्लाइज के अभाव के लिए जागरूकता फैला रही हैं। सेनेटरी नैपकिन्स का एसेंशियल सप्लाई में होने के बावजूद उसका अभाव होना आरती को पसंद नही आया और उन्होंने ये पहल की।
फाइनली कल सुबह आंगनवाड़ी के कार्यकताओं के आने से आरती की मेहनत सफल हुई।
"इससे आरती जैसी लड़कियों को और कॉन्फिडेंस मिलेगा और वो एक दूसरे के हक के लिए खड़ी होंगी और अपनी आवाज़ उठाती रहेंगी।" रश्मि कहती हैं।
रश्मि ने एक और अच्छी खबर देते हुए कहा कि जल्द ही जोन्हा गांव और झारखंड के कई ऐसे गांवों में महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड्स का इंतज़ाम किया जाएगा।
"सरकार के द्वारा किया जाने वाला प्रयास सराहनीय है। ये अहान फाउंडेशन को सरकार के साथ और करीब से काम करने के लिए प्रेरित करता है। सरकार की वेलफेयर स्कीम्स को काम मे लाने और झारखंड के ट्राइबल गांवों की महिलाओं की दिक्कतों को एड्रेस करके ऐसे मुद्दे उठाना ज़रूरी है।" तिवारी कहतीं हैं।
आरती ने एक और तरीका बनाया है। लॉक डाउन कब खत्म होगा किसी को नही आता इसलिए जिन जिन की इस महीने की मेंस्ट्रुअल साईकल खत्म हो गयी है उनके पैड्स उन लड़कियों को दिए गए जिनके अभी पीरियड्स होरहे हैं। ऐसे इन पैड्स का सस्टेनेबल यूज़ करने का आईडिया आरती का ही दिया है।
क्या इस पहल से सारी तकलीफें खत्म?
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का आना भले ही बहुत बड़ी बात हो लेकिन जोन्हा गांव की महिलाओ के लिए स्थिति अभी भी अनसर्टेन है। किसी को पता नही है कि लॉक डाउन कब तक रहेगा और कब तक ये सेनेटरी पैड्स चल सकेंगे। सैनिटरी पैड्स के सप्लाई का अभाव है और महिलाएं इस परिस्थिति से जूझ रही हैं। सेनेटरी पैड्स का यूज़ ना करने से उनको हाइजीन रिलेटेड दिक्कतें हो सकती हैं। सबसे पास का अस्पताल 8 किलोमीटर दूर है और महिलाओं की हेल्थ पर एक बहुत बड़ा खतरा।
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