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67 घंटे बाद भी बोरवेल में जिंदगी और मौत के बीच 3 साल की चेतना

67 घंटे के बाद भी चेतना जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रही है। बच्ची 120 फीट पर फंसी हुई है। उसे बचाने के लिए NDRF और SDRF की टीमें लगातार प्रयास कर रही हैं लेकिन सफलता अभी भी हाथ नहीं लग रही।

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Rajveer Kaur
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 A girl aged around three years fell into a borewell

Photograph: (Image Credit: PTI)

Desperate Rescue Efforts Underway as 3-Year-Old Falls into Borewell: 67 घंटे के बाद भी चेतना जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रही है। बच्ची 120 फीट पर फंसी हुई है। उसे बचाने के लिए NDRF और SDRF की टीमें लगातार प्रयास कर रही हैं लेकिन सफलता अभी भी हाथ नहीं लग रही। बच्ची को रेस्क्यू करने के लिए 150 फीट तक पाइलिंग मशीन से खुदाई की गई लेकिन पत्थर मिलने पर इसे बंद कर दिया गया और उसके बाद मशीन को बदल दिया। इसके साथ ही बच्ची की मां की तबीयत भी ठीक नहीं है। 25 दिसम्बर की शाम रैट माइनिंग की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई थी। ये लोग बच्ची को रेस्क्यू करने में मदद करेंगे। रैट माइनिंग की टीम ने उत्तराखंड टनल हादसे में 41 वर्कर्स को रेस्क्यू किया था।

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67 घंटे बाद भी बोरवेल में जिंदगी और मौत के बीच 3 साल की चेतना

ANI के अनुसार, एनडीआरएफ टीम के प्रभारी योगेश कुमार मीना ने बताया, "पाइलिंग मशीन से खुदाई की जा रही थी, 150 मीटर तक खुदाई की गई, उसके बाद एक पत्थर मिला तो हमने पाइलिंग मशीन बदल दी। अभी 160 मीटर तक खुदाई हो चुकी है, और हमें 170 मीटर गहराई तक खुदाई करनी है... उम्मीद है कि हम आज इसे (बचाव अभियान) पूरा कर लेंगे।"

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कलेक्टर कल्पना अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंची

कोटपूतली के कीरतपुरा गांव में बोरवेल में गिरी साढ़े तीन साल की बच्ची को बचाने के लिए चल रहे बचाव अभियान पर कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने कहा, "...हमारा ध्यान बचाव अभियान पर है और हम बच्ची को बाहर निकालना चाहते हैं...SDRF और NDRF की टीमों को तुरंत (सोमवार को) बुलाया गया और उनके निर्देशानुसार बचाव अभियान चल रहा है। हम बच्ची को जल्द से जल्द बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं...

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क्या है पूरा मामला

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, 23 दिसंबर को दोपहर में 1:50 पर ये हादसा हुआ। परिवार को जब बच्ची की रोने की आवाज सुनाई दी तो उन्होंने पुलिस प्रशासन को इस बारे में सूचित किया। बता दें, बोरवेल उनके घर पर ही था जिसकी खुदाई दो दिन पहले ही की गई थी। पानी न आने की वजह से उसमें से पाइप निकालकर, ऐसे ही खुला छोड़ दिया गया। अभी प्रशासन और राहतकर्मी बच्ची को बचाने में जुटे हुए हैं। इसके साथ ही मेडिकल टीम भी वहां पर तैनात हैं। 

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दो प्रयास असफल

बच्ची को बचाने का तीसरा प्रयास चल रहा है। पहले दो प्रयास असफल रहें। पहले प्रयास में बच्ची को अंब्रेला और रिंग रोड से बचने की कोशिश की गई जो असफल रही। इसके बाद दूसरा प्रयास भी सफल नहीं हुआ। अब बच्ची को तीसरे जुगाड़ की मदद से निकालने की कोशिश की जा रही है जिसे देसी जुगाड़ भी बोला जा रहा है। बच्ची को अभी तक 15 फीट तक बाहर खींचा गया है।

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20 घंटे से ज्यादा भूखी-प्यासी

बता दे, मासूम 150 फीट की गहराई तक फंसी हुई है और 20 घंटे से ज्यादा भूखी-प्यासी है। अधिकारियों का कहना है कि 150 फीट तक की खुदाई करने में एक हफ्ते से ज्यादा समय लग सकता है जिसमें बच्ची की जान जा सकती है। इसलिए उन्होंने अब देसी जुगाड़ को अपनाया है। इस जुगाड़ में चेतना को चोट भी लग सकती है। इसलिए उन्होंने चेतना के माता-पिता से आज्ञा ली है कि अगर इस पूरी प्रक्रिया में बच्ची को कोई चोट या फिर जख्म आता है तो उसकी जिम्मेदारी प्रशासन की नहीं होगी। बोरवेल में कैमरे और ऑक्सीजन को भी भेजा गया है।

माँ ने लगाई मदद की गुहार

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इस घटना के बाद बच्ची की माँ लगातार रो रही हैं। उनकी सिर्फ यही मांग है की बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालकर लाया जाए। PTI से बातचीत के दौरान कोटपूतली-बहरोड़ जिले के सरुंड क्षेत्र में अपने पिता के खेत में खेलते समय बोरवेल में गिरी तीन वर्षीय बच्ची की मां धोली देवी का कहना है कि मैं सरकार से अपनी बच्ची को बचाने की अपील करती हूं... मैं केवल यही चाहती हूं,"।

जानिए ऑपरेशन हेड, योगेश कुमार का इस मामले पर ब्यान

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बच्ची को देसी माध्यम के जरिए फंसाया गया और एक डेढ़ फीट ऊपर लाने की भी कोशिश की गई है ताकि जो आसपास की मिट्टी साइड पर हो जाए। बच्ची के आसपास नमी के कारण मिट्टी बहुत ज्यादा जम गई है। रात के बाद अभी बच्ची की कोई मूवमेंट दर्ज नहीं की गई है। ऑफिसर का कहना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है कि शायद बच्ची बेहोश हो गई हो। अभी उन्होंने स्थिति को बिल्कुल भी साफ नहीं किया है।

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