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हमारे देश में चल रहे बर्ड फ्लू के बारे में जानने के लिए यहां 10 बातें दी गई हैं:
1. एवियन फ्लू या बर्ड फ्लू ज्यादातर पक्षियों में होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जो इंसानों को भी एफेक्ट कर सकता है। वैज्ञानिक रूप से, एवियन फ्लू ज्यादातर इन्फ्लूएंजा या वायरस से होता है। इसे H5N1 वायरस भी कहा जाता है, पहली बार 1996 में चीन में कुछ गीज में इस बिमारी का पता चला।
2. बर्ड फ्लू का प्रकोप दुनिया भर के पोल्ट्री बर्ड्स को दशकों से प्रभावित कर रहा है। इन्फेक्शन को रोकने के लिए, संक्रमित पक्षियों को मारना एक सामान्य उपाय है। मनुष्यों में, यह घातक साबित हुआ क्योंकि 18 में से 6 संक्रमित मनुष्यों की मृत्यु 1997 में हांगकांग में पहले प्रकोप में वायरस से हुई थी। इसके अलावा, बाद के इस बिमारी में, विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में इसके कारण सैकड़ों मौतें हुई हैं।
3. इन्फेक्टेड पोल्टरी और प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ अवैध पक्षी व्यापार का आंदोलन ज्यादातर इन्फेक्शन का कारण है। इसके अलावा, बिल्लियों और शेरों जैसे मैमल्स में भी यह इन्फेक्शन पाया गया है। इसके बाद, H5N2 और H5N8 जैसे वायरस के कई और स्ट्रेन जानवरों से मनुष्यों में फैलते गए। यह पिछले दशक में एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बन गया।
4. लगभग सभी मामलों में, जो लोग संक्रमित पक्षियों, जिंदा या मृत पक्षियों के संपर्क में आते हैं, उन्होंने H5N1 फ्लू होने का खतरा है, और यह आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस बात के भी कोई प्रूफ नहीं हैं कि बीमारी ठीक से पके हुए पोल्टरी खाने से भी फैल सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वायरस गर्मी के प्रति संवेदनशील है और खाना पकाने के तापमान में मर जाता है।
5. हालांकि, यह एक बहुत ज़्यादा डेंजरस इन्फेक्शन है, जो स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट की गई है। यह बिमारी 10 में से 6 लोगों की मृत्यु का कारण बनती है। इसके अलावा, इसके अतिसंवेदनशील म्यूटेशन में COVID-19 जैसी कहीं अधिक प्रतिकूल महामारी पैदा करने की क्षमता है।
6. केंद्रीय मंत्रालय के अनुसार, भारत में मनुष्यों में फ्लू नहीं देखा गया है। यह देश में हर थोड़े समय के बाद एपिसोड्स में दिखाई देता है। अभी इसका प्रकोप विभिन्न राज्यों में हुआ है। यह हिमाचल प्रदेश के जंगली इलाकों, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कौवों और केरल में बतख के बीच पाया गया है। हरियाणा में इन दिनों लगभग सौ हजार मुर्गी पक्षियों की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई है।
7. एक चौंकाने वाली घटना में, हिमाचल प्रदेश के पोंग डैम झील में लगभग 1,800 माइग्रेंट पक्षी मृत पाए गए हैं। इसके अलावा, केरल के दो जिलों में बर्ड फ्लू के मामले दर्ज किए गए हैं। वहां की राज्य सरकार ने संबंधित अधिकारियों को बत्तख पालन के आदेश दिए। राजस्थान में आधा दर्जन जिलों में 250 कौवे भी मृत पाए गए।
8. विभिन्न राज्य सरकारों ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उपाय किए हैं। पक्षियों को पालना, मांस-बिक्री पर प्रतिबंध, ज़बरदस्त ट्रेनिंग और रिसर्च कुछ पैरामीटर्स हैं। केंद्र सरकार पहले ही सभी राज्यों को अलर्ट जारी कर चुकी है।
9. मनुष्यों में, इन्फ्लूएंजा मनुष्यों के रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर हमला करता है और इससे सांस संबंधी गंभीर बीमारियां जैसे निमोनिया या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) हो सकती हैं। इस बीच, यह पक्षियों में आंत पर हमला करता है। इस बिमारी के पक्षियों में विभिन्न लक्षण दिखते हैं है, जैसे कि कोआर्डिनेशन की कमी, वॉटल्स में पर्पल डिस्कलोरेशन, सॉफ्ट-शेल्ड या मिहापेन अंडे, एनर्जी और भूख की कमी और अचानक मौत। मनुष्यों में इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश और कभी-कभी पेट में दर्द और दस्त शामिल हैं।
10. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित वक्सीनशन से पक्षियों को वायरस से बचाया जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मनुष्यों के लिए, एंटीवायरल ड्रग्स काम करते हैं। इसके अलावा, मंत्रालय पोल्ट्री के साथ काम करने वाले लोगों को सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग करने और अत्यधिक स्वच्छता का पालन करने की सलाह देता है। अमेरिका में बर्ड फ्लू के लिए एक वैक्सीन भी उपलब्ध है।
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