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Who is Priya Patil? प्रिय कोल्हापुर की रहने वाली एक लड़की हैं जो बहुत ही नेक काम करती हैं। ये सिर्फ 20 साल की है और कॉलेज में पढ़ती है। आजकल कोरोना के चलते लेक्टर्स ऑनलाइन होने के कारण इसके पास टाइम रहता था। ये हमेशा से कोई सोशल वर्क करना चाहती थी और इसको ऐसे काम पसंद हैं।
प्रिया एम्बुलेंस से प्राइवेट अस्पताल से बॉडी लेकर आती हैं और ये हमेशा से कोई सोशल वर्क करना चाहती थीं। इतना ही नहीं ये अस्पताल के स्टाफ को बॉडी रखने में भी मदद करती है। ये जहाँ अंतिम संस्कार किया जाता है वहां शमशान घात जाने के बाद भी कोरोना से मरे हुए लोगों का अंतिम संस्कार में मदद करती है। प्रिया का कहना है कि इनके माता पिता भी उनको ऐसा काम करने में सपोर्ट करते हैं। प्रिया के पिता इंडस्ट्रियल यूनिट में काम करते हैं और इनकी माँ एक इन्शुरन्स एजेंट हैं।
प्रिया ऐसा पिछले 15 दिन से कर रही है और ये अभी तक 65 लोगों की बॉडी अस्पताल से शमशान पंहुचा चुकी हैं। इन्होने कार चलाने का सोचा और कॉलेज लेक्टर्स के बाद फ्री टाइम में ये यह काम किया करती हैं। इनका कहना है कि सभी लोग इनको सपोर्ट करते हैं चाहें वो हॉस्पिटल का स्टाफ हो या फिर शमशान घाट के लोग। शुरू शुरू में ये बहुत नर्वस रहती थी लेकिन अब ये इनकी रुटीन जॉब हो गयी है। जो एम्बुलेंस ये चलती हैं वो एक सोशल एक्टिविस्ट हर्षल सुर्वे ने CPR हॉस्पिटल को डोनेट की थी। हर्ष एक गारमेंट शॉप के ओनर हैं।
प्रिया ऐसे समय में लोगों की मदद कर रही है जब उस इंसान के रिलेटिव्स भी उसके मरने के बाद उसकी बॉडी के पास नहीं आते हैं। सभी लोग इनकी खूब प्रशंशा करते हैं और इनको ऐसा करके बहुत अच्छा लगता है। मुष्किल के वक़्त में ऐसे ही कुछ दिखते हैं कि दुनिया में इंसानियत अभी भी बाकी है।
क्यों और कैसे करती थी प्रिया अंतिम संस्कार ?
प्रिया एम्बुलेंस से प्राइवेट अस्पताल से बॉडी लेकर आती हैं और ये हमेशा से कोई सोशल वर्क करना चाहती थीं। इतना ही नहीं ये अस्पताल के स्टाफ को बॉडी रखने में भी मदद करती है। ये जहाँ अंतिम संस्कार किया जाता है वहां शमशान घात जाने के बाद भी कोरोना से मरे हुए लोगों का अंतिम संस्कार में मदद करती है। प्रिया का कहना है कि इनके माता पिता भी उनको ऐसा काम करने में सपोर्ट करते हैं। प्रिया के पिता इंडस्ट्रियल यूनिट में काम करते हैं और इनकी माँ एक इन्शुरन्स एजेंट हैं।
प्रिया कब से ऐसा कर रही हैं ?
प्रिया ऐसा पिछले 15 दिन से कर रही है और ये अभी तक 65 लोगों की बॉडी अस्पताल से शमशान पंहुचा चुकी हैं। इन्होने कार चलाने का सोचा और कॉलेज लेक्टर्स के बाद फ्री टाइम में ये यह काम किया करती हैं। इनका कहना है कि सभी लोग इनको सपोर्ट करते हैं चाहें वो हॉस्पिटल का स्टाफ हो या फिर शमशान घाट के लोग। शुरू शुरू में ये बहुत नर्वस रहती थी लेकिन अब ये इनकी रुटीन जॉब हो गयी है। जो एम्बुलेंस ये चलती हैं वो एक सोशल एक्टिविस्ट हर्षल सुर्वे ने CPR हॉस्पिटल को डोनेट की थी। हर्ष एक गारमेंट शॉप के ओनर हैं।
प्रिया ऐसे समय में लोगों की मदद कर रही है जब उस इंसान के रिलेटिव्स भी उसके मरने के बाद उसकी बॉडी के पास नहीं आते हैं। सभी लोग इनकी खूब प्रशंशा करते हैं और इनको ऐसा करके बहुत अच्छा लगता है। मुष्किल के वक़्त में ऐसे ही कुछ दिखते हैं कि दुनिया में इंसानियत अभी भी बाकी है।