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क्या है महिला आरक्षण बिल? जिससे महिलाओं की संसद में भागीदारी बढ़ेगी

न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आज इस बिल को संसद में पेश करेंगे। कल 20 सितंबर को बिल को सदन में पारित कराने के लिए चर्चा होगी इसके साथ 21 सितंबर को राज्यसभा में बिल पेश होगा। 

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Rajveer Kaur
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women reservation bill

Explained Women Reservation Bill (Image Credit: The New Indian Express)

Women reservation Bill: महिला आरक्षण बिल की मांग काफी समय से हो रही है अब 2024 से पहले इस बिल को कैबिनटी की मंजूरी मिल गई है। न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आज इस बिल को संसद में पेश करेंगे। कल 20 सितंबर को बिल को सदन में पारित कराने के लिए चर्चा होगी इसके साथ 21 सितंबर को राज्यसभा में बिल पेश होगा।

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कल इस बिल को कैबिनट की मंजूरी की खबर को केंद्रीय राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल तरफ से एक्स पर शेयर किया गया था लेकिन बाद में इसे डिलीट कर दिया गया।  

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क्या है महिला आरक्षण बिल? जिससे महिलाओं की राजनीती में भागीदारी बढ़ेगी

महिला आरक्षण बिल भारत के लिए बहुत ज़रूरी क्यूँकि आज़ादी के 75 साल बाद भी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी मर्दों के मुक़ाबले बहुत कम है। यह बिल भी पिछले 30 सालों से लंबित पड़ा है। इस बिल को मनमोहन सिंह जी के समय राज्य सभा में पारित कर दिया था जिसमें महिलाओं को 33% आरक्षण था लेकिन इस बिल की लोकसभा में पेश नहीं किया गया क्योंकि इस बिल का विरोध सपा और राजद की तरफ़ से हो रहा था और वापिस लेने की धमकी दी जा रही थीं।

लोकसभा की बात करें तो मिनिस्ट्री ऑफ पार्लियामेंट्री अफ़ेयर्स के मुताबिक़ लोक सभा में महिला सांसद 78 हैं वहीं राज्य सभा में 28 महिला सांसद हैं जो कि बहुत कम भागीदारी है।

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महिला आरक्षण बिल संविधान के 108वां संशोधन के तहत महिलाओं को लोक सभा में 33% आरक्षण प्रदान करता है। इसके अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की कुल सीटों में से एक तिहाई सीटों को महिलाओं के आरक्षित रखा जाएगा। इसके साथ चुनाव के बाद सीटों की रोटेशन भी की जाएगी।

भारत में ऐसे भी कई राज्य जहाँ महिलाओं की मजूदगी 10% से भी कम है जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, महाराष्ट्र्र, सिक्कम, ओड़िशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पुडुचेरी।

सबसे ज़्यादा भागीदारी 14.4% जो कि छत्तीसगढ़ में है। उसके बाद पश्चिम बंगाल और झारखंड 13.7% और 12.35 है। 6 राज्यों में बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजधानी दिल्ली में 10 से 12% विधायक हैं।

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