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भारत बायोटेक की कोवाक्सिन
- इसको भारत बायोटेक द्वारा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ पार्टनरशिप में डेवेलोप किया गया था। यह एक मेड-इन-इंडिया वैक्सीन है।
- कोवैक्सीन COVID-19 के खिलाफ एक इनएक्टिवेटेड दो डोज़ वाला टीका है।
- भारत बायोटेक का कहना है कि कोवैक्सीन के पास “300 मिलियन से ज़्यादा डोज़ का एक सेफ ट्रैक रिकॉर्ड” है।
- भारत बायोटेक ने पहले ही अमेरिकी बाजार के लिए कोवैक्सीन के को-डेवलपमेंट के लिए यूएस फर्म Ocugen के साथ लेटर ऑफ़ इंटेंट पर साइन किए हैं। कंपनी दक्षिण अमेरिका, एशिया और मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप के 10 देशों के साथ भी बातचीत कर रही थी।
- प्राइसिंग: सरकार के साथ हुए एक एग्रीमेंट में तय हुआ है कि वैक्सीन का प्राइस Rs.295 प्रति डोज़ होगा.
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सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशिल्ड
- "कोविशिल्ड वैक्सीनेशन प्रोग्राम में प्रत्येक5 मिलीलीटर की दो डोज़ शामिल हैं। पहली डोज़ के बाद दूसरी खुराक को चार से छह सप्ताह के बीच दिया जाना चाहिए।
- इस वैक्सीन के कुछ साइड -इफेक्ट्स भी होंगे वैक्सीन लगवानेवाले दस लोगों में से एक को "थकान , दर्द, लालिमा, सूजन या चोट" होने की संभावना होती है, जहां इंजेक्शन दिया जाता है, डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि "थकान (थका हुआ), बुखार, मतली और जोड़ों का दर्द या मांसपेशियों में दर्द महसूस होता है । यह और भी कुछ साइड-इफेक्ट्स हैं जिनके वैक्सीन लगवाने के बाद होने की संभावना है।
- कोविशिल्ड की 110 लाख डोज़ सरकार द्वारा 200 रुपये प्रति डोज़ (करों को छोड़कर) में खरीदी जा रही हैं।
- वैक्सीनेशन के पहले फेज में लगभग तीन करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वैक्सीन का वैक्सीनेशन किया जाएगा।
- दूसरे फेज में, 50 वर्ष से अधिक आयु के और लो-इम्मयूनिटी 50 वर्ष से कम आयु के लोगों को टीका लगाया जा सकता है ।
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