आदम हैरी 2019 में भारत के सबसे पहले ट्रांसजेंडर पायलट बने थे। लेकिन सूत्रों के मुताबिक अब वह जोमैटो कंपनी में डिलीवरी बॉय की नौकरी कर रहे हैं। इसका कारण यह है की डीजीसीए द्वारा उनका प्लेन उड़ाने का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। डीजीसीए का कहना है कि वह प्लेन उड़ाने के लिए शारीरिक रूप से अस्वस्थ है।
क्या है कारण?
डीजीसीए ने यही कारण दिया है कि वह अभी हार्मोन थेरेपी ले रहे हैं और जेंडर डिस्फोरिया से गुजर रहे हैं। लेकिन किसी के बायोलॉजिकल सेक्स की वजह से जो उसे जन्म से मिला है, किसी के करियर को खत्म करना गलत है।
किसी के जेंडर या थेरेपी के आधार पर उसकी नौकरी छीन लेना पूरी तरह गलत है। यह समानता के मौलिक अधिकार का भी हनन है। किसी की इमोशनल कंडीशन या उसके जेंडर से संबंधित उसकी समस्याओं की वजह से उसे शारीरिक रूप से अस्वस्थ घोषित करके उसका लाइसेंस रद्द करना बहुत ही गलत है।
असली जेंडर का हुआ था चयन
सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब उन्हें पायलट बनने के टेस्ट के लिए बुलाया गया था तब वह अपने जन्म से मिले असली सेक्स के साथ आए थे और मिड ट्रांजिशन में थे। लेकिन डीजीसीए एक बहुत ही कठोर 2 जेंडर पॉलिसी फॉलो करता है जिसके अनुसार केवल आदमी और औरत ही मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए परफेक्ट हैं।
आदम को पायलट बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए केरल सरकार की तरफ से भी काफी मदद मिली थी। लेकिन दुर्भाग्यवश उनके प्लेन उड़ाने के लाइसेंस को रद्द किए जाने के बाद वह जोमैटो कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी कर रहे हैं।
उन्होंने साउथ अफ्रीका में प्लेन उड़ाना सीखा था। वहां उनके पेरेंट्स उन्हें ठीक करने के लिए साइकेट्रिस्ट के पास भी लेकर गए थे।
ट्विटर के रिएक्शन
ट्विटर पर लोग डीजीसीए के इस फैसले की निंदा कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि जब अमेरिका की फेडरेशन को इस बात से कोई इनकार नहीं है तो फिर डीजीसीए को क्या दिक्कत है।
साइंस के मुताबिक टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन और प्लेन उड़ाने का कोई भी संबंध नहीं है। इसलिए डीजीसीए को अपनी इस पॉलिसी में सुधार करना चाहिए जो ट्रांसजेंडर लोगों को पायलट बनने से रोकती है।