"लड़कियों के लिए हानिकारक संदेश": अरुंधति रॉय की किताब के कवर पर विवाद

अरुंधति रॉय की नई किताब मदर मैरी कम्स टू मी पर कवर पेज पर धूम्रपान दिखाने और उस पर वैधानिक चेतावनी न होने को लेकर सवाल उठे हैं। चलिए पूरी खबर जानते हैं-

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Rajveer Kaur
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Arundhati Roy

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Controversy Over Arundhati Roy’s Book Cover: बुकर्स पुरस्कार विजेता लेखिका अरुंधति रॉय की नई किताब "मदर मैरी कम टू मी" के कवर को लेकर केरल की एक अदालत में विवाद खड़ा हो गया है। कवर पर लेखिका को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है। इसके खिलाफ जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें मांग की गई है कि जब तक कवर बदला न जाए या उस पर वैधानिक चेतावनी न जोड़ी जाए, तब तक किताब की बिक्री और वितरण पर रोक लगाई जाए।

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"लड़कियों के लिए हानिकारक संदेश": अरुंधति रॉय की किताब के कवर पर विवाद

वकील राजसिंहन द्वारा दायर की गई इस जनहित याचिका (PIL) में किताब के कवर को लेकर दो मुख्य तर्क दिए गए हैं। पहला, इसमें कहा गया है कि यह तस्वीर ईसाई समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाती है और धार्मिक प्रतीकों के चित्रण से जुड़े कानूनों का उल्लंघन करती है।

दूसरा, याचिका में तर्क दिया गया है कि कवर धूम्रपान को "महिमामंडित" करता है और समाज, खासकर लड़कियों और महिलाओं के लिए "हानिकारक संदेश" देता है। इसमें दावा किया गया है कि यह कवर झूठा प्रचार करता है कि धूम्रपान "फैशनेबल, बौद्धिक रूप से प्रेरणादायक और रचनात्मकता से जुड़ा हुआ" है।

याचिका में क्या कहा गया है?

याचिका में दावा किया गया है कि "मदर मैरी कम्स टू मी" का कवर सिगरेट्स एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स (प्रोहिबिशन ऑफ़ एडवरटाइजमेंट एंड रेग्युलेशन ऑफ़ ट्रेड एंड कॉमर्स, प्रोडक्शन, सप्लाई एंड डिस्ट्रिब्यूशन) एक्ट, 2003 (COTPA) का उल्लंघन करता है, जिसमें बिना अनिवार्य स्वास्थ्य चेतावनी के तंबाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर रोक है।

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PIL में अदालत से न केवल किताब की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई है, बल्कि बाजार से इसकी सभी प्रतियां वापस मंगवाने की भी अपील की गई है।

केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस बसंत बालाजी इस मामले को देख रहे हैं। गुरुवार को अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा और पूछा कि क्या ऐसे मामलों को देखने के लिए कोई तरीका या एजेंसी है। अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।

किताब के प्रकाशक ने कहा कि कवर का चित्र केवल प्रतीक है, असली नहीं। उन्होंने बताया कि किताब काल्पनिक है और इसमें विश्वास और आधुनिक जीवन जैसे विषयों पर कहानी है। कोर्ट के फैसले के बाद ही तय होगा कि किताब अपने वर्तमान कवर के साथ बिकेगी या नहीं।

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मदर मैरी कम्स टू मी के बारे में

अरुंधति रॉय ने मदर मैरी कम्स टू मी लिखना सितंबर 2022 में शुरू किया, जब उनकी मां मैरी रॉय का निधन हुआ। अरुंधति ने 18 साल की उम्र में अपनी मां से दूरी बना ली थी। 

अपनी किताब के बारे में रॉय ने कहा था,"मैं यह किताब अपने पूरे जीवन में लिखती रही हूँ। शायद मेरी मां जैसी माँ को मेरी तरह की एक बेटी की जरूरत थी। उतना ही शायद मेरी तरह की एक लेखक को उसकी मां जैसी मां की जरूरत थी। एक बेटी के रूप में अपनी मां के निधन का शोक मनाने से ज्यादा, मैं उसे एक लेखक के रूप में खोए हुए अपने सबसे आकर्षक विषय के रूप में याद करती हूँ।"

मनसी सुब्रमण्यम, एडिटर-इन-चीफ, पेंगुइन प्रेस, पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने कहा था,"दिल और हिम्मत, हास्य और वेदना, और प्रेम के कच्चे किनारों से भरी, मदर मैरी कम्स टू मी व्यक्तिगत और राजनीतिक जागरूकता का एक सजीव और निडर चित्रण है। हमें इसे दुनिया के साथ साझा करके खुशी हो रही है।"

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