मजबूरियों के चलते दादी ने 7 साल के पोते को ₹200 में बेचा, जानिए पूरी सच्चाई

उड़ीसा से एक ऐसी खबर सामने आई है जहां पर दादी ने चंद पैसों के बदले अपने पोते को ही बेच दिया। दादी का यह दावा है कि अब वह अपने पोते की देखभाल नहीं कर सकती है जिसके चलते उसे ऐसा कदम उठाना पड़ा।

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Rajveer Kaur
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Grandmother Sells Grandson for ₹200

Photograph: (Freepik) Representative AI Image

Grandmother Sells Grandson for ₹200! उड़ीसा से एक खबर सामने आई है जहां पर दादी ने चंद पैसों के बदले अपने पोते को ही बेच दिया। दादी का यह दावा है कि अब वह अपने पोते की देखभाल नहीं कर सकती है जिसके चलते उसे ऐसा कदम उठाना पड़ा। आपको बता दें कि दादी के पास घर नहीं है और न हीं उसे कोई सरकारी सहायता मिली जिसकी वजह से उसे अपने पोते को ही कुछ पैसों के लिए बेचना सही समझा। चलिए पूरी खबर जानते हैं कि किस मजबूरी के चलते एक दादी को अपने पोते को किसी अजनबी के पास छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा?

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मजबूरियों के चलते दादी ने 7 साल के पोते को ₹200 में बेचा, जानिए पूरी सच्चाई 

उड़ीसा में एक झकझोर कर देने वाला मामला सामने आया जहां पर 7 साल के पोते को दादी ने सिर्फ ₹200 में बेच दिया क्योंकि वह अब उसकी देखभाल नहीं कर सकती थी। यह खबर बलदिया गांव से आई है जिसने स्थानीय लोगों को झकझोर दिया और पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। आपको बता दें, 65 वर्षीय विधवा महिला का नाम मंद सोरेन है। महिला बहुत गरीबी से जूझ रही है और उसे जिंदा रहने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। उसके सिर पर दुखों का पहाड़ तब टूट पड़ा जब पति का निधन हो गया है, बेटा लापता है और कोविड-19 महामारी में बहू की भी जान चली गई।

मजबूरी के चलते उठाया कदम 

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महिला के घर या जमीन कुछ भी नहीं है। ऐसे ही बस इधर-उधर से अपना गुजारा कर रही है। इस हालत में उसे अपने पोते के लिए यही रास्ता सही लगा। उसने ₹200 की कीमत में किसी अनजान व्यक्ति को अपने पोते को बेच दिया। दादी का यह दावा था कि उस व्यक्ति के पास उसके पोते को रहने के लिए अच्छा स्थान, खाना और शिक्षा मिलेगी।

भीख मांग कर होता था गुजारा 

विधवा महिला के पास जब कोई रास्ता ना बचा तो वह बिना किसी सहारे के अपनी बहन के पास रामपाल गांव चली गई। उसने अपने पोते के लिए भीख माँगना शुरू कर दिया। इस बीच उसकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब होती गई जिस कारण अपने पोते की देखभाल में परेशानी होने लगी। इसके कारण उसे अपने बच्चे को किसी और को सौंपना पड़ा।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जब ये बात गांव की पंचायत को पता चली, तो उन्होंने पुलिस को बताया और बच्चे को बचाने का काम शुरू किया। बच्चे को थाने लाया गया, जहां बाल संरक्षण विभाग और रसगोविंदपुर बाल विकास परियोजना के अधिकारियों ने परिवार से बात की। इसके बाद बच्चे को बचा लिया गया और बाल देखभाल गृह में भेज दिया गया।

जांच के बाद बाल संरक्षण अधिकारी ने कहा, "हमें पता चला कि महिला ने बच्चे को पैसे के लिए नहीं बेचा था, बल्कि उसकी बेहतर देखभाल के लिए एक जोड़े को दे दिया था, क्योंकि वह खुद उसकी परवरिश नहीं कर पा रही थी।" अब बच्चे को बाल कल्याण समिति की देखरेख में बारिपदा के बाल संरक्षण केंद्र भेजा गया है। सोरेन के लिए पेंशन और मकान की मदद देने की मांग की है।

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