इंडिया में अभी सभी जगह कोरोना की वैक्सीन को लेकर ज़ोर दिया जा रहा है। सभी जगह अब छोटे से छोटे काम के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट होना जरुरी हो गया है। अब वैक्सीन के दो डोज़ के बाद बूस्टर डोज़ भी आ चुके हैं। अब स्कूलों में भी उन बच्चों के लिए वैक्सीन जरुरी हो गयी है जिनकी उम्र के लिए वैक्सीन उपलब्ध है।
कोरोना वैक्सीन के लिए जबरजस्ती नहीं की जा सकती है, सेण्टर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
सेंटर ने ऐसे लोगों को घर जाकर वैक्सीन देने को कहा है जो कि खुद वैक्सीनेशन सेंटर तक नहीं जा सकते हैं। लेकिन सरकार का यह भी कहना है कि किसी भी इंसान को वैक्सीन के लिए फ़ोर्स और जबरजस्ती नहीं की जा सकती है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, कि 15-18 ऐज ग्रुप के बच्चों को 3 जनवरी से कोविड के टीके का पहला दौर मिल सकता है। प्रधान मंत्री, जिन्होंने फ्रंटलाइन और हेल्थ वर्कर्स के साथ-साथ 60 से अधिक लोगों के लिए “प्रीकॉशन्स” या बूस्टर शॉट्स की घोषणा की, और कहा, कि बच्चों को वैक्सीनेशन कुछ अन्य देशों ने पहले ही किया है। यह स्कूलों और छात्रों को सामान्य स्थिति में लौटने में मदद करेगा।
भारत में बच्चों को दो शॉट्स में से एक के साथ टीका लगाया जाएगा – या तो भारत बायोटेक की डबल-डोज़ कोवैक्सिन या ज़ायडस कैडिला की तीन-डोज़ ZyCoV-D, दोनों को 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए मंजूरी दे दी गई है।
कोरोना की मोलनुपिरविर गोली उन यंग लोगों को दी जाएगी जो ज्यादा रिस्क की केटेगरी में है। यह दवाई दिन में दो बार 5 दिन के लिए ली जाती है। यह वो लोग लेते हैं जो घर पर हैं और जिनको हलके या थोड़े ज्यादा कोरोना के लक्षण हैं। इसे भर्ती होने के और मरने के चान्सेस 30 % कम हो जाते हैं। मोलनुपिरविर गोली को कम मात्रा में सभी को दिया जाएगा। यह खास कर के उन लोगों के लिए होगी जिनका ऑक्सीजन लेवल 93 से कम हो रहा हो।