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बुर्क़ा पर आपत्ति: भाजपा नेता की चुनाव कमिश्नर से शिकायत, कहा- वोटर लिस्ट के लिए बुर्क़ा हटा सकते हैं, तो वोट क्यों नहीं

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Swati Bundela
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बुर्क़ा पर आपत्ति: भाजपा नेताओं ने राज्य चुनाव कमिश्नर से शिकायत कि किसी को भी बुर्क़ा पहनकर मतदान करने नहीं आने दिया जाए। नेताओं ने कहा कि बुर्क़ा की वजह से मतदान के दौरान भारी गड़बड़ी हुई। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर इस बार एक नया विवाद खड़ा हो गया है।

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने मतदान में मुस्लिम महिलाओं के बुर्क़ा पहनकर आने पर आपत्ती जताई है। इस पर रोक लगाने के लिए इन नेताओं ने राज्य चुनाव कमिश्नर को एक ज्ञापन भी दिया है। भाजपा की ओर से बिरगांव के चुनाव के इंचार्ज अजय चंद्राकर, भाजपा स्पोकेसपर्सन और पूर्व मंत्री राजेश मूणत, पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल, रायपुर जिलाध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी, और ओपी चौधरी समेत कई नेता सोमवार शाम राज्य चुनाव कमिश्नर पहुंचे।

वहां इन सभी ने मिलकर इलेक्शन कोम्मिस्सिनेर से बिरगांव की वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की शिकायत की। वोटर कार्ड बनवाने के लिए बुर्का हट सकता है, तो मतदान के लिए क्यों नहीं ऐसा कहा।

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बुर्क़ा पर आपत्ति: बुर्का पहनकर वोट देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए

शिकायत के दौरान भाजपा नेताओं ने कहा कि मतदान के लिए किसी को भी बुर्क़ा पहनकर आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। बीजेपी नेताओं ने कहा कि अगर मुस्लिम महिलाएं वोटर आईडी कार्ड बनवाने के लिए बुर्क़ा उतार सकती हैं, तो उसे भी वोटिंग के लिए हटा देना चाहिए। बिरगांव के अब्दुल रऊफ वार्ड को सेंसिटिव बताते हुए भाजपा नेताओं ने अपने कैंडिडेट्स और वर्कर्स को पुलिस सुरक्षा देने की मांग की।

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चार घरों में 452 फर्जी वोटर होने का दावा किया

बीजेपी नेताओं ने इसकी शिकायत राज्य चुनाव आयुक्त से की और गंभीर आरोप लगाए। नेताओं ने बताया कि बिरगांव के अब्दुल रऊफ वार्ड के मकान नंबर 381, 382, 383 और 384 के पते पर कुल 452 वोटर्स के नाम हैं। ये लोग उस घर में भी नहीं रहते। फर्जी तरीके से इन नामों को वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है।

हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब बीजेपी ने चुनाव के दौरान इस मुद्दे को उठाया है। 2017 में उत्तर प्रदेश के छठे और सातवें चरण के मतदान से पहले, राजनीतिक दल के नेताओं ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पोलिंग स्टेशन पर महिला पुलिस अधिकारियों से बुर्क़ा पहनने वाली महिलाओं केवोटर आईडी की जांच करने की मांग की थी। उन्होंने 2016 में असम चुनाव के दौरान इसकी मांग की थी।

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