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"शादी के लिए दूल्हा दुल्हन का फिजिकली सामने होना ज़रूरी नहीं"- दिल्ली हाई कोर्ट

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Swati Bundela
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ऑनलाइन शादी पर दिल्ली HC: दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि "व्यक्तिगत उपस्थिति" का मतलब फिजिकल अपीयरेंस नहीं है और दोनों पक्ष यानि वर-वधु मजिस्ट्रेट के सामने विडिओ कांफ्रेंस की मदद से आ सकते हैं। ये फैसला दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए एक एनआरआई जोड़े द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद लिया।

ऑनलाइन शादी पर दिल्ली HC: शादी के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को मिली मंजूरी

दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार यानि 9 सितम्बर को फैसला सुनाया कि शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए पार्टियों को फिजिकल रूप से उपस्थित होने की जरुरत बिल्कुल नहीं है और विडिओ कांफ्रेंस की हेल्प से एसडीएम के सामने कपल रजिस्ट्रेशन और शादी कर सकता है।

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हाल ही में एक एनआरआई जोड़े ने अपनी याचिका दर्ज की थी कि उनकी शादी 2001 में हो गई थी और फ़िलहाल ये जोड़ा यूएसए में रह रहा है। उन्होंने कोर्ट से दिल्ली सरकार को दिल्ली 'विवाह के अनिवार्य पंजीकरण आदेश, 2014' के तहत उनकी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए जोड़े के ऑनलाइन एप्लीकेशन को स्वीकार करने और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कि मदद से मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने कि परमिशन मांगी। इसके साथ ही एनआरआई जोड़े ने अपनी याचिका पर सही सुनवाई और दिशानिर्देश जारी करने की बात भी कही।

सीनियर अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा ने कहा कि सरकार ने अनिवार्य विवाह आदेश के प्रावधान 4 की गलत व्याख्या की है

एनआरआई जोड़े की तरफ से सीनियर अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा ने कहा कि सरकार ने अनिवार्य विवाह आदेश के प्रावधान 4 की गलत व्याख्या की है। उन्होंने कोर्ट को बताय कि प्रावधान में विवाह के लिए 'पर्सनल अपीयरेंस' का मतलब फिजिकल अपीयरेंस नहीं है। विभा दत्ता ने बताया कि एनआरआई जोड़ा फिलहाल अमेरिका में है और कोरोना प्रोटोकॉल्स के कारण इंडिया नहीं आ सकता, जिसकी वजह से रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद भी वो एसडीएम के नहीं आ सकते। इसीलिए सेनोइर अधिवक्ता ने विडिओ कंफ़ेरन्सिंग द्वारा दोनों पति-पत्नी को एसडीएम से मुलाकात करने के लिए याचिका दायर की है।

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दिल्ली सरकार का कहना है की दोनों पक्ष की उपस्थिति जरुरी है


दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता शोभना टाकियार ने कहा कि सत्यापन के लिए से दोनों पक्षों की शारीरिक उपस्थिति जरुरी है। उन्होंने तर्क दिया कि ये एक बहुत जरुरी प्रावधान है कि पार्टियों को अपनी शादी के पंजीकरण के लिए व्यक्तिगत रूप से यानि फिजिकली उपस्थित होना होगा। आगे उनका कहना है कि केवल स्पेशल केसेस में ही इस प्रावधान में कोई बदलाव किया जा सकता है।

बहरहाल, अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए कमेंट किया कि फिजिकल अपीयरेंस को मैनडेट्री बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने विडिओ कॉनफेरेन्स के माध्यम से पर्सनल अपीयरेंस की मंजूरी दे दी।

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