निक्की केस ने फिर दिखाया कि दहेज और घरेलू हिंसा की समस्या खत्म नहीं हुई

निक्की भाटी हत्या कांड ने एक बार फिर हमारे समाज की हकीकत को उजागर कर दिया है, जहां महिलाएं अब भी दहेज की बलि चढ़ रही हैं। आरोप है कि 28 वर्षीय निक्की की हत्या उसके पति और ससुरालवालों ने 36 लाख रुपये की दहेज मांग को लेकर की।

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Rajveer Kaur
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नोएडा से सामने आया यह दिल दहला देने वाला मामला एक बार फिर दहेज और घरेलू हिंसा जैसी सामाजिक समस्याओं पर सोचने को मजबूर करता है। अक्सर कहा जाता है कि आज महिलाएं आज़ाद हैं, उनके साथ अन्याय नहीं होता, उन्हें अधिकार मिल रहे हैं और वे वर्कफ़ोर्स में अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जी रही हैं। लेकिन जब ऐसे मामले सामने आते हैं, तो यह तमाम दावे खोखले प्रतीत होते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हकीकत अभी भी अलग है।

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निक्की केस ने फिर दिखाया कि दहेज और घरेलू हिंसा की समस्या खत्म नहीं हुई

निक्की भाटी हत्या कांड ने एक बार फिर हमारे समाज की हकीकत को उजागर कर दिया है, जहां महिलाएं अब भी दहेज की बलि चढ़ रही हैं। आरोप है कि 28 वर्षीय निक्की की हत्या उसके पति और ससुरालवालों ने 36 लाख रुपये की दहेज मांग को लेकर की। निक्की के पति और सास की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस ने उसके जेठ और ससुर को भी गिरफ्तार कर लिया है।

बेटे के सामने क्रूरता 

निक्की को उसके 6 साल के बेटे के सामने पति ने जिंदा जला दिया। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। निक्की के छोटे बेटे ने पुलिस और मीडिया को बताया कि कैसे उसके पिता ने पहले उसकी मां पर तरल पदार्थ डाला, फिर थप्पड़ मारा और उसके बाल पकड़कर आग लगा दी।

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हत्या के आरोपी विपिन भाटी ने पुलिस पूछताछ में कहा, “मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैंने उसे नहीं मारा। वह खुद ही मर गई। पति-पत्नी में अक्सर झगड़े होते हैं, यह बहुत आम बात है।”

निक्की के छोटे भाई अतुल पैला (20) ने Indian Express में बताया, “हमें पता था कि वे मेरी बहन के साथ मारपीट कर रहे थे। हमने पहले भी मामले को सुलझाने की कोशिश की थी।”

दहेज और समाज की सोच पर बड़ा सवाल

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निक्की की शादी 9 दिसंबर 2016 को हुई थी। उस समय वह सिर्फ 18 साल की थीं और उनकी शादी विपिन भाटी से करवाई गई। इसी घर में उनकी बड़ी बहन कंचन की भी शादी निक्की के जेठ रोहित भाटी से हुई थी।

निक्की के चाचा अशोक पायला (40) बताते हैं कि उनके भाई ने दोनों बेटियों की शादी एक ही मंडप में करवाने के लिए अपनी ज़मीन तक बेच दी थी। “यह इस गाँव की अब तक की सबसे बड़ी शादी थी। उन्होंने शादी पर 80 लाख रुपये से ज़्यादा खर्च किए थे,” उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया।

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लेकिन इतनी बड़ी शादी के बाद भी निक्की का जीवन खुशहाल नहीं रहा। परिवार का आरोप है कि ससुरालवालों की ओर से उसे लगातार प्रताड़ित किया जाता रहा। 

यही मानसिकता आज भी हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है जहां तलाक को कलंक माना जाता है, लेकिन बेटी की मौत को स्वीकार कर लिया जाता है। यह मामला साबित करता है कि शादी के बाद भी लड़की के साथ कोई भी व्यवहार किया जाए, उस पर सवाल नहीं उठाए जाते।निक्की का मामला साफ़ करता है कि आज भी घरेलू हिंसा और दहेज जैसी कुरीतियाँ ज़िंदा हैं।

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ग्रेटर नोएडा दहेज हत्या मामले पर आईपीएस अधिकारी (सेवानिवृत्त) किरण बेदी ने भी कहा, “जिस तरह से उसे जिंदा जलाया गया, यह दर्शाता है कि हमारा समाज मध्यकाल से ही बेटों को धन का स्रोत और बेटियों को धन छीनने वाली समझता आया है। यह मानसिकता आज भी मौजूद है… बेटियों को बोझ माना जाता है और इस सोच को बदलने की ज़रूरत है। यह अमानवीय है और दिखाता है कि दहेज की भूख का कोई अंत नहीं है।”